हमें अभी समय चाहिए

मुख्य अभियोजक चौधरी अजहर का कहना है कि हम आतंकवाद विरोधी अदालत के आदेश की प्रति हासिल कर पाने में मुश्किल का सामना कर रहे हैं. आदेश की प्रति नहीं मिल पाने के कारण जमानत को चुनौती देने वाली याचिका भी दायर नहीं कर पा रहे हैं.  हम मामले में अपील दायर करने की बात पर भी कुछ नहीं कह सकते. हमें नहीं पता कि इसमें अभी अपील दायर कर पाएंगे या नहीं. मामला गंभीर है और अदालत के आदेश की प्रति हासिल करने से जुड़ा हुआ है. अदालत के आदेश की प्रति मिलने के बाद हमें याचिका तैयार करने के लिए समय चाहिए. हमें इस मामले में काफी गंभीरता से कदम बढ़ाना है.

दो सदस्यीय पीठ का गठन

वहीं लखवी के वकील वकील राजा रिजवान अब्बासी का कहना है कि हमने हमले के संदर्भ में पाक न्यायिक आयोग के रिकॉर्ड को सबूत का हिस्सा बनाने के अदालती आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की है. इस्लामाबाद हाई कोर्ट की ओर से लखवी की याचिका पर सुनवाई के लिए दो सदस्यीय पीठ का गठन किया गया है. मुंबई हमले के मामले में लखवी के अलावा यहां छह दूसरे आतंकवादियों अब्दुल वाजिद, मजहर इकबाल, हम्माद अमीन सादिक, शाहिद जमील रियाज, जमील अहमद और यूनुस अंजुम को भी अभियुक्त बनाया गया है. पाकिस्तान में मुंबई हमले की 2009 से ही सुनवाई चल रही है

पाक ने जताया था अफसोस

आतंकवाद विरोधी अदालत ने बीते 18 दिसंबर को सबूत के अभाव का हवाला देते हुए लखवी को जमानत दे दी थी. हालांकि वह जेल से बाहर नहीं आ सका था, क्योंकि सरकार ने लोक व्यवस्था बनाए रखने संबंधी आदेश के तहत उसे तीन महीने के लिए हिरासत में ले लिया था. भारत ने मुंबई हमले के प्रमुख साजिशकर्ता और लश्कर ए तैयबा कमांडर लखवी की जमानत पर तीखी प्रतिक्रिया जताई थी. कहा था कि यह कतई स्वीकार्य नहीं है और इस फैसले को वापस लिया जाना चाहिए. इस पर पाक सरकार ने भी कहा था कि हमे लखवी की जमानत पर अफसोस है. हम इसके खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर करेंगे.

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