पेपरलेस बैंकिंग की नहीं है अवेयरनेस
सरकार और बैंक्स भले ही सभी बैंक्स पेपरलेस बैंकिंग को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास कर रहे हैं, लेकिन गोरखपुराइट्स इसको लेकर अभी भी अवेयर नहीं हैं। इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, ग्रीन चैनल काउंटर्स के यूजर्स की बात करें तो गिने चुने बैंक कस्टमर्स ही इन फैसिलिटीज का यूज कर रहे हैं। अगर सभी लोग इसका यूज करना शुरू कर दें तो बैंक्स के साथ ही कस्टमर्स को काफी बेनिफिट होगा.

10 परसेंट ही पेपर लेस
इस समय गोरखपुर के बैंक अकाउंट होल्डर्स में से मात्र 5 परसेंट कस्टमर्स ही ऐसे हैं जो कि इंटरनेट बैंकिंग का यूज कर रहे हैं। इसके अलावा मोबाइल बैंकिंग यूज करने वाले कस्टमर्स की संख्या भी टोटल में सिर्फ 4.75 परसेंट के आसपास ही है। इसे देखकर यह आसानी से समझा जा सकता है कि गोरखपुराइट्स पेपरलेस बैंकिंग  से कितना रूबरू हैं.

जीसीसी का रिस्पांस भी कम
एसबीआई ने पेपरलेस बैंकिंग को बढ़ावा देने के लिए अपने ब्रांचेज में ग्रीन चैनल काउंर्ट्स (जीसीसी) बनवाए थे। इनमें एक मशीन लगी होती है जिसमें कस्टमर को अपना एटीएम कार्ड स्वैप करके ट्रांजक्शन करना होता है। उसे किसी तरह का वाउचर नहीं भरना होता। वह सिर्फ कार्ड स्वैप करता है और जिस अकाउंट में पैसा जमा करना हो जमा हो जाता है। लेकिन इसका रिस्पांस भी बैंक को अच्छा नहीं मिल पाया। सिटी की ब्रांचेज में कुल मिलाकर मंथली लगभग 1,82,195 ट्रांजक्शन्स होते हैं। जबकि जीसीसी के थ्रू ट्रांजक्शन्स की संख्या सिर्फ 18,621 के आसपास ही है, जो कि टोटल ट्रांजक्शन का 10 परसेंट ही है.

25 परसेंट एटीएम होल्डर्स
यही हाल एटीएम यूजर्स का है। आई नेक्स्ट ने गोरखपुर के 4 प्रमुख बैंक्स पर एक छोटा सा सर्वे किया। इसमें जो फैक्ट्स सामने आए वह शॉकिंग थे। एसबीआई, पीएनबी, यूबीआई और इलाहाबाद बैंक के टोटल सेविंग बैंक अकाउंट होल्डर्स की संख्या 13,44,608 है। इनमें से मात्र 3,48,586 कस्टमर्स के आसपास ही एटीएम का यूज करते हैं। एटीएम यूजर्स की यह संख्या टोटल अकाउंट होल्डर्स का सिर्फ 25 परसेंट ही है.

टाइम बचाती है पेपरलेस बैंकिंग
एटीएम, इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, जीसीसी काउंर्ट्स के कई फायदे हैं। पेपर सेव करने के साथ ही यह पब्लिक को लंबी लाइन में न लगने की आजादी देती है। साथ ही कस्टमर्स जब चाहे अपने बैंकिंग ट्रांजक्शन कर सकता है। इसके लिए उसे बैंक टाइमिंग्स के अनुसार नहीं चलना पड़ता। जब जरूरत पड़ी उसने अपने ट्रांजक्शन कर लिए, लेकिन इन बेनिफिट्स को भी गोरखपुराइट्स इग्नोर कर रहे हैं.

