RANCHI : पुरूलिया रोड स्थित सेंट जेवियर्स कॉलेज के सामने स्थित ऑटो स्टैंड पर सबसे ज्यादा भीड़ स्टूडेंट्स की होती है। पुरूलिया रोड स्थित विभिन्न कॉलेज, स्कूल और एजूकेशनल इंस्टीट्यूट्स के स्टूडेंट्स को इन्हीं ऑटो पर निर्भर होना पड़ता है। लेकिन, कुछ मिनट का सफर इनके लिए घंटों का सफर बन जाता है। ये ऑटोवाले तीन पैसेंजर्स की सीट्स पर अक्सर चार पैसेंजर्स को पीछे बैठाते हैं। ये ऑटो सेंट जेवियर्स कॉलेज के सामने से खुलते हैं और डंगरा टोली चौक, कांटा टोली चौक होते हुए लोआडीह स्टैंड तक जाते हैं। इस बीच कांटाटोली तक जमकर ओवरलोडिंग होती है।

लड़कियों को कहते हैं एडजस्ट करने

यहां ओवरलोडिंग वाले ऑटो को बाकायदा नंबर के साथ खोला जाता है। ऑटो स्टैंड पर खड़े ओनर हर ऑटो में ओवरलोडिंग होते देखते हैं। बाकायदा लड़कियों को पीछे की सीट पर एडजस्ट करने के लिए भी कहा जाता है। अगर ऑटो में ओवरलोडिंग नहीं हो, तो रास्ते में उसे पूरा भर लिया जाता है। इस रूट के तमाम ऑटो में ज्यादातर स्टूडेंट्स ही सफर करते हैं, इसके बावजूद ऑटो ड्राइवर्स तेज स्पीड में ओवरलोडेड ऑटो को चलाते हैं। इन ऑटो में न तो सेफ्टी रॉड लगे हैं और न ही उनमें पैसेंजर्स की संख्या की कोई लिमिटेशन होती है।

एक्सीडेंट की होती है संभावना

कांटाटोली चौक और डांगरा टोली चौक पर अक्सर जाम लगता है। टू-ह्वीलर्स और फोर-ह्वीलर्स के बीच ओवरलोडेड ऑटो अक्सर तेज स्पीड में चलते हैं, जिसकी वजह से कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। कांटाटोली चौक पर ट्रैफिक पुलिस की बड़ी तादाद होती है। हर दिन ओवरलोडेड ऑटो उनके सामने से गुजरते हैं, लेकिन उनकी ओर से भी कोई रोक-टोक नहीं की जाती है। वहीं, स्टूडेंट्स कहते हैं कि वे चाहकर भी इन ऑटोवालों को ओवरलोडिंग करने से नहीं रोक सकते, क्योंकि हर ऑटो का यही हाल होता है और आने-जाने के लिए छोटे ऑटो ही एकमात्र साधन हैं।

'हमें कहीं भी आने-जाने के लिए सबसे ज्यादा ऑटो पर निर्भर करना पड़ता है। लेकिन, जब भी ऑटो में बैठती हूं, इतनी ज्यादा परेशानी और इनसिक्योरिटी बढ़ जाती है कि हमें कई तकलीफों का सामना करना पड़ता है। अक्सर पीछे की सीट पर कभी तीन तो कभी दो लड़कों के साथ एडजस्ट करना पड़ता है। कई बार अकेली बैठती हूं, लेकिन आगे चलकर, तीन लड़कों को पीछे की सीट पर बैठा लिया जाता है, बीच रास्ते में होने के कारण हमारा ऑटो से उतरना भी पॉसिबुल नहीं होता है। मजबूरी में हमें सफर करना ही पड़ता है.'

-वर्षा तिवारी

स्टूडेंट

'ऑटो ड्राइवर्स की हर दिन की मनमानी का शिकार स्टूडेंट्स से लेकर महिलाओं, युवा और बुजुर्गो को भी होना पड़ता है। ऑटोवाले जबरन ओवरलोडिंग कर ऑटो चलाते हैं। इन्हें कोई रोकता नही है और ओवरलोडिंग किए बिना ये चलते नहीं हैं। प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस को शहर को ओवरलोडिंग से फ्री करने के लिए सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.'

-रवि मुंडा