- दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के पैनल डिस्कशन में शहर के बुद्धजीवियों ने मूलभूत समस्याओं पर रखे अपने विचार

>BAREILLY:

आजादी के 71 वर्ष बाद भी हमें शिक्षा के गिरते स्तर, अंधेरे, सड़क पर गड्ढों से आजादी नहीं मिल सकी है। आज भी लोग मूलभूत सुविधाओं से लोग जूझ रहे हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने इन समस्याओं से हमें कब मिलेगी आजादी थीम पर 15 अगस्त से लगातार 10 दिन तक कैम्पेन चलाकर समस्याओं को उजागर किया। इन तमाम समस्याओं से बचने के उपाय क्या है, कैसे निपटा जा सकता है पर एक पैनल डिस्कशन थर्सडे को आयोजित किया। जिसमें नगर आयुक्त, एसपी सिटी, डीआईओएस, उद्यमी, प्रिंसिपल और पब्लिक ने शिरकत की और अपने विचार व्यक्त किए। आइए जानते हैं

सरकारी स्कूलों के गिरते स्तर पर कैसे लगे रोक

डीआईओएस डॉ। अचल कुमार मिश्रा ने कहा सरकार अपने तरफ से इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप कर रही है। लेकिन पेरेंट्स को भी एक कदम आगे बढ़कर आना होगा। उन्हें इस बात की नजर रखनी होगी कि टीचर क्या कर रहा है। पेरेंट यदि इस बात की शिकायत करना शुरू कर दें कि टीचर क्या और कैसे पढ़ा रहे हैं तो अपने आप ही शिक्षा का स्तर सुधर जाएगा।

व्यापारी सुनील खत्री ने कहा समस्या इस बात की है कि टीचर को नॉलेज ही नहीं तो शिक्षा में कैसे सुधार होगा। टीचर्स की वर्कशॉप होते रहनी चाहिए।

विद्या भवन पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल योहान कंवर ने सरकारी स्कूला हाइजेनिक नहीं हैं। बच्चों की सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं होता है। प्रिंसिपल और टीचर के पास कोई डिसीजन लेने पॉवर नहीं है। टीचर को ट्रेनिंग दी जाती है, लेकिन अधिकारी आब्ॅजर्व नहीं करते हैं कि टीचर स्कूल में उन बातों को आगे डिलीवर कर रहा है या नहीं। यही वजह है कि तमाम इंफ्रास्ट्रक्चर के बावजूद सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर गिरा है।

पार्षद राजेश अग्रवाल ने कहा लोगों ने प्राइमरी स्कूल में पढ़ाई को गरीबी का सिंबल बना दिया है। यही वजह है कि लोग अपने बच्चे को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाना चाहते हैं। यही सरकारी स्कूल में शिक्षा के गिरते स्तर का दुर्भाग्य है। जबकि, हॉयर एजुकेशन में ऐसा नहीं होता है.

नगर आयुक्त राजेश श्रीवास्तव ने कहा कि लोगों में दिखावा आ गया है। प्राइवेट स्कूलों में भेजने का अंग्रेजी बोलने की होड़ हो गई है। जैसे ही समाज के प्रतिष्ठित लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजना शुरू कर देंगे सरकारी स्कूलों में पढ़ाई के स्तर में सुधार हो जाएगा। टीचर में यह डर बैठ जाएगा कि पढ़ाई नहीं करवाएंगे, स्कूल साफ सुथरा नहीं रहेगा या गैर हाजिर रहेंगे तो ऊपर तक शिकायत पहुंचेगी और उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।

कैसे मिले क्राइम से आजादी

बढ़ते क्राइम से आजादी पर एसपी सिटी अिभनंदन सिंह ने कहा पापुलेशन के हिसाब से पुलिस रिसोर्स नहीं है। मैन पावर काफी कम है। जिस कारण कई मर्तबा इम्पार्टेट प्वाइंट तक कवर नहीं हो पाते हैं। पुलिसकर्मियों का ड्यूटी ऑवर तय नहीं है। एक ही पुलिसकर्मी से सुबह, दोपहर और शाम और पूरी रात ड्यूटी ली जा रही है। जिस वजह से समस्याएं आती है। फिलहाल अपराध पर अंकुश के लिए पुलिस हर महीने क्राइम की रिपोर्ट तैयार कर अध्ययन करती है कि किन प्वाइंट पर और कौन लोग अपराध कर रहे हैं। समाज में सोशल एक्टिविटी का कम होना भी अपराध बढ़ने का कारण है। क्योंकि, आज के समय में हम अपने आसपास के लोगों को ही नहीं पहचानते हैं। बदमाशों में इस बात का डर नहीं रहता है कि उन्हें कोई पहचान लेगा। ज्यादातर अपराध कम उम्र के लड़के कर रहे हैं। जो कि नशे के आदती है। अपराध पर रोक लगाने के लिए क्राइम मैपिंग कराई जा रही है। व्यापारी सुनील खत्री ने कहा कि किसी मामले में जितने भी पीडि़त हैं उनकी सबकी एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। जिससे फ्रॉड करने वाला बाहर न निकल सके। सीए सुधीर मेहरोत्रा ने कहा कि लोग अधिकार तो चाहते हैं, लेकिन कर्तव्यों की बात नहीं करते हैं। अपराध के पीछे यह भी एक बड़ा कारण है। उद्यमी आरके खंडेलवाल ने कहा लोगों में डर तो है, लेकिन सिविक सेंस नहीं है। पुलिस पर पोलिटिकल दबाव रहता है।

