- 12 बच्चियों के परिजन पहुंचे जंक्शन, जांच जारी

- हिरासत में लिए गए दोनों व्यक्तियों से कड़ाई से पूछताछ

GORAKHPUR: ट्रेन से दो व्यक्तियों संग आगरा जा रही नाबालिग बच्चियों के मामले की जांच दिनभर चलती रही। जीआरपी-आरपीएफ की सूचना पर शुक्रवार को 12 बच्चियों के परिजन रेलवे स्टेशन पहुंचे। परिजनों ने दावा किया कि वह अपनी बेटियों को पढ़ाई के लिए मदरसे में भेज रहे थे। बच्चियों के कैरियर होने के शक में हिरासत में लिए गए दोनों व्यक्तियों को जीआरपी ने छोड़ दिया। इंस्पेक्टर ने बताया कि जांच पड़ताल के बाद उनको भेज दिया गया। जरूरत पड़ने पर दोबारा बुला लिया जाएगा। उधर देर शाम चाइल्ड लाइन में मौजूद बच्चियों और उनके परिजनों को चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के सामने पेश किया। वेरीफिकेशन पूरा कराकर 11 बच्चियों को उनके परिजनों को सौंप दिया गया। जबकि अन्य बच्चियों को चाइल्ड लाइन में रखा गया है। एसपी जीआरपी ने बताया कि मामले की जांच कराई जा रही है। बच्चियों के समूह को साथ ले जा रहे लोगों के पास से कोई सहमति-अधिकार पत्र नहीं मिला था। मदरसे से संबंधित वेरीफिकेशन के लिए पुलिस टीम आगरा रवाना की गई है। कोई संदिग्ध मामला सामने आने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

अवध एक्सप्रेस में हुई थी सवार

मुजफ्फरपुर से चलकर बांद्रा जाने वाली अवध एक्सप्रेस के एस-5 कोच में गुरुवार सुबह 11 बजे नरकटियागंज के पास 26 छोटी बच्चियों संग दो लोग सवार हुए। उनमें एक युवा था जबकि दूसरे अधेड़ व्यक्ति को देखकर यात्रियों को मानव तस्करी करने वाले गैंग का संदेह हुआ। यात्रियों ने इसकी सूचना प्रसारित की। आरपीएफ के कंट्रोल रूम को जानकारी मिली तो रेल प्रशासन हरकत में आ गया। जीआरपी थाना प्रभारी राणा राजेश ंिसंह, आरपीएफ पोस्ट प्रभारी भाष्कर सोनी सहित पुलिस बल ट्रेन की जांच के मुस्तैद हो गए। सूचना के आधार पर कप्तानगंज में भी आरपीएफ जवान सादे कपड़ों में कोच में पहुंचे। सात बजे ट्रेन गोरखपुर जंक्शन पहुंची तो बच्चियों को बोगी से उतारकर दोनों व्यक्तियों पश्चिम चंपारण, कोकिलाडीह लौरिया निवासी सफदर, सहमौली पकड़ी निवासी आस मोहम्मद शेख को हिरासत में ले लिया। दोनों ने जीआरपी-आरपीएफ को बताया कि बच्चियों को मदरसे में पढ़ाने के लिए आगरा ले जाया जा रहा था।

परिजनों ने बताया हर साल जाती बच्चियां

बच्चियों की कम उम्र होने और किसी परिजन के साथ मौजूद न होने से पुलिस का शक गहरा गया। बच्चियों से बातचीत करके पुलिस टीम ने मामले की जानकारी लेनी चाही। सामने आया कि 13 बच्चियां पश्चिमी चंपारण के खाब टोला, बरवा, तंदुरिया की रहने वाली हैं। अन्य सभी अगल-बगल के गांवों की हैं। रात में ही सबके परिजनों को सूचना दे दी गई। शुक्रवार सुबह 12 बच्चियों के परिजन रेलवे स्टेशन पहुंचे। उनसेपूछताछ करके पुलिस टीम ने जांच पड़ताल की। आईडी प्रूफ, रेजीडेंस प्रूफ लेकर मामले की पड़ताल में जुट गई। परिजनों ने बताया कि वह लोग अपनी मर्जी से बच्चियों को पढ़ने के लिए भेज रहे थे। गरीबी की वजह से वह बच्चियों को पढ़ा नहीं पा रहे। इसलिए हर साल ईद के बाद उनके गांव की बच्चियां आगरा के मदरसे में जाती हैं। वहां पर 14 साल तक की बच्चियों को रखा जाता है। कई अन्य बच्चे भी पढ़ाई करते हैं। करीब पांच साल से उनके गांव, आसपास इलाके के बच्चे वहां पढ़ने जा रहे हैं। उनके ले जाने वाले अक्सर गांव में आते जाते रहते हैं। दोनों दूर की रिश्तेदारी में भी आते हैं। पुलिस ने हिरासत में लिए गए व्यक्तियों के घर वालों से संपर्क किया। शुक्रवार शाम उनके परिजनों को बुलाकर जीआरपी थाना से छोड़ दिया। उधर पूर्ण कागजात होने पर 11 बच्चियों को सीडब्ल्यूसी के सामने पेश किया गया।

आगरा भेजी गई टीम, बिना अथॉरिटी होगी कार्रवाई

नाबालिग बच्चियों को बिना किसी अथॉरिटी के आगरा ले जाने के मामले में सख्ती बरतने की तैयारी हुई है। जीआरपी-आरपीएफ ने प्लान तैयार किया है कि इस तरह के मामलों में पूरी तरह से अंकुश लगाया जाएगा। परिजनों की सहमति पत्र, बिना किसी अथॉरिटी लेटर के बच्चों को ले जाने के मामले की सख्ती बरती जाएगी। उधर मदरसे की जांच पड़ताल के लिए जीआरपी की टीम रवाना की गई है। बताया जाता है कि आगरा के नूर आख्ता में मदरसा है। मामले की तस्दीक करके जीआरपी पूरी तरह से आश्वस्त होना चाहती है।

वर्जन

छोटी बच्चियों के समूह को पश्चिमी चंपारण से आगरा के शिक्षण संस्थान में ले लाया जा रहा था। शिक्षण संस्थान की जांच के लिए जीआरपी की टीम भेजी गई है। बच्चियों को ले जाने वाले लोगों के पास उनके माता-पिता की ओर से कोई अधिकार पत्र नहीं दिया गया था। इस प्रकरण की जांच की जा रही है। अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।

- पुष्पांजलि देवी, एसपी जीआरपी