आगरा। 'करे कोई और भरे कोई' वाली कहावत दयालबाग क्षेत्र में बहुमंजिला इमारतों में फ्लैट्स खरीदने वालों पर सटीक बैठ रही है। एनजीटी के आए निर्णय के बाद संभावित यमुना फ्लड जोन में बनी बहुमंजिला इमारतों में कोई भी खरीद-फरोख्त नहीं हो सकेगी। यहां तक कि फ्लैट्स के मालिक आगामी निर्णय आने तक उसे बेच नहीं सकेगा।

हमारा क्या दोष?

दयालबाग क्षेत्र में फ्लैट्स खरीदने वाले अब बेहद ही परेशान हैं। वे कह रहे हैं कि गलती एडीए और बिल्डर की है। एडीए ने क्यों एप्रूव किया? इसके लिए बिल्डर, एडीए, सिंचाई और राजस्व विभाग जिम्मेदार हैं और भुगतना मासूम जनता को पड़ रहा है। गाढ़ी कमाई का बड़ा हिस्सा लगाने के बाद भी आज उनके पास मालिकाना हक नहीं है। अगर वे फ्लैट्स में रह नहीं रहे हैं और अब वे रहना चाहते हैं तो भी वे अब अग्रिम आदेशा तक शिफ्ट नहीं हो सकेंगे। और न ही अपने फ्लैट को बेच सकेंगे। दूसरों की गलती का भुगतान उन्हें भोगना पड़ रहा है।

अगली सुनवाई तक लगी रोक

एनजीटी में डीके जोशी ने याचिका दायर की थी, जिसपर सुनवाई करते हुए आदेश दिया है कि संभावित फ्लड जोन में बनीं मल्टीस्टोरीज में किसी प्रकार का निर्माण कार्य नहीं हो सकेगा। इसके साथ ही फ्लैट तैयार होने के बाद भी बिल्डर पजेशन नहीं दे सकेंगे। इसके साथ ही किसी भी थर्ड पार्टी को इनवॉल्व नहीं किया जाएगा। इस तरह कोई भी अपने फ्लैट को बेचकर अपना पैसा सुरक्षित नहीं कर सकेगा।

1978 नहीं 1990 के आधार पर निर्धारित होगा यमुना डूब क्षेत्र

याचिका कर्ता की याचिका के अनुसार यमुना फ्लड जोन का निर्धारण किया जाता तो न जाने कितने बेघर हो जाते। याचिकाकर्ता ने वर्ष 1978 में आई बाढ़ के अनुसार डूब क्षेत्र निर्धारित किए जाने का अपनी याचिका में जिक्र किया था। लेकिन इसपर गौर न करते हुए एनजीटी ने सिंचाई विभाग, राजस्व व जल निगम को संयुक्त रूप से यमुना डूब क्षेत्र 25 वर्ष पूर्व तक आई बाढ़ के आधार पर निर्धारित किए जाने के निर्देश दिए हैं। यह निर्णय काफी हद तक लोगों के हित में साबित होगा। अगर वर्ष 1978 के आधार पर यमुना डूब क्षेत्र का निर्धारण किया जाता तो काफी बेघर हो जाते।

पाड़बंदी के दिए निर्देश

एनजीटी ने निर्देश दिए हैं कि यमुना डूब क्षेत्र का निर्धारण करने के साथ ही पाड़बंदी किए जाने के निर्देश दिए हैं.एनजीटी ने एडीए को जिम्मेदारी सौंपी है कि वह आदेशों का पालन कराया जाए। आदेशों के अनुपालन में एडीए बिल्डरों को नोटिस देने की तैयारी कर रहा है कि वे अग्रिम आदेशों तक कोई किसी प्रकार की अपने प्रोजेक्ट्स पर कार्य न कराएं। इसके साथ रजिस्ट्रार को चिट्ठी लिखी जा रही है कि वे इन बिल्डिंगों में किसी प्रकार की रजिस्ट्री न करें।