मुख्यमंत्री जी, मीटिंग में आपको सिर्फ फरेब दिखा रहा है बनारस का सिस्टम

शहर तो दूर जिला मुख्यालय और सर्किट हाउस के बाहर निकल कर जरा टहल आइए

आपको नजर आ जाएगा हर कदम पर खामियों का अम्बार, समस्याओं का पहाड़

VARANASI

VARANASI.inext.co.in

माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ जी। आज हम आपसे कोई शिकायत नहीं करेंगे। सिर्फ आपको आइना दिखाएंगे जिसमें आप देख सकेंगे बनारस की त्रासद तस्वीर। तमाम समस्याओं से जूझती पब्लिक की तल्ख हकीकत। योगी जी, इस मजमून को आप खबर मत समझिए। इसे खुला खत जानिए और गौर से पढि़ए। थोडे़ को ज्यादा जानिए। हमें पता है कि इस समय जब आप ये सब पढ़ रहे होंगे तो सर्द सुबह को चाय की चुस्की से गर्म करने की कोशिश कर रहे होंगे। थोड़ी देर बाद हाई लेवल मीटिंग में बनारस का प्रशासन आपको आंकड़ों की बाजीगरी के साथ यह बता कर भरमाएगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र विकास की राह पर काफी आगे बढ़ चुका है। लेकिन अफसोस की ये सब फरेब है। झूठ है।

साक्षात नर्क का अहसास

सीएम साहब, पूरा शहर छोडि़ए, उतना घूमने के लिए तो आपके पास वक्त ही नहीं होगा। आपको उड़नखटोला पकड़ना है और दिल्ली जाना है। आपकी मीटिंग कमिश्नरी में चल रही होगी। बस आप उस मीटिंग से बाहर निकल कर आसपास के इलाके में पैदल घूम आइए। रात आपने सर्किट हाउस में गुजारी थी। उसके पिछवाडे़ की गलियों से भी जरा वाकिफ हो लीजिए। कसम गुरु गोरखनाथ की हम सच कह रहे हैं, आपको जीते जी नर्क का अहसास हो जाएगा। बजबजाती नालियां, उखड़ी सड़कें, कूडे़ का अम्बार, खोदाई के बीच कहीं खो गये गलियों में किसी जमाने में बिछे पत्थर के चौके और बदनसीबी। न, न, ये पूरे शहर का सीन नहीं है सर। ये तो हमारे जिला मुख्यालय के महज एक किलोमीटर के दायरे का प्रारब्ध है। पूरे शहर की हालत का अगर आप पैदल चल कर दीदार भर कर लें तो यकीन मानिए कि आप सीएम की कुर्सी और गोरखनाथ की महंथई छोड़ कर बाबा विश्वनाथ से दीक्षा ले लेंगे।

बेचारी वरूणापुल की सड़क

योगी जी, वरूणापुल से उतर कर आप जब शहर की तरफ आएंगे तो जरा दाहिने हाथ कैंटोनमेंट की तरफ घूम जाइए। अगर आप कार से होंगे तो नाश्ते में खाया सारा सामान पेट से बाहर आ जाएगा। और अगर आप पैदल होंगे तो निश्चित रूप से मुंह के बल गिरने बचेंगे। यहां 50 मीटर की दूरी पर 74 गड्ढे आपका इस्तकबाल करने को तैयार मिलेंगे। हम तो हैरान इस बात को लेकर हैं कि हमारे शहर के सारे फाइव स्टार होटल इसी इलाके में हैं। यहां ठहरने वाले देसी परदेसी सैलानी हमारे बारे में क्या राय बना कर जाते होंगे? आपके शासन को कितना कोसते होंगे? आपको ये जानकर हैरत होगी कि हमारे डीएम साहब और एसएसपी साहब लोग भी इसी इलाके में रहते हैं और यहां से हिचकोले खाते रोज अपने दफ्तर आते जाते हैं। हमने एक दो बार खबर और फोटो छापकर इन्हें बताया भी लेकिन आप जानते ही हैं कि साहब लोगों के पास वक्त नहीं होता। जब टाइम ही नहीं है तो एक्शन कैसे हो। इनके अलावा और भी कई अफसर इसी कैंटोनमेंट में रहते हैं। हो सकता है कि आपके अफसर आपको बताएं के ये रोड कैंटोनमेंट की है लेकिन सर माफ करिए छोटे मुंह बड़ी बात, ये रोड है तो बनारस, यूपी या अखंड भारत में ही न? फिर इसको बनाने में क्या दिक्कत है?

प्लीज, कस दीजिए चूड़ी

कमिश्नर साहब के दफ्तर और बंगले के पीछे भी कमोबेश ऐसा ही सीन है। वहां भोजूबीर और डिठोरी महाल के आसपास की गलियों में बहती नाली, खुलेआम कटते बिकते बकरे और मुर्गियां यह साबित करने के लिए काफी है यहां किसी पर किसी का कोई जोर नहीं है। और आगे बढ़ लीजिए अर्दली बाजार, महावीर मंदिर, पांडेपुर से लेकर पहडि़या तक के लोग कई तरह की मुसीबतों के बीच जिंदा कैसे हैं ये आश्चर्यजनक है। जाम का झाम, फ्लाईओवर के नीचे अतिक्रमण, खोद कर छोड़ दी गयी सड़क और गंदगी। आप ये जानकर हैरान भी होंगे कि इन सबके बावजूद सब खुश हैं। अच्छे दिन की आस में सबने शहर, सूबे और केंद्र की सरकार के लिए कमल का फूल ही खिलाया।

योगी जी, ये तो हम आपको सिर्फ आपकी मीटिंग वाली जगह के आसपास के बारे में बता और दिखा रहे हैं। पूरे शहर का दर्द दिखा कर आपको दुखी नहीं करना चाहते। बस हम चाहते हैं कि आप अपने सिस्टम की ढीली हो रही चूड़ी को जरा कस दीजिए। आप खुद ही देख लीजिए न, जब ये अपने आसपास के हालत को नहीं सुधार सकते तो पूरा शहर या जिला क्या खाक सुधारेंगे? योगी जी, समझ रहे हैं ना?