- फायर एक्सटिंग्यूशर और फ‌र्स्ट एड बॉक्स है बस में नदारद

BAREILLY:

परिवहन निगम बरेली परिक्षेत्र की बसों व बस अड्डे पर यात्रियों की सुरक्षा में बड़ी चूक बरती जा रही है। बस में शार्ट सर्किट से या फिर बस अड्डे पर किसी कारण से आग लगती है, तो बचाव के लिए हाथ खाली होंगे। क्योंकि बसों में लगे अग्निशमन यंत्र गायब हैं, तो बस अड्डे पर आग बुझाने के लिए रखी बालू भरी बाल्टी कूड़ादान बन गई है। ऐसे में, यात्रियों की जान जोखिम में पड़ जाए तो इनकार नहीं किया जा सकता। आइए आपको बताते हैं आग से बचाव के इंतजाम की हकीकत

500 बसों से गायब फायर एक्सटिंग्यूशर

बरेली परिक्षेत्र में बसों की संख्या 500 से भी अधिक हैं। लेकिन, फायर एक्सटिंग्यूशर एक में भी नहीं लगा हुआ है। यहीं नहीं बसों में फ‌र्स्ट एड बॉक्स भी नदारद हैं। जबकि, पैसेंजर्स की सुरक्षा के लिए फायर एक्सटिंग्यूशर के अलावा फ‌र्स्ट एड बॉक्स होना बेहद जरूरी है। ताकि, आग लगने की कोई घटना या फिर किसी को चोट आती है, तो सुरक्षा इंतजाम का इस्तेमाल किया जा सके। लेकिन, अधिकारियों की लापरवाही इस कदर है कि एक भी बस में सुरक्षा की व्यवस्था नहीं हैं। जबकि, इन सारी व्यवस्थाओं के लिए लाखों रुपए का फंड जारी होता है।

एक्सपायर है बचाव का साधन

दोनों बस स्टेशन पर फायर एक्सटिंग्यूशर लगे हुए हैं। हैरत की बात यह है कि सेटेलाइट पर लगा एक मात्र फायर एक्सटिंग्यूशर एक्सपायर हो चुका है, जिसकी वैलिडिटी खत्म हुए सात साल हो चुके हैं। सेटेलाइट बस अड्डे पर दो कैंटीन हैं। जहां पर दिन-रात समोसे, पकौड़े बनाने के लिए गैस जलती है। जिसके चलते किसी भी वक्त हादसा हो सकता हैं। वहीं पुराने बस स्टेशन पर फायर से निपटने के लिए टंगी बाल्टी में रेत की जगह पत्तल और पॉलीथिन पड़े हैं।

फिलिंग स्टेशन पर भी बरत रहे लापरवाही

रोडवेज के क्षेत्रीय वर्कशॉप में बरेली डिपो और रुहेलखंड डिपो के दो फिलिंग स्टेशन इस समय वर्क कर रहे हैं। लेकिन, एक भी फिलिंग स्टेशन पर फायर एक्सटिंग्यूशर नहीं लगा मिला। हालांकि, फिलिंग स्टेशन के चंद कदम दूरी पर आग से निपटने के लिए बालू वाली बाल्टियां टंगी हुई थी। कुछ बाल्टियां जमीन पर भी पडी हुई थी। लेकिन, एक भी बाल्टी में रेत नहीं भरा हुआ था। कि आग लगने पर उसका इस्तेमाल किया जा सके।

सुरक्षा को लेकर बस स्टेशन फायर एक्सटिंग्यूशर लगे हुए हैं। सेफ्टी को लेकर थोड़ी बहुत जो कमियां है उसे दूर करने का काम किया जा रहा हैं।

मृगांग अग्रवाल, एसएम, रोडवेज

किसी भी बस में फ‌र्स्ट एड बॉक्स नहीं लगे हुए हैं। न तो फायर एक्सटिंग्यूशर है। ऐसे में कोई हादसा होता है, तो कौन जिम्मेदार होगा।

कैलाश चंद्र मित्तल, पैसेंजर

एक बार मुझे बस में चढ़ते वक्त चोट लग गयी। जब मैंने कंडक्टर से बैंडेड मांगा तो उसका कहना था कि बैंडेड नहीं है। जिस वजह से मुझे बस रुकवा कर मार्केट से बैंडेड लेना पड़ा।

अभय सिंह