तालिबान के कई लड़ाकों ने बीबीसी से कहा है कि उन्हें बम बनाने की ट्रेनिंग पाकिस्तान के अधिकारियों से मिलती रही है। पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान की सीमा पर तैनात अमरीकी सैनिकों ने भी बीबीसी से कहा है कि उन्होंने पाकिस्तानी सैनिकों को तालेबान को समर्थन करते हुए देखा है।

एक पूर्व सीआईए अधिकारी का कहना है कि अमरीकी ड्रोन विमानों के हमले तभी सफल होने शुरु हुए हैं जब से उन्होंने इन हमलों के बारे में पाकिस्तानी अधिकारियों को जानकारी देनी बंद की है। हालांकि पाकिस्तान और पाकिस्तान के अधिकारी हमेशा से इस बात का खंडन करते रहे हैं कि उनका तालेबान से किसी भी तरह का कोई संपर्क या संबंध है।

इस मुद्दे पर अमरीका और पाकिस्तान के रिश्तों में खटास भी आ चुकी है और दोनों देशों ने एक दूसरे के बारे में कड़े बयान भी जारी किए हैं।

पिछले दिनों अमरीकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने अपनी पाकिस्तान यात्रा के दौरान कहा था कि पाकिस्तान ये न सोचे कि वो अपनी आस्तीन में सांप पालेगा और वो पाकिस्तान को नहीं काटेगा। इसके बाद पिछले हफ्ते पाकिस्तान ने कहा था कि वो अपनी ज़मीन से सक्रिय चरमपंथी गुटों को रोकने के लिए कुछ और क़दम उठा सकता है।

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