- आई नेक्स्ट ने कराया पैनल डिस्कशन

- परिवार की बेटी-बहन समझ मदद करें आसपास मौजूद लोग

- समझौता या भगाने के बजाए पुलिस करें मदद

- पैरेंट्स बनाए ग‌र्ल्स को बोल्ड, हक के साथ रखें अपनी बात

द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र : देवी की पूजा करो, एश्वर्य मिलेगा। नौ दिन का व्रत रखो, मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलेगा। कन्या खिलाओ, सारे दुख दूर होंगे। ऐसा कहते और सुनते कई लोग मिलेंगे। पल में रंग बदलने वाले ये लोग ही विभिन्न चौराहों, मार्केट, गली-मोहल्ले नहीं बल्कि मंदिरों में भी लड़कियों, महिलाओं के साथ छेड़छाड़ करते नजर आते हैं। नवरात्र पर आई नेक्स्ट की ओर से चलाए जा रहे स्पेशल कैंपेन 'इज्जत करो' में कुछ ऐसा ही हमने दिखाया। आखिर ये ईवटीजिंग कैसे रुकेगी? लड़कियों का सम्मान कैसे होगा? आखिर क्या रास्ता है? इसे जानने के लिए आई नेक्स्ट ने फ्राइडे को दैनिक जागरण परिसर में एक पैनल डिस्कशन का आयोजन किया जिसमें महिलाओं के साथ सिटी के विभिन्न फेमस पर्सनॉलिटी ने ईवटीजिंग को रोकने के लिए अपने सुझाव दिए। पैनल डिस्कशन में डॉक्टर थे तो हाउसवाइफ, वर्किग वूमेन के साथ खाकी वर्दी भी मौजूद रही। पैनल डिस्कशन में अनेक सुझाव आने के साथ सभी ने आई नेक्स्ट के इस अतुलनीय प्रयास की जमकर सराहना की।

ग‌र्ल्स को अपना शाय नेचर बदलना होगा। अगर मौके पर रिएक्शन नहीं कर सकती तो उसे फैमिली मेंबर्स को जरूर बताना चाहिए। घटना छिपा कर वह न सिर्फ अपने साथ गलत कर रही हैं बल्कि शोहदों के हौसले भी बुलंद कर रही हैं। पैरेंट्स को भी लड़की को दोषी बताने के बजाए उसका साथ देना चाहिए। पुलिस इस मामले को गंभीरता से ले।

डॉ। मानवेंद्र प्रताप सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, डीडीयूजीयू

ईवटीजिंग के टाइम ग‌र्ल्स को तुरंत रिएक्शन करना चाहिए। इससे ग‌र्ल्स का मनोबल बढ़ेगा। अगर शोहदों को पहली बार में सजा मिल गई तो वे दोबारा हिम्मत नहीं करेंगे। पुलिस को अपना मैनेज रवैया छोड़ कर ग‌र्ल्स का सपोर्ट करना चाहिए। ईवटीजिंग में एक्शन जल्दी होना चाहिए।

पारूल गुप्ता, हाउस वाइफ

लड़कियों को अब बोल्ड होना होगा। ईवटीजिंग छिपाने के बजाए मौके पर मौजूद लोगों से मदद मांगे। साथ ही पैरेंट्स को भी इसकी जानकारी दें। पैरेंट्स इस मामले को दबाने के बजाए ग‌र्ल्स का मनोबल बढ़ाएं और जरूरी एक्शन लें। अपने घर की बेटी, बहन समझ कर वहां मौजूद लोगों को भी पीडि़ता का पूरा सपोर्ट करना चाहिए।

अल्पना जैन, प्रोपराइटर, जायरा डायमंड

लड़कियों में आत्मविश्वास पैदा करने की जरूरत है। पैरेंट्स को बच्चों में जेंडर बायस को दूर करना चाहिए। सभी लोग टारगेट लड़की को करते हैं। वे ये जानने की कोशिश नहीं करते कि गलती किसकी है। साथ ही सिस्टम को भी सुधारने की जरूरत है। अपने घर की बेटी समझ कर अगर लोग विरोध करेंगे तो ईवटीजिंग काफी कम हो जाएगी।

प्रो। अवधेश कुमार तिवारी, डीडीयूजीयू

लड़कियां हमेशा खुद को अनसेफ समझती हैं। पैरेंट्स को अपने बच्चों के साथ समय बिताना चाहिए। साथ ही स्कूल, कॉलेज में समय-समय पर काउंसलिंग करानी चाहिए। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा। पुलिस को भी ऐसे मामलों में तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। जब तक शोहदों को दंड नहीं मिलेगा, तब तक उनकी आदत नहीं सुधरेगी।

