कोर्ट का ये आदेश 15 दिनों के बाद लागू होगा और इस दौरान कोई भी पक्ष यानी स्वयं मुशर्रफ़ या पाकिस्तान सरकार हाई कोर्ट के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती है.

सिंध हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस मज़हर अली की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मुशर्रफ़ का नाम ईसीएल (एक्जिट कंट्रोल लिस्ट) से हटाए जाने के सिलसिले में मुशर्रफ़ की अपील पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए सरकार की दलील को खारिज कर दिया.

सरकार का कहना था कि  मुशर्रफ़ पर बेनजीर भुट्टो हत्या मामला, नवाब अकबर बुगती हत्या मामला, लाल मस्जिद ऑपरेशन और दूसरे कई मामले अदालत में विचाराधीन हैं और वो इन मामलों में अदालत के सामने पेशी से बचना चाहते हैं.

सरकार का कहना था कि अगर मुशर्रफ़ को विदेश जाने की इजाज़त दी जाती है तो वो दोबारा लौटकर नहीं आएंगे.

अपील

इससे पहले मुशर्रफ़ के वकील की तरफ़ से दायर अपील में कहा गया था कि सरकार बदले की कार्रवाई के तहत ऐसा कर रही है. मुशर्रफ़ के वकील के अनुसार केस तो कई लोगों पर हैं लेकिन उनके विदेश जाने पर कोई पाबंदी नहीं है.

वकील के अनुसार मुशर्रफ़ को देश की कई अदालतों से ज़मानत मिल चुकी है और किसी भी ट्रायल कोर्ट ने उनके देश से बाहर जाने पर कोई पाबंदी नहीं लगाई है.

वकील के अनुसार पाकिस्तान सरकार के द्वारा मुशर्रफ़ के विदेश जाने पर पाबंदी लगाना संविधान की अवहेलना है.

ग़ौरतलब है कि पांच अप्रैल 2013 को पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने मुशर्रफ़ का नाम ईसीएल में इसलिए डाला था कि वो अपने ऊपर चल रहे मुक़दमों का अदालत में सामना करें.

International News inextlive from World News Desk