कम इंटरेस्ट पर मिल सकता है लोन
एसबीआई के एजीएम एके सिन्हा ने बताया कि अगर बैंक के कस्टमर्स पेपर लेस बैंकिंग का यूज बढ़ा दें तो इसका उनको लांग टर्म में भी बहुत बेनिफिट मिलेगा। उन्होंने बताया कि बैंक में जब कोई कस्टमर ट्रांजक्शन करता है तो उसकी कॉस्ट बैंक को लगभग 55 रुपए पड़ती है। इसमें बैंक एम्प्लॉई की सैलरी, बैंक का मेन्टेनेन्स आदि शामिल है। जबकि एटीएम में एक ट्रांजक्शन की कॉस्ट सिर्फ 12 रुपए, इंटरनेट से ट्रांजेक्शन पर 75 से 90 पैसे और मोबाइल बैंकिंग में एक ट्रांजेक्शन की कॉस्ट सिर्फ 30 पैसे आती है। एके सिन्हा ने बताया कि बैंक लोन देने के लिए जो भी रेट ऑफ इंटरेस्ट देता है वह अपने प्रॉफिट को ध्यान में रखकर देता है। अगर लोग बैंक में आने की जगह नेट बैंकिंग या मोबाइल बैंकिंग को बढ़ावा दें तो बैंक का खर्च 50 से 150 गुना तक कम होगा। जब बैंक का प्रॉफिट बढ़ेगा तो वह कम रेट ऑफ इंटरेस्ट में पब्लिक को लोन प्रोवाइड कर सकेगा.

ऑनलाइन बैंकिंग के थ्रू कस्टमर अपने बैंकिंग ट्रांजक्शन के साथ ही वेंडर के पेमेंट्स भी कर सकता है। जैसे इलेक्ट्रिसिटी बिल, मोबाइल रिचार्ज, फंड ट्रांसफर, शॉपिंग आदि.
एके सिन्हा, एजीएम, एसबीआई

पब्लिक को इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, एटीएम कार्ड का यूज अधिक से अधिक करना चाहिए। इससे उनका टाइम सेव होगा। थोड़ा सा ध्यान दिया जाए तो यह पूरी तरह से सेफ है.
केशव बैजल, एजीएम, यूबीआई

बैंकिंग के जितने भी मीडियम हैं वह पब्लिक की सुविधा को ध्यान में रखते हुए हैं। कस्टमर को अपने बैंकिंग ट्रांजक्शन के लिए दिन या समय नहीं देखना पड़ता.
नीरज गुप्ता, सर्किल हेड, पीएनबी

ऑनलाइन बैंकिंग में मैनुअल इंटरवेन्शन अधिक सेफ है। कोई नहीं जानता कि आपने क्या ट्रांजक्शन किया। आपको कैश कैरी नहीं करना पड़ता इसलिए भी यह बैंकिंग मैथड सेफ है.
शैलेंद्र कुमार, एजीएम, एसबीआई, मेन ब्रांच, बैंक रोड

बॉक्स:
एसबीआई:
एकाउंट होल्डर्स: 772685
मोबाइल बैंकिंग: 43277
इंटरनेट बैंकिंग: 26687

यूबीआई:
एकाउंट होल्डर्स: 205000
मोबाइल बैंकिंग: 8000
इंटरनेट बैंकिंग: 9000

पीएनबी:
एकाउंट होल्डर्स: 226000
मोबाइल बैंकिंग: 6213
इंटरनेट बैंकिंग: 23798
(सभी डाटा लगभग में हैं.)

बेनिफिट्स:
- कहीं भी, कभी भी और किसी भी समय बैंकिंग
- बैंकिंग ट्रांजक्शन्स के अलावा वेंडर सर्विसेज की सुविधा
- बैंक की पर ट्रांजक्शन कॉस्ट कम होना जिससे लांग टर्म में लोन का रेट ऑफ इंटरेस्ट कम
- लंबी लाइन के झंझट से छुटकारा

टाइप ऑफ ट्रांजेक्शन         कॉस्ट
बैंक में एक ट्रांजक्शन       55 रुपए 
एटीएम एक ट्रांजक्शन      12 रुपए
इंटरनेट से ट्रांजेक्शन        75 से 90 पैसे
मोबाइल बैंकिंग              30 पैसे 


बैंक का प्राफिट बढ़ने से पब्लिक के बेनिफिट
- लोन पर कम रेट ऑफ इंटरेस्ट
- डिपॉजिट्स पर अधिक रेट ऑफ इंटरेस्ट
- बैंक की अदर फैसिलिटीज जैसे एटीएम, कैश डिपॉजिट मशीन, पासबुक एंट्री मशीन की संख्या बढ़ाने में बैंक सक्षम

नेचर के लिए अच्छी:
पेपरलेस बैंकिंग को बढ़ावा दिया जाना नेचर के लिए भी अच्छा है। पेपर बनाने के लिए पेड़ों को काटा जाता है। जितना पेपर का यूज कम होगा पेड़ों को उतना कम काटा जाएगा। इस तरह से अगर हर कोई पेपरलेस बैंकिंग को बढ़ावा दे तो उससे हरियाली भी बनी रहेगी.
पेपरलेस बैंकिंग की नहीं है अवेयरनेस
सरकार और बैंक्स भले ही सभी बैंक्स पेपरलेस बैंकिंग को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास कर रहे हैं, लेकिन गोरखपुराइट्स इसको लेकर अभी भी अवेयर नहीं हैं। इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, ग्रीन चैनल काउंटर्स के यूजर्स की बात करें तो गिने चुने बैंक कस्टमर्स ही इन फैसिलिटीज का यूज कर रहे हैं। अगर सभी लोग इसका यूज करना शुरू कर दें तो बैंक्स के साथ ही कस्टमर्स को काफी बेनिफिट होगा.

