सीपीईसी को लेकर पाकिस्तान भयभीत

पाकिस्तान सरकार को डर है कि भारत ने 400 मुसलिम युवाओं को स्पेशल ट्रेनिंग के लिए अफगानिस्तान भेजा है। वे मौका देखकर कभी भी सीपीईसी पर हमला बोल सकते हैं। इसी मद्देनजर उसने संबंधित राज्य को सतर्कता बरतते हुए अपनी महत्कांक्षी योजना की सुरक्षा पुख्ता करने का आदेश दिया है। सीपीईसी के रास्ते में 24 ब्रिज आते हैं। इस मार्ग पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। पुलों पर हथियारों से लैस पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। स्थानीय होटलों की तलाशी ली जा रही है।

पहला फेज पूरा, भारत को है ऐतराज

सीपीईसी का पहला फेज पूरा हो चुका है। 46 बिलियन डॉलर की यह परियोजना बलूचिस्तान के ग्वादर से लेकर चीन के शिनजियांग तक प्रस्तावित है। पाकिस्तान सरकार अकसर भारत पर आरोप लगाती आ रही है कि भारत इस परियोजना में अड़ंगे डाल रहा है। भारत ने इस परियोजना पर अपनी खुफिया एजेंसी रॉ की मदद से लगातार नजर रख रहा है। दरअसल सीपीईसी भारतीय क्षेत्र गिलगित-बाल्टिस्तान से होकर गुजरता है, जो अभी पाकिस्तान के कब्जे में है। इसीलिए पाकिस्तान भयभीत है।

सीपीईसी से असली फायदा चीन को

दरअसल सीपीईसी से असली फायदा चीन को है। इस परियोजना के पूरा होने पर चीन की पहुंच कच्चे तेल तक हो जाएगी। उसका 80 फीसदी कच्चा तेल मलक्का की खाड़ी से होकर शंघाई पहुंचता है। अभी यह रूट करीब 16 हजार किमी है जो इस परियोजना के पूरा होने पर 5 हजार किमी की दूरी घट जाएगी। इसका एक फायदा चीन की नेवी को भी मिलेगा वह ग्वादर पोर्ट पर अपना नेवल बेस बनाएगा। यहां वह अपने जंगी बेड़ों की मरम्मत और रखरखाव की व्यवस्था कर सकेगा।

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