- पानी की निकासी के लिए नगर निगम ने नहीं बनाया है मुख्य नाला

BAREILLY:

किसी भी शहर की आर्थिक रीढ़ इंडस्ट्रियल एरिया को कहा जाता है। जो कि उस शहर के विकास में अहम भूमिका निभाता है, लेकिन बरेली में इंडस्ट्रियल एरिया ही उपेक्षा का शिकार है, जो आर्थिक ढांचे को खोखला कर रही है। जी हां, 50 वर्ष पहले बसे परसाखेड़ा इंडस्ट्रियल एरिया की सड़कें अब पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई हैं। गड्ढा युक्त सड़कों पर बारिश में चारों तरफ जलभराव भी हो गया है। सड़न पैदा होने से उद्यमियों के कच्चे माल का भारी नुकसान हो रहा है। वहीं माल लेकर आ और जा रहे ट्रकों और टैंकर के पलटने का खतरा हर वक्त बना हुआ है। फिर, भी नगर निगम अपनी जिम्मेदारियों से पीछा छुड़ा रहा है। उसका कहना है कि शासनादेश के मुताबिक परसाखेड़ा इंडस्ट्रियल एरिया में टैक्स का 60 परसेंट से अधिक हिस्सा खर्च हो रहा है। ऐसे में वह कुछ नहीं कर सकते।

एक करोड़ टैक्स फिर भी सड़क पर गड्ढे

परसाखेड़ा इंडस्ट्रियल एरिया 50 वर्ष पहले बसा था। 392 एकड़ में फैले इंडस्ट्रियल एरिया में 152 इंडस्ट्रीज रन कर रही हैं। इसके अलावा भारत पेट्रोलियम का बॉटलिंग प्लांट और एफसीआई का गोदाम भी बना हुआ है। पहले एरिया के विकास की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (यूपीएसआईडीसी) की थी। लेकिन वर्ष 2004 में यूपीएसआईडीसी ने नगर निगम को हैंडओवर कर दिया। सड़क के खराब होने पर मरम्मत का काम नगर निगम का है, लेकिन नगर निगम अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहा है। जबकि, नगर निगम को हर वर्ष करीब 1 करोड़ रुपए टैक्स इंडस्ट्रीज से मिल रहा है।

मुख्य नाला नहीं बना कहां जाए बारिश का पानी

नगर निगम ने यहां मुख्य नाला ही नहीं बनाया है। जिससे बारिश का पानी बाहर निकल ही नहीं पा रहा है। सड़क पर पानी भरे होने से हैवी व्हीकल्स के आने-जाने से सड़कें बुरी तरह से टूट गई हैं। सड़क पर जगह-जगह एक से दो फीट गहरे गड्ढे हो गए हैं। ट्रके जब चलती हैं, तो लहराते हुए चलती हैं। ऐसा लगता है किसी भी वक्त पलट जाएगी। उद्यमियों की मानें तो वाहनों के पलटने की घटना कई बार हो चुकी है। सड़क पर जलभराव होने से माल का काफी नुकसान होता है। इस पूरे मामले में नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि शासन का निर्देश है कि जितना टैक्स मिल रहा है, उसका 60 परसेंट इंडस्ट्रियल एरिया के विकास में खर्च करें। लेकिन परसाखेड़ा में 70 से 80 परसेंट रुपया टैक्स का खर्च हो रहा है।

परसाखेड़ा इंडस्ट्रियल एरिया एक नजर

- 50 वर्ष पहले बसा इंडस्ट्रियल एरिया।

- 392 एकड़ में फैला है इंडस्ट्रीज एरिया।

- 152 इंडस्ट्रीज एग्रो बेस्ड और प्लाईवुड के हैं।

- 2004 में यूपीएसआईडीसी ने नगर निगम को इंडस्ट्रियल एरिया कर दिया था हैंडओवर।

- इंडस्ट्रीज के अलावा भारत पेट्रोलियम का बॉटलिंग प्लांट और एफसीआई का गोदाम भी बना है।

- 1 करोड़ रुपए टैक्स हर वर्ष नगर निगम को जाता है।

- 1000 हजार से अधिक ट्रक, टैंकर और छोटा हाथी करते हैं अप-डाउन।

इंडस्ट्रियल एरिया की सड़कें काफी खराब हो चुकी हैं। जिसकी वजह से काफी दिक्कत होती है। इस बात को उद्योग बंधु की बैठक में भी रखा गया था। अधिकारियों का कहना है कि बारिश बाद सड़कों का मेंटिनेंस होगा।

घनश्याम खंडेलवाल, प्रेसीडेंट, परसाखेड़ा इंडस्ट्रियल वेलफेयर सोसाइटी

हर वर्ष एक करोड़ रुपए टैक्स पूरे इंडस्ट्रियल एरिया से नगर निगम को जाता है। सड़क निर्माण का कार्य उसी का है। जलभराव से कच्चे माल का काफी नुकसान हो रहा है। एक्सीडेंट का भी खतरा रहता है।

विमल रेवाड़ी, सेक्रेटरी, परसाखेड़ा इंडस्ट्रियल वेलफेयर सोसाइटी

परसाखेड़ा इंडस्ट्रियल एरिया की सड़कें खराब होने की बात सामने आई है। फिलहाल बारिश में सड़क की मरम्मत हो पाना सम्भव नहीं है। बारिश के बाद सड़क की मरम्मत कराई जाएगी।

सीके मौर्य, आरएम, यूपीएसआईडीसी

शासनादेश के मुताबिक परसाखेड़ा इंडस्ट्रियल एरिया में टैक्स का काफी हिस्सा खर्च हो रहा है। इससे अधिक नगर निगम वहां पर खर्च नहीं कर सकता है।

ईश शक्ति सिंह, अपर नगर आयुक्त