शरीफ का यह बयान लंदन में आयोजित एक बैठक के दौरान आया, जिसे बाद में पाकिस्तान दूतावास की ओर से जारी किया गया.

उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत 'संवैधानिक ढांचे के तहत' होनी चाहिए लेकिन पाकिस्तान में निर्दोष लोगों की लगातार हो रही हत्याओं को देखते हुए वह 'इंतजार करो और देखो की नीति' नहीं अपना सकते.

दूसरी ओर, पाकिस्तान में तालिबान के एक सूत्र ने बीबीसी को बताया कि सरकार की ओर से अभी तक किसी तरह का सीधा संपर्क नहीं किया गया है.

"दोनों पक्षों के बीच बातचीत संवैधानिक ढांचे के तहत होनी चाहिए, लेकिन पाकिस्तान में निर्दोष लोगों की लगातार हो रही हत्याओं को देखते हुए इंतजार करो और देखो की नीति नहीं अपना सकते."

-नवाज शरीफ, पाक प्रधानमंत्री

सूत्र ने कहा कि कोई भी सरकारी दूत उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के कबायली इलाके में नहीं आया है, जहां तालिबान का केंद्र है.

जबकि पिछले महीने की शुरुआत में तालिबान नेता हकीमुल्ला महसूद ने बीबीसी को बताया था कि वह सरकार के साथ गंभीर बातचीत के लिए तैयार हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि अभी तक इस बारे में कोई संपर्क नहीं किया गया है.

उस साक्षात्कार में उन्होंने सार्वजनिक जगहों पर हमलों से इनकार किया लेकिन कहा कि वह अमरीका और साथी देशों को लगातार निशाना बनाते रहेंगे.

मई में नवाज शरीफ के प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद उन्होंने तालिबान के साथ बिना कोई शर्त बातचीत करने की घोषणा की थी.

इसके साथ ही शरीफ पाकिस्तान में चरमपंथियों के खिलाफ ड्रोन हमले रोकने के लिए अमरीका पर दबाव बनाते रहे हैं. इन हमलों में बड़ी संख्या में नागरिक भी मारे गए हैं.

हाल के वर्षों में तालिबान ने पाकिस्तान के खिलाफ अपनी लड़ाई में कई लोगों की हत्या की है. साथ ही तालिबान पर आत्मघाती हमलों के आरोप भी लगते रहे हैं.

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