10 परसेंट ही पेपर लेस
इस समय गोरखपुर के बैंक अकाउंट होल्डर्स में से मात्र 5 परसेंट कस्टमर्स ही ऐसे हैं जो कि इंटरनेट बैंकिंग का यूज कर रहे हैं। इसके अलावा मोबाइल बैंकिंग यूज करने वाले कस्टमर्स की संख्या भी टोटल में सिर्फ 4.75 परसेंट के आसपास ही है। इसे देखकर यह आसानी से समझा जा सकता है कि गोरखपुराइट्स पेपरलेस बैंकिंग  से कितना रूबरू हैं.

जीसीसी का रिस्पांस भी कम
एसबीआई ने पेपरलेस बैंकिंग को बढ़ावा देने के लिए अपने ब्रांचेज में ग्रीन चैनल काउंर्ट्स (जीसीसी) बनवाए थे। इनमें एक मशीन लगी होती है जिसमें कस्टमर को अपना एटीएम कार्ड स्वैप करके ट्रांजक्शन करना होता है। उसे किसी तरह का वाउचर नहीं भरना होता। वह सिर्फ कार्ड स्वैप करता है और जिस अकाउंट में पैसा जमा करना हो जमा हो जाता है। लेकिन इसका रिस्पांस भी बैंक को अच्छा नहीं मिल पाया। सिटी की ब्रांचेज में कुल मिलाकर मंथली लगभग 1,82,195 ट्रांजक्शन्स होते हैं। जबकि जीसीसी के थ्रू ट्रांजक्शन्स की संख्या सिर्फ 18,621 के आसपास ही है, जो कि टोटल ट्रांजक्शन का 10 परसेंट ही है.

25 परसेंट एटीएम होल्डर्स
यही हाल एटीएम यूजर्स का है। आई नेक्स्ट ने गोरखपुर के 4 प्रमुख बैंक्स पर एक छोटा सा सर्वे किया। इसमें जो फैक्ट्स सामने आए वह शॉकिंग थे। एसबीआई, पीएनबी, यूबीआई और इलाहाबाद बैंक के टोटल सेविंग बैंक अकाउंट होल्डर्स की संख्या 13,44,608 है। इनमें से मात्र 3,48,586 कस्टमर्स के आसपास ही एटीएम का यूज करते हैं। एटीएम यूजर्स की यह संख्या टोटल अकाउंट होल्डर्स का सिर्फ 25 परसेंट ही है.

टाइम बचाती है पेपरलेस बैंकिंग
एटीएम, इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, जीसीसी काउंर्ट्स के कई फायदे हैं। पेपर सेव करने के साथ ही यह पब्लिक को लंबी लाइन में न लगने की आजादी देती है। साथ ही कस्टमर्स जब चाहे अपने बैंकिंग ट्रांजक्शन कर सकता है। इसके लिए उसे बैंक टाइमिंग्स के अनुसार नहीं चलना पड़ता। जब जरूरत पड़ी उसने अपने ट्रांजक्शन कर लिए, लेकिन इन बेनिफिट्स को भी गोरखपुराइट्स इग्नोर कर रहे हैं.