जितेंद्र द्विवेदी, समाजसेवी

ईवटीजिंग ग‌र्ल्स के साथ होती है, उसका रिएक्शन भी ग‌र्ल्स को भुगतना पड़ता है। तभी कोई लड़की इसकी जानकारी अपने पैरेंट्स को नहीं देती। इसे रोकने के लिए पब्लिक को भी सपोर्ट करना चाहिए। शोहदों के साथ मारपीट करने के बजाए उसे पुलिस को सौंपना चाहिए। अगर भीड़ गवाही देगी तो पुलिस को भी मजबूरन सही एक्शन लेना होगा।

हरीकेश पांडेय, एडवोकेट

अगर लड़कियां बोल्ड हो और हर बात का जवाब दें तो ईवटीजिंग करना आसान नहीं होगा। पैरेंट्स और पुलिस को जानकारी देने के साथ मौके पर तुरंत रिएक्ट करें। इससे उनका मनोबल बढ़ेगा। पैरेंट्स को अब बचपन से ही उन्हें बोल्ड बनाना होगा। पुलिस में भी महिला सुरक्षा को लेकर एक स्पेशल विंग होना चाहिए, जिसकी अधिकारी आईपीएस हो।

राजीव सेठ, डिप्टी सीसीएम, एनई रेलवे

छेड़छाड़ छिपाने से ईवटीजिंग करने वालों का मनोबल बढ़ता है। ग‌र्ल्स हर बात पैरेंट्स को बताएं, इसके लिए पैरेंट्स को प्रयास करना चाहिए। साथ ही ब्वॉयज और ग‌र्ल्स के बीच बहुत अधिक डिस्टेंस न बनाए, वरना छेड़छाड़ की घटनाएं बढ़ेंगी। ग‌र्ल्स को ईवटीजिंग की हर घटना के बारे में पैरेंट्स को बताना चाहिए।

डॉ। एचआर यादव, एसआईसी, डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल

लड़का-लड़की में कोई फर्क नहीं होता। जब तक ये बात लड़कियों के दिमाग में नहीं बैठेगी, तब तक वे अपने पैरेंट्स से हर बात शेयर नहीं करेंगी। साथ ही अब पैरेंट्स को अपनी मानसिकता सुधारनी चाहिए। एक ऐसा माहौल पैदा करने की जरूरत है जिससे कि लड़कियां पैरेंट्स, पुलिस नहीं बल्कि राह पर चलने वाले हर शख्स से मदद मांग सके।

सुधीर राय

ग‌र्ल्स को ईवटीजिंग पर तुरंत रिएक्शन करना चाहिए। ग‌र्ल्स की मदद के लिए पुलिस हमेशा तैयार है। बस लड़कियां घटना की जानकारी तो दें। महिलाओं की सुरक्षा के लिए 1090, 100 और ईमेल तक की सुविधा है। साथ ही पुलिस हमेशा राउंड पर रहती है। लड़कियों को ईवटीजिंग की जानकारी पैरेंट्स के साथ पुलिस को भी देनी चाहिए।

डॉ। शालिनी सिंह, एसओ, महिला थाना

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ऐसे रुक सकती है ईवटीजिंग

- एक ऐसी संस्था बनें, जिससे लड़कियां तुरंत मदद मांग सके। इस संस्था में स्कूल-कॉलेज के प्रिंसिपल, इंस्टीट्यूटी के ओनर, समाजसेवी संस्था, पुलिस के मोबाइल नंबर हो।

- स्कूल, कॉलेज, कोचिंग, मार्केट, चौराहे पर सीसीटीवी कैमरा लगना चाहिए।

- ग‌र्ल्स में सेल्फकांफिडेंस बढ़ाने की जरूरत है।

- लड़का लड़की के मतभेद को खत्म करने की जरूरत है।

- पुलिस को मैनेज सिस्टम छोड़ कर मदद करनी चाहिए।

- ग‌र्ल्स की मदद करने वाले लोगों को परेशान न किया जाए।

- ईवटीजिंग में बदनामी लड़की की नहीं बल्कि लड़के की होना चाहिए। इस बात को समाज में फैलाने की जरूरत है।

- फैमिली मेंबर्स लड़की के अंदर आत्मविश्वास पैदा करें, जिससे वे इस तरह की घटना की जानकारी दे।

- लड़कियों को शाय नेचर छोड़ बोल्ड होना पड़ेगा।

- ईवटीजिंग में ग‌र्ल्स को तुरंत रिएक्शन करना चाहिए।

- पैरेंट्स को अपने बच्चों को मैनर सिखाने चाहिए कि वे ईवटीजिंग की शिकार हो रही ग‌र्ल्स का सपोर्ट करें।