समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार सोनिया गांधी ने सोमवार को तिरुवनंतपुरम में कहा, “ज़रूरतमंद लोगों को हर मौके पर भेदभाव का सामना करना पड़ सकता है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए सरकार ने कई स्कीमों के जरिए लाखों लोगों को सशक्त किया है.”

पीटीआई के मुताबिक सोनिया ने भी कहा, "वो (भाजपा) हमारी पार्टी का मज़ाक उड़ाती है, वो हमारे प्रधानमंत्री का मज़ाक उड़ाते हैं, मैं उन्हें बताना चाहती हूँ कि पूरी पार्टी प्रधानमंत्री के साथ है."

सोनिया गांधी के इस वक्तव्य को राहुल गाँधी के उस बयान से जोड़कर देखा जा रहा है जिसमें राहुल गांधी ने दागी नेताओं से जुड़े यूपीए सरकार के अध्यादेश को बकवास बताया था.

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने 'दांग़ी सांसदों और विधायकों' पर लाए गए यूपीए सरकार के अध्यादेश को 'बकवास' करार देते हुए कहा था कि इसे फ़ाड़कर फेंक देना चाहिए.

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा था कि, “हमारी सरकार ने इस अध्यादेश के मामले में जो कुछ भी किया है वो गलत है.”

राहुल गांधी का बयान

राहुल गांधी के इस बयान को लेकर राजनीतिक गलियारों में इस बात पर चर्चा तेज़ हो गई थी कि उनके बयान से प्रधानमंत्री के पद की गरिमा को ठेस पहुंची है.

"ज़रूरतमंद लोगों को हर मौके पर भेदभाव का सामना करना पड़ सकता है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए सरकार ने कई स्कीमों के जरिए लाखों लोगों को सशक्त किया है."

-सोनिया गांधी

इस बयान पर विवाद उठने के बाद सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से फोन पर बात की थी, जो उस वक्त संयुक्त राष्ट्र की एक बैठक में शामिल होने अमरीका गए थे.

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने भी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक चिठ्ठी भेजी जिसमें उन्होंने मनमोहन सिंह की नेतृत्व की प्रशंसा की थी. बाद में राहुल गांधी के इस पत्र को सार्वजनिक कर दिया गया था.

राहुल गांधी के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि, "कांग्रेस उपाध्यक्ष ने इस मसले पर मुझे भी लिखा है और एक बयान भी दिया है. सरकार की इन सभी गतिविधियों पर नज़र है."

मनमोहन सिंह ने एक बयान जारी कर कहा, "इस मसले पर मेरे भारत लौटने पर कैबिनेट के परामर्श के बाद विचार किया जाएगा."

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में सरकार कुछ दिन पहले अध्यादेश लेकर आई है जिसमें कहा गया है कि कुछ शर्तों के तहत अदालत में दोषी पाए जाने के बाद भी सांसदों और विधायकों को अयोग्य क़रार नहीं दिया जा सकेगा.

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