सरकार ने दिए जांच के आदेश
पनामा में काले धन को सफेद बनाने के वैश्विक धंधे का पर्दाफाश हुआ है। इसकी धमक दुनिया के अन्य देशों के साथ ही भारत में भी सुनाई दे रही है। काले धन को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाकर सत्ता में आई राजग सरकार ने इस गोरखधंधे में शामिल भारतीयों के बारे में जांच करने का फैसला ले लिया है। सोमवार को इस मामले का खुलासा होने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वित्त मंत्री अरुण जेटली से बात की और मामले की तह तक जाने का निर्देश दिया है। इसके बाद वित्त मंत्रालय ने रिजर्व बैंक, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) और वित्तीय खुफिया इकाई (एफआइयू) की एक संयुक्त टीम बनाकर जांच का जिम्मा दे दिया। काले धन पर पहले से ही सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित एसआइटी भी अपने स्तर से इसकी पड़ताल करेगी। ये जांच किन लोगों ने विदेश में कंपनियां गठित की, उनके विदेश में कंपनी गठित करने का असली उद्देश्य क्या है, ये कंपनिया किस तरह के वित्तीय लेन-देन में शामिल रही हैं और क्या उन्होंने भारतीय कानून का उल्लंघन किया गया है, इन सभी मुद्दों पर केंद्रित होगी।
पूरी जानकारी मांगी
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि सरकार इस पूरे मामले की तह तक जाना चाहती है। इसलिए हमने इसकी जांच सभी संबंधित एजेंसियों की संयुक्त टीम से करवाने का फैसला किया है। जिन लोगों के नाम सामने आए हैं, उनकी तथाकथित कंपनियों की जांच करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे अगर किसी ने गैर कानूनी तरीके से देश के बाहर कुछ किया है तो उसे कड़ी सजा दी जाए। वैसे भारतीय राजनीतिक दलों के लिए राहत की बात यह है कि किसी बड़े राजनेता का नाम इसमें नहीं आया है। जेटली ने इस खुलासे का स्वागत करते हुए कहा कि जिस तरह से यह खुलासा किया गया है वह काफी अच्छा है। आने वाले दिनों में इस खुलासे में कई और नाम सामने आएंगे।
ये है पनामा पेपर्स मामला
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