अफ़ग़ानिस्तान की सरकार पिछले कुछ महीनों से इस बात के लिए पाकिस्तान पर दबाव बना रही थी कि पाकिस्तानी जेल में बंद शीर्ष तालिबान कमांडर मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर को रिहा कर दिया जाए.

अफ़ग़ानिस्तान का तर्क है कि इससे शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी.

पाकिस्तान ने आख़िरकार ये बात मानते हुए शनिवार को मुल्ला बरादर को रिहा कर दिया.

मुल्ला बरादर उन चार लोगों में से एक हैं जिन्होंने 1994 में अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान आंदोलन की शुरुआत की थी.

गिरफ़्तारी

अमरीका में हुए 9/11 हमलों के बाद अमरीका ने अफ़ग़ानिस्तान पर हमला कर तत्कालीन तालिबान सरकार को सत्ता से हटा दिया था.

उसके बाद तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान में तैनात अमरीकी सेना के विरोध में हिंसक संघर्ष शुरू कर दिया. मुल्ला बरादर इस संघर्ष की अगुआई करने वाले नेताओं में से थे.

लेकिन 2010 में उन्हें कराची से गिरफ़्तार कर लिया गया था.

पाकिस्तानी गृह मंत्रालय के उमर हामिद ने समाचार एजेंसी एएफ़पी से बातचीत में इस बात की पुष्टि कर दी है कि मुल्ला बरादर को रिहा कर दिया गया है.

कराची स्थित बीबीसी संवाददाता शाहज़ेब जिलानी के अनुसार अफ़ग़ान सरकार पिछले तीन सालों से उनकी रिहाई के लिए पाकिस्तानी सरकार से अपील कर रही थी.

लेकिन अभी ये तय नहीं है कि रिहाई के बाद मुल्ला बरादर कहां जाएंगे. शाहज़ेब जिलानी के अनुसार हो सकता है कि मुल्ला बरादर एक तीसरे देश संयुक्त अरब अमीरात चले जाएं.

शाहज़ेब का कहना है कि पाकिस्तान ने पहले भी तालिबान कमांडरों को रिहा किया है लेकिन उनकी रिहाई की उतनी चर्चा नहीं हुई थी जितनी मुल्ला बरादर के बारे में की जा रही थी.

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