बच्चों की समस्या पर बात करने मनोविज्ञानशाला पहुंचे दो दिन में सिर्फ 40 लोग

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PPRAYAGRAJ: बच्चों पर प्रेशर है. एग्जाम से लेकर रिजल्ट तक. एडमिशन से लेकर पैरेंट्स की उम्मीदों पर खरा उतरने तक का. इन चैलेंज को फेस करने वाला बच्चा किन झंझावातों से जूझ रहा है, इससे ज्यादातर पैरेंट्स जानना भी नहीं चाहते. इसकी गवाही देता है मनोविज्ञानशाल में चल रहा शिविर. यहां दो दिन में सिर्फ 40 लोग अपने बच्चों की प्राब्लम डिस्कश करने पहुंचे.

2403 ने किया सुसाइड

2403

छात्रों ने परीक्षा में फेल होने के कारण सुसाइड किया.

4168

ने लव अफेयर व ड्रग एब्यूज या एडिक्शन के कारण जान दी

3647

ने अनइप्लाएमेंट के चलते मौत को गले लगाया

2207

लोगों ने अन्य कारणों के चलते सुसाइड किया

(स्रोत एनसीआरबी 2014 के आंकड़े)

तीन कारण हैं ज्यादा महत्वपूर्ण

बच्चों और युवाओं में तीन कारणों से सुसाइड अटेम्प्ट की घटनाएं बढ़ रही हैं. पैरेंट्स की जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने बच्चों की समय-समय पर काउंसलिंग कराए. ताकि ऐसे आत्मघाती कदम उठाने का विचार बच्चों या युवाओं के दिमाग में न आए. उनका जीवन सुरक्षित रहे. परीक्षा में फेल होना या अफेयर में साथी का छोड़कर चले जाना या किसी भी प्रकार के एडिक्शन के चलते जीवन खत्म करना ठीक नहीं है.

बच्चों की समस्याओं का फ्री निदान

मनोविज्ञानशाला में चल रहे शैक्षिक समस्याओं के समाधान शिविर में बच्चों और युवाओं को एक्सप‌र्ट्स फ्री में काउंसिलिंग कर रहे हैं. सोमवार से शुरू हुए शिविर के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. कमलेश तिवारी ने बताया कि दो दिनों में 40 बच्चे और उनके पैरेंट्स पहुंचे हैं. मंगलवार को मनोविज्ञानशाला के पूर्व निदेशक और वर्तमान में एससीईआरटी के डायरेक्टर संजय सिन्हा भी मौजूद रहे. पैरेंट्स और बच्चों की काउंसलिंग की गई. किाउंसलिंग के लिए आए एक युवक ने बताया कि आईएएस, पीसीएस समेत अन्य कई प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल हुआ. लेकिन उसे किसी में सफलता नहीं मिल सकी. इससे वह काफी डिप्रेशन में है. एक्सप‌र्ट्स ने टेस्ट लेकर उसे डिप्रेशन से बाहर आने का रास्ता बताया.

बच्चों की मानसिक स्थिति पर नजर रखना जरूरी है. पैरेंट्स बच्चों को साथ लेकर आ सकते हैं. यहां टेस्ट से उनका मेंटल स्टेटस पता लगाया जा सकता है. इसके बाद काउंसिलिंग की जाएगी. बच्चों को गलत फैसला लेने से रोकना भी पैरेंट्स की जिम्मेदारी है.

डॉ. कमलेश तिवारी