कम इंटरेस्ट पर मिल सकता है लोन
एसबीआई के एजीएम एके सिन्हा ने बताया कि अगर बैंक के कस्टमर्स पेपर लेस बैंकिंग का यूज बढ़ा दें तो इसका उनको लांग टर्म में भी बहुत बेनिफिट मिलेगा। उन्होंने बताया कि बैंक में जब कोई कस्टमर ट्रांजक्शन करता है तो उसकी कॉस्ट बैंक को लगभग 55 रुपए पड़ती है। इसमें बैंक एम्प्लॉई की सैलरी, बैंक का मेन्टेनेन्स आदि शामिल है। जबकि एटीएम में एक ट्रांजक्शन की कॉस्ट सिर्फ 12 रुपए, इंटरनेट से ट्रांजेक्शन पर 75 से 90 पैसे और मोबाइल बैंकिंग में एक ट्रांजेक्शन की कॉस्ट सिर्फ 30 पैसे आती है। एके सिन्हा ने बताया कि बैंक लोन देने के लिए जो भी रेट ऑफ इंटरेस्ट देता है वह अपने प्रॉफिट को ध्यान में रखकर देता है। अगर लोग बैंक में आने की जगह नेट बैंकिंग या मोबाइल बैंकिंग को बढ़ावा दें तो बैंक का खर्च 50 से 150 गुना तक कम होगा। जब बैंक का प्रॉफिट बढ़ेगा तो वह कम रेट ऑफ इंटरेस्ट में पब्लिक को लोन प्रोवाइड कर सकेगा.

ऑनलाइन बैंकिंग के थ्रू कस्टमर अपने बैंकिंग ट्रांजक्शन के साथ ही वेंडर के पेमेंट्स भी कर सकता है। जैसे इलेक्ट्रिसिटी बिल, मोबाइल रिचार्ज, फंड ट्रांसफर, शॉपिंग आदि.
एके सिन्हा, एजीएम, एसबीआई

पब्लिक को इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, एटीएम कार्ड का यूज अधिक से अधिक करना चाहिए। इससे उनका टाइम सेव होगा। थोड़ा सा ध्यान दिया जाए तो यह पूरी तरह से सेफ है.
केशव बैजल, एजीएम, यूबीआई

बैंकिंग के जितने भी मीडियम हैं वह पब्लिक की सुविधा को ध्यान में रखते हुए हैं। कस्टमर को अपने बैंकिंग ट्रांजक्शन के लिए दिन या समय नहीं देखना पड़ता.
नीरज गुप्ता, सर्किल हेड, पीएनबी

ऑनलाइन बैंकिंग में मैनुअल इंटरवेन्शन अधिक सेफ है। कोई नहीं जानता कि आपने क्या ट्रांजक्शन किया। आपको कैश कैरी नहीं करना पड़ता इसलिए भी यह बैंकिंग मैथड सेफ है.
शैलेंद्र कुमार, एजीएम, एसबीआई, मेन ब्रांच, बैंक रोड


एसबीआई:
एकाउंट होल्डर्स: 772685
मोबाइल बैंकिंग: 43277
इंटरनेट बैंकिंग: 26687

यूबीआई:
एकाउंट होल्डर्स: 205000
मोबाइल बैंकिंग: 8000
इंटरनेट बैंकिंग: 9000

पीएनबी:
एकाउंट होल्डर्स: 226000
मोबाइल बैंकिंग: 6213
इंटरनेट बैंकिंग: 23798
(सभी डाटा लगभग में हैं.)

बेनिफिट्स:
- कहीं भी, कभी भी और किसी भी समय बैंकिंग
- बैंकिंग ट्रांजक्शन्स के अलावा वेंडर सर्विसेज की सुविधा
- बैंक की पर ट्रांजक्शन कॉस्ट कम होना जिससे लांग टर्म में लोन का रेट ऑफ इंटरेस्ट कम
- लंबी लाइन के झंझट से छुटकारा

टाइप ऑफ ट्रांजेक्शन         कॉस्ट
बैंक में एक ट्रांजक्शन       55 रुपए 
एटीएम एक ट्रांजक्शन      12 रुपए
इंटरनेट से ट्रांजेक्शन        75 से 90 पैसे
मोबाइल बैंकिंग              30 पैसे 


बैंक का प्राफिट बढ़ने से पब्लिक के बेनिफिट
- लोन पर कम रेट ऑफ इंटरेस्ट
- डिपॉजिट्स पर अधिक रेट ऑफ इंटरेस्ट
- बैंक की अदर फैसिलिटीज जैसे एटीएम, कैश डिपॉजिट मशीन, पासबुक एंट्री मशीन की संख्या बढ़ाने में बैंक सक्षम

नेचर के लिए अच्छी:
पेपरलेस बैंकिंग को बढ़ावा दिया जाना नेचर के लिए भी अच्छा है। पेपर बनाने के लिए पेड़ों को काटा जाता है। जितना पेपर का यूज कम होगा पेड़ों को उतना कम काटा जाएगा। इस तरह से अगर हर कोई पेपरलेस बैंकिंग को बढ़ावा दे तो उससे हरियाली भी बनी रहेगी.

Report by- shailesh.arora@inext.co.in