- दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने स्कूल के भारी बैग का किया रियलिटी चेक

- मानकों से करीब दो गुना तक निकला स्कूली बैगों का वजन

बरेली --

मानव संसाधन मंत्रालय ने 26 नवम्बर को स्कूली बच्चों को भारी बैग से निजात दिलाने के लिए आदेश जारी किए थे और हर क्लास के स्टूडेंट का क्लास वाइज अलग-अलग भार तय किया था, जिसका स्कूलों को पालन करना था. लेकिन मंडे यानि एक अप्रैल से स्कूलों का नया सेशन शुरू हुआ तो आदेश का असर दिखाई नहीं दिया. मंडे को जब दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने स्कूलों में जाकर बच्चों के नए सिलेबस के साथ बैग का वजन किया तो निर्धारित से दो से तीन गुना ज्यादा निकला. जिस बच्चे के बैग का वजन मात्र डेढ़ किलो होना चाहिए उसके बैग का वजन 5 किलो तक पाया गया.

यूकेजी के बैग का वजन 5 किलो

शहर के एक निजी स्कूल में क्लास यूकेजी में पढ़ने वाले शमस का जब हमने बिना बैग के वजन किया तो शमस का वजन 25 किलो निकल कर आया और जब बैग के साथ उसे बेइंग मशीन पर खड़ा किया तो वजन 30 किलो तक आया. इससे साफ हो गया कि बैग का वजन कुल 5 किलोग्राम था. जबकि मंत्रालय के मानकों के अनुसार शमस के बैग का वजन अधिकतम डेढ़ किलो ही होना था.

बीमारी में भी उठाना पड़ता है भार

निजी स्कूल न तो बच्चों की बीमारी पर ध्यान देते हैं और न ही उनकी हेल्थ पर. कैंट स्थित एक निजी स्कूल में जब हमारी टीम पहुंची तो वहां क्लास तीन में पढ़ने वाले मुशाहिद के बैग का वजन चेक किया. मुशाहिद का बिना बैग के वजन 25 किलो था. लेकिन जब मुशाहिद का वजन बैग के साथ चेक किया तो उसका वजन 31 किलो निकला. इससे साफ हो गया कि बैग का वजन 6 किलो था. जबकि मुशाहिद के पैर में एक्सीडेंट के बाद रॉड डाली गई है. जिससे वो इतना वजन नहीं उठा पाता है.

स्कूल परिसर घुसने नहीं देता है

मुशाहिद के पिता मुजाहिद ने बताया कि मुजाहिद के पैर में रॉड पड़ी है. उस पर भारी वजन नहीं उठता है. घर से तो पिता खुद उठाकर ले आते है. लेकिन स्कूल परिसर उन्हे अंदर घुसने की अनुमति नहीं देता है. उनका बेटा खुद बैग उठाकर क्लास रूम तक ले जाता है. जिससे उसे काफी दिक्कत होती है.

किस क्लास का कितना तय है वजन

एनसी टू एलकेजी - 1 से 1.5 किलोग्राम

फ‌र्स्ट टू सेकंड - 1 से 2 किलोग्राम

थर्ड टू फिफ्थ - 3 किलोग्राम

6 टू 8 - अधिकतम 4.5 किलोग्राम

परिजनों का कहना है..

आज तो स्कूल का पहला दिन था जिसकी वजह से सभी बुक्स भी नहीं लाए हैं. अब स्कूल टाइम टेबल लगा देगा तब तो शायद बैग का वजन और बढ़ जाएगा.

सीमा, पेरेंट

स्कूल बैग का वजन बढ़ा-बढ़ाकर हमारी जेब काट रहा है. हर साल 4 से 5 हजार रुपए की बुक्स आती हैं. इससे जेब भी कटती है और बच्चों पर बोझ भी पढ़ता है.

राजू शमीम, पेरेंट

मेरे बच्चे का एक्सीडेंट लास्ट ईयर हुआ था. जब उसे पैर में रॉड डाली गई थी. वो इतना वजन उठाने के लायक नहीं है. लेकिन कोई भी स्कूल ऐसा नहीं है जहां बुक्स का वजन हाई न हो.

मुजाहिद हुसैन, पेरेंट