- 10 जुलाई 2013 को पाकिस्तान की जेल से रिहा होकर घर पहुंचा था यशपाल

-जिला प्रशासन ने यशपाल के परिजनों को 20 बीघा जमीन देने और आर्थिक मदद का किया था वादा

BAREILLY :

पाकिस्तान की कु2यात कोट ल2ापत जेल में 3 वर्ष 39 दिन अत्याचार सहने के बाद यशपाल अपने घर तो पहुंच गया, लेकिन जेल में वह अत्याचार सहते-सहते सुध-बुध 2ाो बैठा था। यशपाल आज सिर्फ इंडिया-इंडिया-इंडिया का नारा लगाता है। शोषण का दंश झेलने के बाद जब से यशपाल घर पहुंचा, तब से उसका इलाज बरेली के मानसिक चिकित्सालय में चल रहा है। पर अफसोस मानवाधिकार आयोग को जिला प्रशासन द्वारा 5ोजी गई एक रिपोर्ट ने उसकी मदद के सारे रास्ते ही बंद कर दिए। तत्कालीन डीएम अ5िाषेक प्रकाश ने उसकी मदद के लिए 20 बीघा जमीन देने की घोषणा की थी। वह घोषणा आज तक जमीन पर नहीं उतर पाई। क5ाी देश 5ार में चर्चा का विषय बने यशपाल को आज पूछने वाला कोई नहीं है। 5ाूमिहीन परिवार उसे मानसिक चिकित्सालय लेकर आता है तो डॉ1टर उसका मानसिक संतुलन ठीक होने के लिए दवा दे देते हैं।

नहीं हो सका आइर्यू टेस्ट

2017 में बरेली की तत्कालीन डीएम पिंकी जोवल को यशपाल के स्वास्थ्य को लेकर रिपोर्ट देने का आदेश दिया। ताकि इलाज के लिए यशपाल के परिवार को आर्थिक मदद दी जा सके। इस पर वर्तमान डीएम कैप्टन आर विक्रम सिंह ने 26 अ1टूबर, 2017 को मानवाधिकार आयोग को रिपोर्ट भेजी, जिसमें कहा गया कि यशपाल शारीरिक रूप से स्वस्थ है और उसका किसी अस्पताल में इलाज नहीं चला रहा। फरीदपुर तहसीलदार दो बार यशपाल को आई1यू टेस्ट के लिए मानसिक चिकित्सालय बरेली ले गए, लेकिन डॉ1टर्स के उपल4ध न होने के कारण यह टेस्ट नहीं हो सका। रिपोर्ट के अनुसार इसके बाद यशपाल के पिता बाबू राम ने टेस्ट कराने से इनकार कर दिया। डीएम की इसी रिपोर्ट के आधार पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पीडि़त की मदद के लिए प्रदीप कुमार की दायर याचिका को 1लोज कर दिया।

दिल्ली से पहुंच गया था बॉर्डर पर

मानसिक चिकित्सालय ट्यूजडे को यशपाल को दवा दिलाने पहुंचे उसके पिता वीरपाल ने बताया कि वह परिवार के साथ फरीदपुर के गांव पढ़ेरा में मजदूरी करते हैं। पांच बच्चों में यशपाल सबसे बड़ा है। यशपाल 2009 में गांव के अन्य लोगों के साथ मजदूरी करने के लिए दिल्ली चला गया। वहां पर काम नहीं मिला तो वह रि1शा चलाने लगा। वर्ष 2011 में वह ट्रेन में बैठ गया, जहां से रास्ता 5ाटक कर वह पाकिस्तान बॉर्डर पर पहुंच गया। सीमा उल्लंघन के मामले में उसे पाकिस्तान की कोट ल2ापत जेल में डाल दिया गया। बेहद गरीब परिवार यशपाल का पता तक नहीं लगा सका। जानकारी जब जागर संस्था के सचिव डॉ। प्रदीप कुमार को इस बात की जानकारी हुई तो उन्होंने उसे आजाद कराने की मुहिम शुरू की और उसे पाकिस्तान जेल से 3 वर्ष 39 दिन आजाद करा लिया। जिसके बाद वह 10 जुलाई 2013 को अटारी बॉर्डर पर 5ारतीय अधिकारियों को सौंप दिया गया। वहां से जब यशपाल घर पहुंचा तो प्रशासन के अफसर 5ाी उसके गांव पहुंचे और परिवार को 20 बीघा जमीन देने और मदद का 5ारोसा दिया था।

चल रहा मानसिक इलाज

मानसिक चिकित्सालय पहुंचे यशपाल से जब पूछा कि 1या आप पाकिस्तान चले गए थे, तो यशपाल ने बताया कि हां लोग कहते हैं कि मैं पाकिस्तान चला गया था। जब उससे बात करने की कोशिश की गई तो वह कुछ 5ाी बता नहीं सका। यशपाल से गाना सुनाने को कहा तो वह सिर्फ इंडियनइंडियनइंडियन ही सुना सका।