- गोरखपुर डिपो के पैसेंजर हॉल की कभी भी गिर सकती है छत

- यात्री से लेकर कर्मचारी तक रहते हैं हमेशा दहशत में

GORAKHPUR : अगर आप गोरखपुर बस डिपो के पैसेंजर हॉल में बैठे हैं, तो एंबुलेंस का नंबर स्पीड डायल पर लगाकर रखिए। क्योंकि पैसेंजर हॉल की छत इतनी जर्जर हो चुकी है कि कब ढह जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। तस्वीरें हॉल की भयावह स्थिति बयां करती हैं। पैसेंजर्स अपनी जान की सलामती की दुआ मांग कर ही पैसेंजर हॉल में दाखिल होते हैं। गोरखपुर डिपो क्9भ्0 में बना था। म्ब् साल गुजर चुके हैं, लेकिन डिपो की आज तक एक बार भी मरम्मत नहीं हुई है। हालांकि रोडवेज प्रशासन इस सबसे बेखबर कुंभकर्णी नींद सो रहा है। स्टेशन मैनेजमेंट ने कई बार रिपेयरिंग के लिए हायर अथॉरिटीज को लेटर लिखा है, लेकिन आज तक डिपो?के दिन नहीं बहुरे हैं।

बाल-बाल बच गया था यात्री

बीते दिनों बस पैसेंजर रामध्यान यात्री हॉल में बैठकर ठूठीबारी के लिए बस का इंतजार कर रहे थे। तभी यात्री हॉल की छत का प्लास्टर गिर गया। हॉलांकि इस घटना में वह बाल-बाल बच गए। स्टेशन पर तैनात कर्मचारियों की मानें तो छत का प्लास्टर गिरने की सूचना उन्होंने अधिकारियों को दी। अधिकारियों ने भी इसकी रिपेयरिंग के आश्वासन दिया, लेकिन आज तक रिपेयरिंग का काम शुरू नहीं हो सका है।

यात्री से लेकर कर्मचारी तक रहते हैं दहशत में

बस स्टेशन के यात्री हॉल में बैठे कुछ यात्रियों ने आई नेक्स्ट को बताया कि यात्री हॉल पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। कर्मचारियों से बात की गई तो उन सभी का कहना था कि यात्री हॉल समेत पूरे डिपो का निर्माण क्9भ्0 के आसपास हुआ था, लेकिन आज तक कभी भी रिपेयरिंग नहीं हुई है। यात्री हॉल के साथ-साथ जूनियर स्टेशन इंचार्ज के ऑफिस की छत भी खस्ताहाल है।

कई बार उठी रिपेयरिंग की मांग

डिपो के एआरएम ऑफिस में तैनात कर्मचारी जान जोखिम में डालकर काम करने को मजबूर हैं। ऐसा नहीं कि कर्मचारियों ने स्टेशन प्रबंधन या फिर डिपो के प्रबंधक को अवगत न कराया हो, लेकिन इसे गंभीरता से लेने के बजाय नजरअंदाज कर दिया जाता है। जबकि कर्मचारियों की यूनियन के मेंबर्स भी कई बार मांग उठा चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है।

लापरवाह है मुख्यालय

डिपो की रिपेयरिंग का काम गोरखपुर डिपो के बिल्डिंग इंजीनियर्स करते हैं। बिल्डिंग डिपार्टमेंट के इंजीनियर्स बिल्डिंग की रिपेयरिंग के लिए इस्टीमेट बनाकर मुख्यालय भेज चुके हैं। इसके बाद भी अभी तक बजट नहीं मिला है। वहीं बिल्डिंग सेक्शन की जिम्मेदारी निभाने वाले अफसर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस्टीमेट बनाकर भेजे हुए एक अरसा हो गया है, लेकिन मुख्यालय के उदासीन रवैये के चलते अब तक बजट सैंक्शन नहीं हो सका है।

जर्जर बिल्डिंग को मैने भी वॉच किया है, यह गंभीर मसला है। इसके लिए हेडक्वार्टर को लेटर लिखा गया है। वहीं रिपेयरिंग के लिए बिल्डिंग सेक्शन ने इस्टीमेट बनाकर मुख्यालय भेजा है, लेकिन बजट नहीं आया है।

सुग्रीव राय, आरएम, यूपीएसआरटीसी, गोरखपुर रीजन