-दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की तरफ से चल रहे 'खतरे में बच्चे' कैंपेन में आया नया मामला

- ज्यादातर स्कूली बच्चों के पेरेंट्स नहीं रखते अपने बच्चे पर ध्यान, ट्यूटर व स्कूल के भरोसे पढ़ाई कर रहे बच्चे

GORAKHPUR: मॉर्डन एरा में पेरेंट्स की निगाह कॉन्वेंट स्कूल्स पर जा रुकी है। मंहगी फीस देकर पेरेंट्स खुद को पूरी तरह से जिम्मेदारी से मुक्त समझने लगे हैं। स्कूल व ट्यूटर्स के भरोसे अपने बच्चों को छोड़ वह दूसरे कामों में व्यस्त हैं। अब डिजिटल एरा में इंटरनेट फ्रेंडली बनाने के चक्कर में पेरेंट्स बच्चे के फ्यूचर से खिलवाड़ कर रहे हैं। यही वजह है कि आज की डेट में बच्चों पर न तो स्कूल का कोई जोर है और ना ही उनके पेरेंट्स का। कहीं न कहीं स्कूली शिक्षा के साथ-साथ घर से भी संस्कार व आचरण की शिक्षा की आवश्यकता हो चुकी है, जो नई पीढ़ी के लिए बेहद जरूरी है। अन्यथा देश के भविष्य कहे जाने वाली युवा पीढ़ी का भविष्य बनने के बजाय बिगड़ सकता है।

न्यूक्लियर फैमिली का बढ़ रहा क्रेज

रेयान इंटरनेशनल स्कूल और ब्राइटलैंड कॉलेज की घटना ने जहां स्कूल व पेरेंट्स को पूरी तरह से झकझोर दिया है। वहीं इस तरह के आ रहे मामलों में कहीं न कहीं पेरेंटिंग की कमी साफ नजर आ रही है। बच्चे की परवरिश पर पेरेंट्स बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहे हैं। मां-बाप दोनों वर्किग होने की कंडीशन में प्रॉब्लम कई गुना और बढ़ जा रही है। हाउस वाइफ अपने बच्चे पर प्रॉपर केयरिंग के बजाय ट्यूटर पर पूरी तरह से डिपेंडेंट होते जा रहे हैं। इसके अलावा न्यूक्लियर फैमिली होने से भी बच्चों को प्रॉपर पेरेंटिंग नहीं मिल पा रही है। न तो उन्हें पेरेंट्स से बातचीत का मौका मिल रहा है और न ही फैमिली मेंबर्स दादा-दादी, नाना-नानी, चाचा-चाची व बाकी रिश्तेदारों से रूबरू होने का मौका मिल पा रहा है।

मोबाइल ने कर दिया है व्यस्त

इस मार्डन एरा में हर किसी के हाथ में मोबाइल फोन ने पूरी तरह से उनके पर्सनाल्टी पर चेजिंग ला दी है। यही वजह है कि मां-बाप जहां अपने-अपने दोस्तों मित्रों से घंटों फोन पर चैट या फिर फेसबुक जैसे सोशल मीडिया पर खुद को व्यस्त कर चुके हैं। उन्हें इतनी भी फुर्सत नहीं है कि उनका बच्चा स्कूल से घर कब आता है और कब क्या करता है? ऐसे में अगर पेरेंट्स अपने बच्चे को लेकर संजीदा नहीं हुए, तो वो दिन दूर नहीं कि उन्हीं का बच्चा उन्हीं के लिए सिरदर्द बन जाएगा।

इन बातों का रखें ध्यान

- पेरेंट्स को अपने बच्चे के प्रति संजीदा होना होगा। चाहे वह किसी भी क्लास का स्टूडेंट क्यों न हो?

- स्कूल जाने से लगाए आने तक उस पर पूरी तरह से नजर रखे।

- किसी प्रकार की हरकत पर उसे समय-समय पर टोके, हो सके तो उसकी शिकायत उसके क्लास टीचर या फिर प्रिंसिपल से करें।

- सोशल मीडिया पर अनावश्यक समय व्यतीत करने के बजाए अपने बच्चे के पढ़ाई व निजी जीवन पर चर्चा करें।

- बच्चे के पढ़ाई से लगाए उसके दोस्तों तक की पूरी जानकारी रखें।

- किसी प्रकार की समस्या होने पर बच्चे की काउंसिलिंग कराते रहे।

- मानसिक या शारीरिक बीमारी होने पर उसे स्कूल भेजने के बजाए किसी अच्छे चिकित्सक या मनोचिकित्सक से दिखाएं।

- स्कूल की टीचर से उसका बराबर फीडबैक लेते रहे।

- ट्यूटर पर पूरी तरह से डिपेंडेंट न रहें।

आज की डेट में बच्चों की परवरिश में पेरेंट्स का अहम रोल हो चुका है। बच्चे के स्कूल जाने से लगाए उसके घर आने तक उसकी पूरी जानकारी रखना हम पेरेंट्स की जिम्मेदारी है।

संतोष कुमार, पेरेंट

सोशल मीडिया पर जिस तरह से पेरेंट्स ने खुद को व्यस्त कर लिया है। यह ठीक नहीं है। वर्किंग पेरेंट्स को अपने बच्चे के प्रति सचेत होना होगा। उन्हें अपने बच्चे के लिए समय निकालना होगा।

अनिल सिंह, पेरेंट

घर हो या स्कूल, बच्चे की पूरी मॉनीटरिंग होनी चाहिए। स्कूल में बच्चा क्या पढ़ रहा है। उसकी जानकारी रखनी चाहिए। होमवर्क कंप्लीट कराने के साथ-साथ उसके निजी जीवन में क्या समस्या है। उस पर भी ध्यान देना होगा।

अमित पटेल, पेरेंट

पेरेंट्स को इस बात का ध्यान रखना होगा कि उनका लाडला क्या कर रहा है। क्योंकि ज्यादातर पेरेंट्स अपने बच्चे को ट्यूटर के भरोसे छोड़ देते हैं। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए।

डॉ। आनंद कुमार उपाध्याय, पेरेंट