-दीक्षांत समारोह में मानद उपाधि पर नहीं हो पा रहा निर्णय, शैक्षिक योगदान के सवाल पर अटका है मामला

-कारगिल में पराक्रम दिखाने वाले योगेंद्र का नाम कुलपति ने मंजूरी को भेजा था

BAREILLY :

एक तो वैसे ही एमजेपीआरयू में डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान करने की परंपरा नहीं रही है, इस बार कुलपति प्रो। एके शुक्ल ने नाम प्रस्तावित करके राजभवन को मंजूरी के लिए आगे बढ़ाया लेकिन राजभवन ने इस पर चुप्पी साध ली है। कुलपति ने कारगिल में दुश्मनों की गोली खाकर भी पराक्रम का परिचय देने वाले परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र सिंह यादव का नाम डॉक्टरेट की मानद उपाधि के लिए भेजा। सैन्य कौशल में भले ही उनका बड़ा योगदान है लेकिन सूत्रों का कहना है कि राजभवन ने इस नाम पर कुलपति से शैक्षिक योगदान के बारे में पूछा है। हालांकि इस बारे में कुलपति या आरयू से जुड़े लोग मामला राजभवन से जुड़ा होने के चलते कुछ भी कहने से कतरा रहे हैं लेकिन अब माना जा रहा है कि परमवीर चक्र विजेता को डॉक्टरेट की मानद उपाधि मिल पाना आसान नहीं है। इसलिए क्योंकि चार सितंबर को दीक्षा समारोह होना है और उसमें अब ज्यादा वक्त नहीं बचा। राजभवन ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि पर कोई निर्णय नहीं लिया है। कुलपति ने उनको सात अगस्त को पत्र लिखकर मंजूरी मांगी थी और तब से अब तक 15 दिन से ज्यादा हो चुके हैं।

अभी संशय की स्थिति

सूत्रों का कहना है कि विश्वविद्यालयों में शैक्षिक गतिविधियां बढ़ाने पर जोर देने वाले कुलाधिपति रामनाईक की मंशा डॉक्टरेट की मानद उपाधि के लिए प्रस्तावित व्यक्ति के शैक्षिक योगदान पर रहती है। चूंकि परमवीर चक्र विजेता का योगदान देश की रक्षा और सेवा के लिए है। ऐसे में, राजभवन का आरयू से सवाल डॉक्टरेट के लिए प्रस्तावित नाम के शैक्षिक योगदान पर है। चूंकि कुलपति प्रो। शुक्ल कुलाधिपति की मंशा के इस तथ्य को ध्यान में न रखकर आनन-फानन में नाम भेज चुके हैं इसलिए वह लगातार पैरवी कर रहे हैं। राजभवन को उन्होंने परमवीर चक्र विजेता के देश के लिए योगदान और महत्व का उल्लेख कर उनसे संबंधित प्रमाण भी भेज दिए हैं लेकिन राजभवन ने अभी भी कोई निर्णय नहीं लिया है, इसलिए संशय की स्थिति बनी हुई है लेकिन इस बारे में कुलपति प्रो। एके शुक्ल आरयू का आतंरिक मामला बताकर कुछ भी बताना नहीं चाहते।

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शैक्षिक गुणवत्ता पर फोकस करते हैं रामनाईक

राज्यपाल रामनाईक पिछले दीक्षांत समारोह में जब-जब एमजेपी आरयू आए हैं, उन्होंने आरयू की ओर से शोध की गुणवत्ता बढ़ाने और शैक्षिक भूमिका पर फोकस करने पर जोर दिया है। इसी साल 17 फरवरी को आरयू में अटल सभागार का शिलान्यास केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के हाथों कराया गया था। इसके बाद कैंपस में राजनीतिक दखल बहुतों को रास नहीं आया।