49 किमी के 50 पैसे

रोडवेज पैसेंजर्स की सुरक्षा-सुविधा के नाम पर प्रति किमी पर एक पैसे चार्ज करता है। 49 किमी पर पैसेंजर्स से 50 पैसे लिए जाते हैं। झकरकटी बस स्टेशन से 1100 बसें डेली अप-डाउन करती हैं। जिससे लगभग 1.21 हजार पैसेंजर्स सिटी से आते व जाते हैं। एआरएम वीएस विश्वकर्मा के मुताबिक एवरेज 40 परसेंट पैसेंजर्स 50 किमी और 60 परसेंट पैसेंजर्स 100 किमी से ऊपर का सफर करते है। इसको काउंट किया जाए तो रोडवेज मंथली पैसेंजर्स की जेब से करीब 40 लाख रुपए से ज्यादा वसूल करता है, लेकिन इसके बाद भी सुविधा और सुरक्षा के नाम पर पैसेंजर्स के खाते में कुछ नहीं आता है।

सालों से खेल रहे लेटर-लेटर

सिक्योरिटी के इंतजाम भले ही हकीकत में न हुए हों, लेकिन कागजों में रोडवेज की सुरक्षा मुस्तैद रहती है। एआरएम वीएस विश्वकर्मा ने बताया कि मुख्यालय से हर साल लेटर आता है जिसमें पूछा जाता है कि रोडवेज स्टेशन और बसों में पैसेंजर्स की सुरक्षा के लिए क्या जरूरत है। जिसके जवाब में हमारी ओर से बसों में सिक्योरिटी गार्ड, स्टेशन पर सीसीटीवी, पुलिस बल की डिमांड की गई। लेकिन उसके बाद कुछ नहीं होता है। उन्होंने कहा कि सालों से लेटर-लेटर खेलते थक गए हैं। चेकिंग के नाम पर ‘खेल’

रोडवेज बसों में चेकिंग और सुरक्षा को देखते हुए हर डिपो एरिया में 3 ट्रैफिक इंस्पेक्टर और 1 टीएस की तैनाती की गई है। जिनका काम मोबाइल वैन की तरह पैसेंजर्स की हर तरह से सुरक्षा करना होता है। इसमें हर एरिया में सालाना 1.5 करोड़ का खर्च भी होता है। लेकिन इसके बाद भी टीएस और टीआई अपना काम ढंग से नहीं करते है।

‘बस ये न पूछो’

अंतर्राज्यीय बस स्टेशन का तमगा हासिल किए झकरकटी बस स्टेशन पर जब आई नेक्स्ट रिपोर्टर पहुंचा तो स्टेशन पर सिक्योरिटी के नाम पर कोई भी मौजूद नहीं था। मेन एंट्री गेट पर से बिना चेकिंग के ही लोगों को आना जाना था। रिपोर्टर ने जब स्टेशन एआरएम वीएस विश्वकर्मा से कहा कि स्टेशन पर कोई चेकिंग क्यों नहीं है? उन्होंने कहा कि भाई ये न पूछो, रोडवेज भगवान भरोसे है जहां कुछ इंतजाम करने की बारी आती है। तो सभी हाथ खड़े कर देते हैं।

फिर किसी ‘दामिनी’ का इंतजार

दिल्ली में हुए दामिनी रेप कांड के बाद बसों में सुरक्षा को पुख्ता करने के लिए यूपी परिवहन निगम ने सख्त रुख अपनाया था। जिसके बाद रोडवेज ड्राइवर्स और कंडक्टर का सम्पूर्ण ब्योरा लेने और आई कार्ड लटका कर चलना अनिवार्य किया गया। इसको देखते हुए आई कार्ड का प्रोफार्मा भी आ गया। लेकिन हुआ कुछ भी नहीं। अब फिर ऑफिसर्स सब कुछ भूलकर शायद किसी दूसरे दामिनी कांड का इंतजार कर रहे हैं।

जीआरपी की तरह चाहिए फोर्स

सेंट्रल रीजनल वर्कशॉप यूनियन के प्रांतीय महामंत्री अंबादत्त त्रिपाठी ने कहा कि रोडवेज को भी रेलवे पुलिस की तरह सुरक्षा चाहिए। इसके बाद ही बसों में होने वाली जहरखुरानी, लूट, डकैती, डिपों व बस स्टेशन पर होने वाली चोरी को रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि बस स्टेशन के चारो ओर कोई सुरक्षा बल मुस्तैद नहीं रहता है जिससे कई बार रात में बसों के पाट्र्स भी गायब हो जाते हैं।

ये सुविधा मिलनी चाहिए

बैठने की सुविधा

शुद्ध पेयजल

बुजुर्गों के लिए अलग व्यवस्था

प्लेटफार्म पर बसें

बसों के अंदर चेकिंग

"रोडवेज बस स्टेशन और बसों की सुरक्षा के लिए हर साल मुख्यालय से लेटर आता है। जवाब भेजकर गार्ड, सीसीटीवी आदि की मांग भी करते हैं लेकिन होता कुछ नहीं है। "

एसके बनर्जी, रोडवेज आरएम