- तीन माह बाद भी सभी बसें नहीं हो पाईं ऑन रूट

- पैसेंजर्स को करना पड़ रहा है मुसीबतों का सामना

-बसों के न होने से पैसेंजर्स को ज्यादा किराया देकर करना पड़ रहा सफर

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KANPUR। रोडवेज की लापरवाही की सजा शहर की जनता ज्यादा किराया खर्च करके भुगत रही है। सिटी बसों का मेंटीनेंस प्राइवेट कंपनी को देने के तीन माह बाद भी सिर्फ 85 बसें ही ऑन रूट हो पाई हैं। जिसकी वजह से डेली पैसेंजर्स को मजबूरी में टैंपो और आटो में सफर करना पड़ रहा है। जिसके लिए पैसेंजर्स को कई बार साधन बदलने के झंझट के साथ ही दोगुना किराया भी चुकाना पड़ रहा है।

रामादेवी से कल्याणपुर तक 15 रुपये

अगर किसी पैसेंजर को रामादेवी से कल्याणपुर तक जाना हो तो सिटी बस से उसे 15 रुपये का किराया देना होगा। मगर सिटी में घूम रहे टैंपो, आटो से जाना पड़े तो इसका दुगना किराया चुकाना पड़ता है। वहीं रास्ते में दो जगह टैंपो व आटो बदलना पड़ेगा, वो अलग। पहले रामादेवी से घंटाघर आओ, जिसके लिए 12 रुपये लिए जाते हैं। फिर घंटाघर से रावतपुर के लिए 10 रुपये और फिर रावतपुर से कल्याणपुर के लिए 5 रुपये लिए जाते हैं। इस तरह से 27 रुपये लग जाते हैं। ये सिर्फ एक रूट का हाल है। यही हाल अन्य रूटों का भी है। हर रूट पर सिटी बसों के हिसाब से ज्यादा किराया ही देना पड़ता है। कहीं-कहीं तो दुगना किराया बैठता है। जिसका बोझ आम पैसेंजर की जेब पर पड़ता है।

तीन माह में भी नहीं सही हो पाईं बसें

सिटी बसें तीन माह बाद भी सही नहीं हो पाईं हैं। बताते चलें कि फजलगंज में कुल 270 सिटी बसें खड़ी हैं। जिनमें तीन माह पहले सिर्फ 20 बसें ही रोड पर चल रही थीं। प्राइवेट कंपनी को मेंटीनेंस का काम देने के बाद 65 सिटी बसें सही हो पाई हैं। इस तरह से इस समय कुल 85 सिटी बसें ही चल रही हैं। विभाग ने दो माह के अंदर बसें रोड पर लाने का ऐलान किया था लेकिन फिलहाल ऐसा होता नहीं दिख रहा है।

कई रूटों पर बसें नहीं

सिटी में कई ऐसे रूट हैं, जिनमें बसें नहीं हैं। बड़ा चौराहा से रामादेवी, जाजमऊ, जेके कालोनी, श्याम नगर से फूलबाग, श्याम नगर से किसान नगर सहित कई ऐसे रूट हैं, जिनमें बसें नहीं हैं। इन स्थानों को दूसरे रूटों से कवर किया जाता है। जिसमें घंटों पैसेंजर्स को इंतजार करना पड़ता है। जबकि सीधे-सीधे इन रूटों पर पैसेंजर्स की संख्या अच्छी रहती है। सिटी में रोज लगभग 1 लाख पैसेंजर सिटी बसों से ट्रैवल करते हैं।

सिटी बसों के मेंटीनेंस का काम जारी है। उन्हें आन रूट करने के लिए तेजी से प्रयास हो रहा है। कुछ संविदा कर्मियों से अपेक्षित सहयोग नहीं मिला। कमिश्नर के निर्देशन में ही प्राइवेट कंपनी को काम सौंपा गया था।

- नीरज सक्सेना, आरएम