- बोर्ड एग्जाम में खराब रिजल्ट पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की गई परिचर्चा

- एक्सप‌र्ट्स ने कहा, एजुकेशन सिस्टम में बदलाव से आएगा बदलाव

PATNA : बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड की क्ख्वीं की रिजल्ट ने सबको चौंका दिया। कड़ाई से हुई परीक्षा के बाद महज फ्0 फीसदी स्टूडेंट्स ही पास हो पाए। इस रिजल्ट को लेकर शिक्षा व्यवस्था पर कई सवाल खड़े हो गए हैं। कुछ लोग सरकार पर लापरवाही से खराब रिजल्ट देने का आरोप लगा रहे हैं। इस मुद्दे की तह तक पहुंचने के लिए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट में रिजल्ट के विभिन्न पहलुओं पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस मौके पर शहर के शिक्षाविद्, शिक्षक, स्टूडेंट्स और बिहार बोर्ड से पढ़कर पास होने वाले विभिन्न सेक्टर में काम करने वाले लोग शामिल हुए। परिचर्चा का संचालन दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के एडिटोरियल हेड अश्विनी कुमार पांडेय ने किया। प्रस्तुत है परिचर्चा में शामिल हुए लोगों के प्रमुख विचार।

खराब रिजल्ट में अगर किसी का दोष है तो वह है सिस्टम का। जब क्वालिटी एजुकेशन ही नहीं मिलती, स्टूडेंट्स का सिलेबस कंप्लीट नहीं होता तो कैसे अच्छे रिजल्ट की उम्मीद रख सकते हैं। शिक्षकों पर पढ़ाई पूरी कराने की जिम्मेदारी होनी चाहिए। उनका परफॉर्मेस मापने का कोई सिस्टम भी तो बने।

- प्रो। एसआर प्रसाद, डायरेक्टर, नीट जेईई पटना

स्कूल में पढ़ाई से ज्यादा तो छुट्टियां होती है। बच्चे और शिक्षक शराबबंदी, सत्याग्रह, जनगणना जैसे कामों में लगे रहते हैं। सरकारी स्कूल में पढ़ाई का न कोई समय है न ही बच्चे पढ़ने जाते हैं। बच्चों और शिक्षकों दोनों के लिए बायोमैट्रिक सिस्टम से अटेंडेंस लगना चाहिए।

- राजेश राज, सचिव, नई दिशा परिवार

हम अपने इंस्टीट्यूट में बच्चे और टीचर की नियमित समय पर परफॉर्मेस की रैंकिंग करते हैं। बिहार का शिक्षा तंत्र राजनीति के फेर में फंस गया है। इसे इससे निकालकर कड़े मापदंड़ों पर शिक्षकों का फ्म्0 डिग्री अप्रेजल होना चाहिए, तभी बदलाव दिखेगा।

- एम गोपाल, फाउंडर, बीएलएफ एकेडमी

70 के दशक के बाद देश का शिक्षा तंत्र खराब होने लगा था। एग्जाम में कड़ाई हुई तो सच्चाई सामने आ गई। फेल होने का बढ़ा परसेंटेज दिखाता है कि स्टूडेंट्स चोरी करके भी पास होते थे। हमने देखा है कि इवैल्यूएशन के समय भी पैरेंट्स का तांता लगा रहता है कि कोई पैसे लेकर भी पास करा दे।

- प्रदीप कुमार सिन्हा, सीनियर सेकेंड्री टीचर मेंबर, नियोजित संघ

जो इस शिक्षा सिस्टम को चला रहे, खराब रिजल्ट के दोषी वही हैं। मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री और प्रधानमंत्री जैसे पदों पर बैठे लोगों की जिम्मेदारी है कि शिक्षा की नीति में बदलाव कर व्यवस्था ठीक किया जाए। पिछले साल शिक्षा व्यवस्था की जिस तरह पोल खुली बावजूद इसके भी कोई परिवर्तन नहीं दिख रहा है।

