-भक्ति की शक्ति देख चौंधियाईं हजारों आंखें

-फालैन में रात्रि भर हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम

मथुरा। धर्मग्रंथों में लिखी होलिका की कहानी कोसी क्षेत्र के गांव फालैन में गुरुवार भोर में एक बार न केवल ताजा हो गई बल्कि प्रासंगिक भी हुई। धधकते अंगारों के बीच हीरालाल पंडा उसी तरह से सकुशल निकल आए, जिस तरह से भक्त प्रहलाद जलती हुई होलिका के आगोश से बचकर निकले थे। भक्ति की शक्ति देख लोगों के हुजूम ने प्रहलाद के जयकारे लगाए। हीरालाल पंडा ने ये शक्ति एक महीने तक तप करने के बाद हासिल की थी।

फालैन के विश्व प्रसिद्ध पंड़ा मेले में शामिल होने के लिए देश ही नहीं, विदेशी भक्त भी फालैन में पहुंचे थे। भक्तों ने प्रहलाद कुण्ड पर पहुंचकर आचमन किया और मंदिर में तप कर रहे पंडा के दर्शन कर उस हैरतअंगेज क्षण को निहारने के लिए इंतजार शुरू कर दिया। बुधवार देर रात्रि होते-होते वहां गली-गली में होली गायन शुरू हो गये। उधर बारी-बारी से विभिन्न गांव पंचायतों के हुरियारे ढोल-नगाडों के साथ होलिका को परंपरागत रूप से मनाते रहे। रात्रि बारह बजे मेला स्थल पर श्रद्धालुओं ने अपनी आंखें विशाल होलिका पर जमा लीं। ठीक साढ़े तीन बजे मंदिर मे बैठे हीरालाल पंडा ने अग्निदेव से होलिका में प्रवेश की आज्ञा के लिए प्रार्थना शुरू कर दी। जैसे ही पंडा को अपने हाथ पर रखे दीपक की लौ में ठंडक महसूस हुई, उन्होंने होलिका में आग लगाने के लिए इशारा कर दिया। इशारा मिलते ही होलिक में अग्नि प्रवेश करा दी गई। करीब चार बजे पंडा पंडितों और समाज के साथ प्रहलाद कुण्ड पर पहुंचे। इधर पंडा की बहन ने विशाल होलिका की दुग्ध धार से परिक्रमा लगाकर अपने भाई की होलिका मैया से सकुशलता की प्रार्थना की। सवा चार बजे होलिका के अंगारे धधक उठे और इसी दौरान हीरालाल पंडा प्रहलाद कुंड में डुबकी लगाकर धधकती होलिका की ओर दौड़ पडे। हुजूम की आंखें अपलक थीं। एक-एक भी क्षण आंखों से ओझल नहीं होने दे रहे थे। हीरालाल पंडा अंगारों के बीच से होकर सकुशल निकले। प्रहलाद मंदिर के द्वार पर खड़े समाज के लोगों ने पंडा को अपनी अंक में भर लिया। अदभुत और हैरतअंगेज कारनामे को देख वहां मौजूद हजारों श्रद्धालुओं के मुख से भक्त और भगवान के जयकारों से वातावरण गुंजायमान हो गया।