विद्या भवन पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल योहान कंवर करते है कि पुलिस कानून को सख्ती के साथ फॉलो कराए। लोगों में कानून का डर होना चाहिए। पोलिटिकल दबाव में पुलिस को नहीं आना चाहिए।

गड्ढों व जलभराव से कब मिलेगी आजादी

नगर आयुक्त राजेश श्रीवास्तव ने कहा शहर को बेहतर तरीके से डेवलप करने के लिए बीडीए, पीडब्ल्यूडी, डूडा, बिल्डर्स सभी को मिलकर काम करना होगा, लेकिन ऐसा नहीं है। तालाब में कालोनियां काट दी गई। रेजिडेंसी कॉलोनी पूरी तालाब पर बनी है। जो कि आज लोग जलभराव से जूझ रहे हैं। वाटर डिस्चार्ज की व्यवस्था नहीं की गई है। मैं अपनी गलती 90 फीसदी तक मानता हूं। शहर के समस्या से निजात दिलाने के लिए स्मार्ट सिटी योजना के तहत काम किए जा रहे हैं। सुभाषनगर और संजय नगर को सबसे पहले चुना गया है। जहां पर प्लॉनिंग के तहत सड़क, बिजली, पानी और ड्रेनेज सिस्टम को बनाया जाएगा। बाद में होने वाली समस्या से बचने के लिए 15 दिन पहले विभागों को लेटर भेज देते हैं। ताकि, उनका कोई प्लान हो तो बता दें। उद्यमी आरके खंडेलवाल ने कहा जगह-जगह गड्ढे खोद दिए जाते हैं। पहले से कोई प्लॉनिंग नहीं की जाती है। यदि विभागों के बीच समन्वय हो तो गड्ढे की समस्या कम हो जाए।

व्यापारी सुनील खत्री कहते हैं बरेली में जो भी नाले बने हैं, वह टुकड़ों में बने हैं। यदि इनका स्लोप स्टार्ट प्वाइंट से एंड प्वाइंट तक बनता तो जलभराव की दिक्कत नहीं आती। इस पर नगर आयुक्त ने बताया राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि इस समस्या से निजात पाने के लिए संजय नगर और सुभाष नगर में नाले का डेवलपमेंट नए तरीके से किया जा रहा है। ताकि यहां जलभराव की समस्या का स्थाई समाधान हो जाए।

करोड़ों खर्च फिर भी पी रहे गंदा पानी

शहर में पेयजल सप्लाई के लिए नगर आयुक्त ने पब्लिक को जिम्मेदार बताया। उनका कहना था कि कॉलोनी में एक हजार घर हैं, तो महज चंद लोगों ने कनेक्शन ले रखा है। बाकी रात में चोरी-छिपे कनेक्शन करा लिए। फिर, उनके ज्वाइंट पर कहीं ढीला होने से गंदा पानी जाने लगता है। पानी प्रेशर के साथ छूटता है यदि कम कनेक्शन हैं तो पाइप भी फट जाती है। पार्षद राजेश अग्रवाल ने चोरी छिपे पानी लेने वालों को भी दूषित पेयजल के लिए जिम्मेदार ठहराया।

अंधेरे से कम मिलेगी आजादी

आजादी के 71 वर्ष बाद भी शहर में अंधेरा छाया रहता है। कई रोड ऐसे हैं जहां पर स्ट्रीट लाइट तक नहीं लगी है। इनमें से मालगोदाम रोड प्रमुख है। इस बात पर नगर आयुक्त राजेश श्रीवास्तव ने अपनी गलती सहर्ष स्वीकार की। उन्होंने कहा कि शहर में 23,622 स्ट्रीट लाइट लगी हुई हैं। हाइड्रोजन बल्ब को बदल को एलईडी बल्ब लगाने का काम पूरा कर लिया गया है। 6 वर्ष के लिए प्राइवेट कम्पनी को ठेका भी दिया गया है। लेकिन बढ़ी संख्या में स्ट्रीट लाइट नहीं जल रही है। क्योंकि, उनकी केबलिंग नहीं की गई है। पुराने वायरिंग से ही एलईडी बल्ब को कनेक्शन दिए गए हैं। ऐसे में बारिश या ओंस गिरने पर कार्बन आ जाता है जिससे वह नहीं चलते। बमुश्किल 2 महीने में केबलिंग का काम पूरा कर लिया जाएगा। इसके लिए फंड भी स्वीकृत हो गया है। व्यापारी सुनील खत्री ने कहा राजेंद्र नगर एसएसडी प्लाजा के पास चौराहा पर लगा स्ट्रीट लाइट पिछले दो वर्ष से नहीं जल रहा है। सीए सुधीर मेहरोत्रा कहते हैं स्ट्रीट लाइट की समस्या पूरे शहर में है। जिसमें सुधार की जरूरत है।