क्या है संविधान
पाक संविधान कहता है कि यहां के सांसदों को हर साल 30 सितंबर तक अपनी संपत्ति का पूरा-पूरा ब्योरा चुनाव आयोग को सौंपना होता है. इसके बाद अगर पाकिस्तान चुनाव आयोग चाहे तो अपनी मर्जी से (ईसीपी) डेडलाइन को 15 दिनों के लिए बढ़ा सकता है. इसके विपरीत अगर न भी चाहे तो यह उसके अपने विवेक पर निर्भर करता है. ऐसे में सख्ती के लिए वो जो चाहे वो कदम उठा सकता है.  

क्या थी समयसीमा
ईसीपी के अनुसार उसकी ओर से संपत्ति के ब्यौरे सौंपने के लिए 15 अक्टूबर की समयसीमा तय की गई थी. आदेश और नियम पर गौर करें तो उसके अनुसार  कुल 210 सांसदों ने अपनी संपत्तियों एवं देनदारियों के ब्योरे जमा नहीं किए हैं. ऐसे में नियम के अनुसार निलंबित किए गए सदस्यों में अधिकतर प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन से ताल्लुक रखते हैं.

निलंबन के दौरान नहीं शामिल हो सकेंगे सत्र में  
संपत्ति का ब्यौरा सौंपने की समयसीमा खत्म होने पर चुनाव आयोग की ओर से जारी एक अधिसूचना में यह भी कहा गया था कि ईसीपी ने आदेश दिया है कि आदेश का पालन न करने पर सदस्य अपनी विधानसभाओं के सत्र में निलंबन की अवधि के दौरान शामिल नहीं हो सकेंगे. ऐसे में अगर नियत समय के अंदर वह ब्यौरा सौंप देते तो उन्हें सत्र में शामिल होने की पूर्ण रूप से अनुमति मिल जाती, लेकिन इसके लिए ध्यान रखना था नियत समय को.

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