जिले की जनसंख्या के मुकाबले काफी कम हैं सरकारी और प्राइवेट डॉक्टर्स

कई हॉस्पिटल्स में खाली हैं डॉक्टर के पद, प्राइवेट में देनी पड़ती है मोटी फीस

ALLAHABAD: मरीज बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं से महरूम हैं। दवाओं और हॉस्पिटल की कमी के अलावा पर्याप्त संख्या में डॉक्टर्स भी मौजूद नही हैं। डब्ल्यूएचओ द्वारा तय मानक से चार गुना अधिक डॉक्टरों पर मरीजों का बोझ है। इसका असर इलाज की गुणवत्ता पर पड़ने लगा है। अगर जल्द ही डॉक्टर उपलब्ध नही हुए तो मरीजों को अधिक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

सरकारी सेक्टर में है अधिक मारामारी

डॉक्टरों की कमी सरकारी सेक्टर में ज्यादा है

स्वास्थ्य विभाग के जिले में 103 छोटे-बड़े हॉस्पिटल हैं

इनमें कुल 288 डाक्टर्स की तैनाती की गई है

जिसमें से 49 डाक्टर्स उपलब्ध नही हैं

65 लाख आबादी वाले इलाहाबाद में मरीजों को डॉक्टरों को दिखाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है

प्राइवेट सेक्टर में 1200 डॉक्टर्स हैं

फैक्ट फाइल

269

स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में तैनात डॉक्टर्स

30

पोस्ट ग्रेजुएट करने के लिए अवकाश पर डॉक्टर्स की संख्या

19

कुल खाली पड़ी पोस्ट

20

जिले में कुल सीएचसी

60

न्यू पीएचसी

23

अर्बन पीएचसी

1200

जिले में कुल प्राइवेट डॉक्टर्स की संख्या

(यह सभी इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन के मेंबर हैं)

ऐसे तो हो चुका मरीजों का भला

डब्ल्यूएचओ के तय मानक के अनुसार एक हजार की जनसंख्या पर एक डॉक्टर की तैनाती होनी चाहिए

अधिकारी बताते हैं कि यूपी और बिहार में यह रेशियो काफी खराब है

इसी का नतीजा है कि इलाहाबाद में 65 लाख की जनसंख्या के मुकाबले प्रत्येक डाक्टर पर 4500 मरीजों का बोझ है

इंडिया में एक डॉक्टर पर 1800 मरीज का रेशियो है।

फैक्ट फाइल

65

लाख है जिले की जनसंख्या

1000

मरीज पर एक डॉक्टर डब्ल्यूएचओ द्वारा तय रेशियो

4500

जिले में डॉक्टर्स की तैनाती का रेशियो

1800

मरीज देश का वर्तमान रेशियो एक डॉक्टर पर

मरीज को एक मिनट भी नसीब नही

आंकड़ों के मुताबिक ओपीडी में एक डॉक्टर एक दिन में अधिकतम 40 मरीज देख सकता है। लेकिन, सरकारी हॉस्पिटल्स की ओपीडी में मरीजों की लंबी लाइन लगती है। उदाहरण के तौर पर बेली हॉस्पिटल में 37 डॉक्टरों की पोस्ट है। इसमें से 34 तैनात हैं। हॉस्पिटल में औसतन 2700 मरीज रोजाना आते हैं। प्रत्येक डॉक्टर रोजाना 150 मरीज रोजाना अटेंड कर रहा है। यह रेशियो भी तय मानक से काफी अधिक है। यही कारण है कि ओपीडी में मरीज को डॉक्टर एक मिनट का समय भी नही दे पाते।

हमारे पास पर्याप्त संख्या में डॉक्टर्स तैनात हैं। इनमें से तीस डाक्टर पीजी करने के लिए अवकाश पर हैं। अर्बन पीएचसी में भी 19 पद खाली हैं। उनकी तैनाती जल्द की जानी है। मरीजों को गुणवत्तापूर्ण इलाज दिलाने की पूरी कोशिश की जा रही है।

डॉ। गिरिजाशंकर बाजपेई, सीएमओ

डॉक्टरों की कमी बनी हुई है और इसके मुकाबले मरीज अधिक हैं। प्राइवेट और सरकारी सेक्टर में अधिक संख्या में डॉक्टर्स की जरूरत है। तभी मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया हो सकेगा।

डॉ। बीके मिश्रा,

पूर्व सचिव, एएमए