MATHURA (22 Feb.):विवादों के बादल छंटने के बाद सोमवार को प्रहलादजी के जयघोष से गूंजते गांव फालैन में हीरालाल पंडा विशेष पूजा पर बैठ गया। करीब एक माह चलने वाली इस पूजा के लिए पंडा को कड़ी परीक्षा से गुजरना होगा। सांसारिक दुनिया से मोह त्याग सिर्फ प्रभु की साधना में ही लीन रहेगा। प्रभु उपासना से मिली शक्ति के बूते ही होलिका दहन के दौरान पंडा अंगारों के बीच से सुरक्षित गुजरेगा।

सालों पुरानी परम्परा

फालैन गांव में ये परंपरा कई वर्षो से चली आ रही है। पूर्व घोषित तिथि के अनुसार, सोमवार को हीरालाल पंडा को पूजा पर बैठना था। मगर रविवार की रात इसके साथ कुछ लोगों ने मारपीट कर दी थी। इससे गांव का माहौल बिगड़ गया था। सोमवार को पूजा के आयोजन पर आशंका के बादल मंडराने लगे थे। मगर गांववालों की सूझबूझ से ये बादल आनन-फानन छंट गए।

साथ देने उमड़ा पूरा गांव

पंडा सोमवार सुबह गांव के मंदिर पर पूजा-अर्चना के बाद गांव की परिक्रमा के लिए तैयार हो गए। उनका साथ देने के लिए पूरा गांव उमड़ पड़ा। ढोल-नगाड़ों के साथ सुबह करीब 10 बजे परिक्रमा शुरू हुई। पूरे गांव में भ्रमण करते हुए पंडा प्रहलाद कुंड स्थित प्रहलादजी के मंदिर पर पहुंचे। जहां मेला पुरोहित पंडित भगवान सहाय ने पूजा अर्चना कराई और होलिका रखे जाने वाले स्थान का भी पूजन कराया। इसके बाद उन्होंने प्रहलादजी की मंदिर में पूजित विशेष माला को हीरालाल पंडा को पूजा के लिए दी गई। प्रह्लादजी की प्राचीन मूर्ति के समक्ष एक माह के कड़े तप के नियमों को धारण करने का सार्वजनिक संकल्प लेकर हीरालाल पंडा एक माह की कड़ी पूजा पर बैठ गए।

अंगारों से निकलने का रहा इतिहास

करीब 25 वर्षीय हीरालाल पंडा के परिवार का धधकते अंगारों से निकलने का पुराना इतिहास रहा है। पंडा ने बताया कि पहले उनके दादा कुंवरपाल पंडा निकले थे। जबकि ताऊ बलराम पंडा और चाचा सुशील पंडा भी धधकते अंगारों से निकल चुके हैं।

ये होते हैं तप के

कड़े नियम

पंडा को एक माह तक घर-गृहस्थ से त्याग करना होता है।

पूरे महीने फलाहार करेंगे, गांव के बाहर नहीं जा सकेंगे।

घर पर किसी भी प्रकार का कोई विशेष कार्यक्रम हो या फिर शादी-विवाह, लेकिन नहीं जा सकेंगे।

पूरे माह नंगे पैर रहेंगे। अल्प विश्राम भी वह जमीन पर या तख्त पर ही कर सकेंगे।

दैनिक कार्यो से विरत होकर अधिकतर समय पूजा में ही व्यतीत करेंगे। प्रात: पूजा के बाद दोपहर में जमीन में ही विश्राम के बाद ध्यान करेंगे। संध्या वंदन के बाद प्रात: तीन बजे तक पूजा होती है।