मुखर्जी के लिए यह सातवां मौका है जब वह लोकसभा में बजट पेश करेंगे. मुखर्जी ऐसे दूसरे केंद्रीय वित्त मंत्री हैं जिन्होंने सबसे अधिक बार बजट पेश किया है. सबसे अधिक 10 बजट पेश करने का रिकॉर्ड पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के नाम है. देसाई वर्ष 1959-64, 1967-70 और 1977 एवं 1979 में केंद्रीय वित्त मंत्री रहे.

मुखर्जी के सामने सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक विकास को पटरी पर लाने की है. आर्थिक विकास दर पिछले छह तिमाही से निम्न स्तर पर बनी हुई है. जीडीपी की दर वर्तमान वित्तीय वर्ष के तीसरी तिमाही में तीन वर्ष के निम्नतर स्तर 6.1 प्रतिशत पर आ गई. जीडीपी की दर मौजूदा वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही में 6.9 फीसदी और पहली तिमाही में 7.7 प्रतिशत दर्ज की गई.

केंद्रीय सांख्यिकी संगठन के आंकड़ों के मुताबिक 31 मार्च को समाप्त हो रहे वित्तीय वर्ष में आर्थिक विकास गिरकर 6.9 प्रतिशत आने की उम्मीद है. बजट में आर्थिक विकास का लक्ष्य नौ फीसदी के करीब रखा गया था.

संसद में गुरुवार को पेश आर्थिक सर्वेक्षण में वर्ष 2012-13 के लिए आर्थिक विकास की दर 7.6 फीसदी और वर्ष 2013-14 में 8.6 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया.

वहीं, इस वर्ष राजकोषीय घाटा की स्थिति भी अत्यंत खराब हुई है. अनुमान है कि राजकोषीय घाटा जीडीपी के 5.6 फीसदी तक बढ़ने वाला है, बजट में इसे 4.6 प्रतिशत रहने की उम्मीद जताई गई थी.

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