-जेल में जूनियर डॉक्टर्स ने परिजनों से बताई सच्चाई

-कहा कि वो बेकसूर हैं, पुलिस ने पिटाई कर जबरन जेल भेजा

-सभी ने खुद जमानत कराने से कर दिया था इन्कार, परिजन उनका हाल देख रो पड़े

KANPUR : 'पापा, मैं रूम में दोस्तों के साथ खाना बना रहा था, तभी हॉस्टल के गेट पर पुलिस फोर्स तोड़फोड़ करने लगी थी। जिसे देख हम लोग काफी घबरा गए थे। हम लोगों ने बचने के लिए रूम को अन्दर से लॉक कर लिया, लेकिन वे गेट तोड़कर अन्दर घुस गए। हम लोगों को जानवर की तरह जमकर पीटा गया। हम दर्द से चिल्लाते रहे, लेकिन उनका मन नहीं पसीजा। जिसके बाद वे वहां पर रखा सारा सामान तोड़ने के बाद हम लोगों को घसीटते हुए थाने ले गए। वहां पर हम लोगों को मुंह खोलने पर जान से मारने तक की धमकी दी गई। उनके साथ क्रिमिनल्स की तरह पेश आया गया.' इतना कहते-कहते वो रेजीडेंट डॉक्टर फूट-फूट कर रो पड़ा। यह सच्चाई मंडे को जेल में एक जूनियर डॉक्टर ने रोते हुए पेरेन्ट्स से बताई। जिसे सुनकर और बेटे को सलाखों के पीछे बुरी हालत में देखकर जूनियर डॉक्टर के पेरेंट्स भी अपने आंसू को रोक नहीं पाए। पेरेंट्स ने बेटे को ढांढ़स बंधाया कि तुम लोग निर्दोष हो। तुम्हारे टीचर, सीनियर और साथी तुम लोगों के लिए प्रशासन से लड़ाई लड़ रहे हैं।

हैलट के बाहर एमएलए से मारपीट करने के आरोप में पकड़े गए दो दर्जन जूनियर डॉक्टर्स को जेल की मुलाहिजा बैरक में रखा गया है। पुलिस ने संडे की सुबह चार बजे उनको जेल में दाखिल कराया था। उस समय वे गंभीर रूप से चुटहिल थे। उनके कपड़े फटे और पैरों में चप्पल नहीं थी। उनमें से चार डॉक्टर्स के सिर पर चोट आई है, जबकि पांच के हाथ में फैक्चर है। इधर, उनको जेल भेजे जाने की जानकारी मिलने पर पेरेन्ट्स, रिलेटिव और दोस्तों ने मंडे को उनसे जेल में मिलाई की। उन्होंने जेल के बाहर बताया कि हमारे बच्चों को जानवरों की तरह पीटा गया है। वे गंभीर रूप से घायल है। उनका जेल में बुरा हाल है। वे स्टूडेंट्स है, ना कि कोई क्रिमिनल्स है। उनको क्रिमिनल्स के बीच में रहना पड़ रहा है। पुलिसिया कार्रवाई से उनका करियर खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि वे बेकसूर हैं। पेरेन्ट्स ने मिलाई के दौरान उन्हें कपड़े, चप्पल समेत अन्य जरूरी सामान दिया। एक जूनियर डॉक्टर के पिता ने रोते हुए कहा कि बच्चों की यह र्दुदशा देखी नहीं जा रही है। वे जेल में रो रहे हैं। वहीं, एक जूनियर डॉक्टर की पत्नी उसको सलाखों के पीछे देख जेल में ही फफक पड़ी। उसको स्टाफ ने ढांढ़स बंधाया। वह पति से मिलने के लिए उन्नाव से आई थी। उसने कहा कि सुबह 9 बजे ही जेल पहुंच गई थी। वह तीन घंटे जेल के बाहर ही बैठी रही। जिसके बाद वह मिलाई का नम्बर आने पर पति से मिल पाई। उसके एक बेटी है। उसने कहा कि कभी सोचा नहीं था कि ये दिन देखना पड़ेगा। मेरे पति निर्दोष होने के बाद भी जेल में हैं, ये कैसा कानून है। जेल में सभी डॉक्टर्स और उनके पेरेन्ट्स ने जमानत कराने से इन्कार कर दिया है। उन्होंने कहा कि वे बेकसूर हैं, तो जमानत क्यों करवाएं?