-कैंटोनमेंट बोर्ड के पार्क की ग्रीनरी, फूल, झूला और सफाई के साथ दिख रहे मेंटेन

- मोहल्ले के पार्क छोड़ कैंट क्षेत्र में परिवार के साथ पार्क में पहुंच रहे शहर के लोग

BAREILLY :

बरेलियंस के लिए शहर में पार्क तो हैं, लेकिन आसपास रहने वालों ने पार्को को निजी प्रॉपर्टी बना रखा है। कोई पार्क में कपड़े सुखा रहा है तो कोई गाड़ी पार्क कर रहा है। नगर निगम के इन पार्को की दुर्दशा स्थानीय पार्षदों को भी पता है लेकिन वह भी पार्को को अनदेखा किए हुए हैं। इससे लगता है कि या तो स्थानीय पार्षद की शह पर ही पार्क को पार्किंग बना दिया गया या फिर पार्षद को अपने क्षेत्र के पार्को की चिंता ही नहीं है। शहर के पार्को की हालत जानने के लिए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने कैंपेन शुरू किया है। इसके तहत थर्सडे को शहर के राजेन्द्र नगर और कैंट के गांधी बाग की हकीकत जानी तो राजेन्द्रनगर के पार्क में कार पार्किंग मिली।

गांधी बाग पार्क

-पार्क पूरी तरह से ग्रीनरी से भरपूर और सफाई व्यवस्था एकदम फिट

-पार्क में 2 माली कैंटोनमेंट के और 8 माली प्राइवेट तौर पर करते हैं काम

-पार्क में पानी भी व्यवस्था, कैंटीन और दो टॉयलेट की भी है व्यवस्था

-बाइक पार्किंग की भी सही व्यवस्था, गेट पर मौजूद रहता है वाचमैन

-पार्क में लाइट की अच्छी व्यवस्था

-पार्क में फाउंटेन, झूले हैं

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राजेन्द्र नगर पार्क

-पार्क की बाउंड्री कॉलोनी के लोगों ने ही तोड़कर उसे पार्क को ही कार पार्किंग बना दिया

-पार्क में एक भी झूला, ग्रीनरी तक नहीं है इससे बच्चे भी खेलने के लिए नहीं आते

-पार्क में रात को रोशनी की कोई व्यवस्था नहीं है इसीलिए रात में स्थानीय निवासियों को भी डर लगता है

-पार्क बनाने के बाद नगर निगम की तरफ से कोई माली या फिर कर्मचारी देखने के लिए नहीं पहुंचता

-बैठने तक के लिए कोई बैंच नहीं सिर्फ नाम का पार्क

-घरों का कूड़ा भी आसपास के लोगों ने पार्क में ही फेंकना शुरू कर दिया

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शहर में नगर निगम के पार्क बदहाल हैं इसीलिए कॉलोनी के लोग भी पार्क में जाना पसंद नहीं करते हैं। जबकि कैंटोनमेंट बोर्ड के पार्क आज भी अच्छे ही नहीं सुंदर हैं। इसीलिए गांधी बाग आता हूं।

आर्यन

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ग्रीन पार्क से गांधी बाग पार्क परिवार के साथ आया हूं, यहां आकर अच्छा लगता है। पार्क में ग्रीनरी और झूले दोनों ही अच्छे हैं।

अवधेश

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गांधी बाग में आकर अच्छा लगा, इतने अच्छे पार्क शहर में नहीं हैं। शहर के भी पार्क अच्छे हों तो यहां पर लोगों की भीड़ न होती।

पूजा

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पार्क में पहली बार आई हूं, लेकिन पार्क बेशक अच्छा है। सिविल लाइंस एरिया के भी पार्क इतने अच्छे नहीं हैं। नगर निगम और बीडीए को भी कैंटोनमेंट बोर्ड के पार्क से सीख लेनी चाहिए।

रूचिका

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हमें जब भी समय मिलता है तो दोस्तों के साथ फूल बाग आता हूं। शहर में दो-तीन ही ऐसे पार्क हैं जहां पर बैठकर कुछ सुकून मिलता है। जबकि अधिकांश पार्क शहर के बदहाल हैं।

रिषभ