- प्रेम नाथ प्रसाद, डायरेक्टर, प्रेमालोक मिशन

सिर्फ बोर्ड एग्जाम ही नहीं, शिक्षा व्यवस्था हर स्तर पर दूषित है। इसे बदलने की जरूरत है। शिक्षा के मामले में प्रयोग नहीं चलेगा। जिन लोगों ने अपने व्यक्तिगत साधन से पढ़ाई की है वे ही सफल हुए हैं। इस व्यवस्था को सुधारना है तो अधिकारियों- नेताओं के बच्चों को भी सरकारी स्कूल में पढ़ना चाहिए।

- राम बिनेश्नर सिंह, अध्यक्ष, बिहार राज्य सम्बद्ध डिग्री महाविद्यालय शिक्षकेत्तर कर्मचारी महासंघ

सिर्फ एग्जाम में सख्ती से रिजल्ट खराब नहीं हुआ है। अयोग्य शिक्षकों ने जल्दबाजी में कॉपियां चेक की हैं। इस वजह से कॉपियों में चूक होने की आशंका बढ़ जाती है। पढ़ाई न होने की बात करें तो ऐसे कई स्कूल हैं जहां शिक्षक ही नहीं, तो ऐसे स्कूल के स्टूडेंट्स कैसे पास होंगे।

- जय नारायण सिंह, प्रांतीय संयोजक, बिहार इंटरमीडियट शिक्षक महासंघ

हमारे एजुकेशन सिस्टम में टीचर वो बनता है जो डॉक्टर इंजीनियर या कोई दूसरी सरकारी नौकरी नहीं कर पाता है। ऐसे तीसरे कैटेगरी के लोग शिक्षण में आते हैं तो उनसे अच्छी पढ़ाई की उम्मीद कैसे रख सकते हैं।

- ओमकार शरण, एमडी, मैग्नीफिसेंट इंजीनियरिंग

सरकारी स्कूलों में अगर डिसिप्लीन मेंटेन हो, समय पर इंटरनल एग्जाम हो और पढ़ाई ठीक हो तो रिजल्ट सुधरेगा।

- अनन्या आनंद, स्टूडेंट

जिस तरह से खराब रिजल्ट आए हैं, मुझे डर लग रहा है कि हमारे एग्जाम का क्या होगा।

- आशीष रंजन भारद्वाज, स्टूडेंट

मा‌र्क्स से यह साफ हो गया कि एग्जाम में चीटिंग न हो तो पास करना मुश्किल हो जाएगा।

- आशुतोष झा, स्टूडेंट

खराब मा‌र्क्स लाने वालों में कुछ अच्छे स्टूडेंट्स भी हैं। बोर्ड को उनकी कॉपी फिर से चेक करवानी चाहिए। इवैल्यूएशन में भी गलती हुई है।

- नितिका झा, स्टूडेंट

स्कूल नहीं चलता तो रिजल्ट तो खराब होगा ही। पढ़ाई पर भी ध्यान देना जरूरी है।

- सुभाष कुमार , स्टूडेंट

व्यवस्था में बदलाव किया दाना चागिए। जिन्होंने पढ़ाई की है उनका रिजल्ट अच्छा आया है।

- कुंदन कुमार

बोर्ड से ज्यादा गलती सरकार और समाज की है। हमने अपना एजुकेशन सिस्टम ऐसा बनाया है कि वहां सर्टिफिकेट को ज्ञान से ऊपर माना जाता है।

- शंकर कुमार झा, शिक्षक

बोर्ड ने फ‌र्स्ट डिविजन से पास होने वाले स्टूडेंट्स को साजिश के तहत किसी न किसी सब्जेक्ट में पास किय है।

- नितिन प्रकाश, टीचर, एसीएस पटना सिटी

परिचर्चा का अमृत

- शिक्षकों को शिक्षण कार्य के अलावा कोई अतिरिक्त काम न दिया जाए।

- स्कूल में टीचर्स की कमी न रहने दी जाए।

- टीचर का जॉब महज नौकरी न होकर सेवा भाव वाला हो, ऐसी व्यवस्था की जाए।

- रीचेकिंग की व्यवस्था की जाए। अभी सिर्फ स्क्रूटनी होती है जिसमें कॉपी रिचेक नहीं किया जाता।

- सरकारी स्कूलों का इंफ्रस्ट्रक्चर ठीक किया जाए।

- मंत्री- अधिकारियों के बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ने भेजा जाए, ताकि व्यवस्था सुधर सके