केदारघाटी में उतरा कमांडो दस्ता

सेना की 50 पैरा ब्रिगेड कमांडो दस्तों ने रविवार को रस्सियों का इस्तेमाल कर क्लिफ असाल्ट तकनीक के सहारे केदारघाटी के बेहद खतरनाक इलाके से 460 लोगों को सुरक्षित निकाला. सेना मुख्यालय अधिकारियों के मुताबिक बेहद दुश्कर हालात और दुर्गम इलाकों से निकालने के लिए ही पैरा कमांडो दस्तों को उतारा गया. सभी संपर्कों से कटे केदारघाटी के जंगल चेट्टी, गौरीकुंड व रामबाड़ा के इलाकों में हेलीकॉप्टर से रस्सियों के सहारे नीचे उतारी गई कमांडो टीमों ने पहुंचते ही मिशन शुरू कर दिया.

कठिन परिस्िथतियां हैंडिल करने का गुर

अपने साथ संचार व भोजन की अपनी जरूरतों से लैस सेना के कमांडो दस्ते बिना किसी बाहरी मदद के मिशन को अंजाम देने में प्रशिक्षित होते हैं. हिमाचल के नाहन स्थित स्पेशल फोर्सेज प्रशिक्षिण स्कूल में सेना को कमांडो को दुश्मन के इलाकों में रस्सियों के पुल बनाने, कैराबीना से नदियां पार करने, पहाड़ों पर चढऩे, कठिन स्थितियों में खुद को बचाने व आपात स्थितियों में चिकित्सा सुविधाएं देने के गुर सिखाए जाते हैं. वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के मुताबिक इनमें हर एक कमांडो अपने साथ 20 किलो वजनी साजो-सामान से भी लैस है.

चेट्टी में बनाया हेलीपैड

छह-सात कमांडो की टीमों में बंटे इन दस्तों ने केदारनाथ मंदिर के दक्षिण में बाढ़ व आपदा से बुरी तरह प्रभावित जंगल चेती, गौरीकुंड व रामबाड़ा के इलाकों में युद्धकौशल के इन तरीकों से कई जानों को बचाया. यहां तक कि कई प्राथमिक चिकित्सा सहायता भी सेना के कमांडो दस्तों ने ही जरूरतमंद लोगों को मुहैया कराई. इन दस्तों ने चेट्टी में एक हेलीपैड भी बनाया, जिसके सहारे अब वायुसेना के हेलीकॉप्टर राहत व बचाव अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं. सेना ने उत्तराखंड के पूरे अभियान में अपने करीब दस हजार जवानों के अलावा अनेक हेलीकॉप्टर, चिकित्सा टीमों और इंजीनियरिंग टीमों को उतारा है. सेना और वायुसेना बीते सात दिनों से युद्धस्तर पर राहत व बचाव अभियानों में लगी है.

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