कभी-कभार यात्रियों को दी जाती है पत्रिका

सुविधाओं का ध्यान नहीं रखता चेकिंग दस्ता

GORAKHPUR:

यूपी रोडवेज की लग्जरी बसों में यात्रियों को रोडवेज की पत्रिका यात्रा दर्पण नहीं मिल पा रही है। पैंसेजर्स को दी जाने वाली सुविधा देने में कोताही बरती जा रही है। आलम यह है कि बस में मिलने वाली मैगजीन के बारे में कोई जानकारी नहीं दी जाती है। दो साल पहले शुरू हुई रोडवेज प्रशासन की योजना दम तोड़ने की कगार पर पहुंच चुकी है। गोरखपुर डिपो के आरएम ने बताया कि यह सुविधा चल रही है। इस संबंध में कोई शिकायत नहीं मिली है।

पैंसेजर को उपलब्ध नहीं कराते पत्रिका

रोडवेज की बसों में यात्रा करते हुए यात्रियों को काफी बोर होना पड़ता है। यात्रियों की सुविधा को देखते हुए प्रदेश सरकार ने यात्रा दर्पण नाम से मैगजीन की शुरूआत की। ताकि लंबी दूरी की यात्रा में निकले पैंसेजर का सफर आसानी से कट जाए। साथ ही उनको रोडवेज, पर्यटन सहित अन्य चीजों की जानकारी मिल जाए। इससे यात्रियों को टाइम पास करने के साथ-साथ यात्रा को सुखद बनाने में मदद भी मिलेगी। रोडवेज अधिकारियों की योजना था कि इससे यात्रियों की मानसिक थकावट दूर करने में मदद मिलेगी। यह निर्देश दिया गया था किरोडवेज की पत्रिका 'यात्रा दर्पण' को वाल्वो, प्लेटिनम, एसी स्लीपर आदि बसों में फ्री में अवलेबल कराया जाएगा।

पब्लिक को भी लिखने का अवसर

रोडवेज के अधिकारियों का कहना है कि अपने गंतव्य पर पहुंचकर यात्री मैगजीन को वापस कर देंगे। यह जिम्मेदारी बस कंडक्टर की होगी। यात्रा के दौरान वह पत्रिका मुहैया कराएंगे। फिर उसे कलेक्ट करके दूसरे पैंसेजर्स के लिए सुरक्षित रख लेंगे। आमतौर पर पत्रिका को लेकर कंडक्टर और ड्राइवर कोई गंभीरता नहीं दिखाते। पैंसेजर्स को पता भी नहीं चल पाता कि उनके लिए मैगजीन भी मौजूद हे। रोडवेज के अधिकारियों की मानें तो लिखने-पढ़ने का शौक रखने वाले लोगों के लिए यह अच्छी पहल है। पत्रिका में अपने लेख प्रकाशित कराने के लिए कोई भी व्यक्ति पत्र भेज सकता है। परिवहन निगम की मंजूरी पर लेख को प्रकाशित कर दिया जाएगा। लेखकों के विचार राजनीतिक और सांप्रदायिक नहीं होने चाहिए। कोई भी व्यक्ति अपने लेख को परिवहन निगम के हेड क्वार्टर ऑफिस टेड़ी कोठी, लखनऊ के पते पर भेज सकता है।

मैं दूसरी बार एसी बस से सफर कर रहा हूं। मुझे इसके पहले कोई मैगजीन पढ़ने के लिए नहीं दी गई थी। इस बार पता नहीं देंगे या नहीं, लेकिन इनसे पत्रिका की मांग करूंगा। इससे पता लगेगा कि परिवहन निगम में क्या चीजें चल रही हैं।

निखिल कुमार, पैंसेजर

सरकार की सारी योजनाएं मूर्त रुप लेने से पहले दम तोड़ देती हैं। जिनके ऊपर इसकी जिम्मेदारी रहती है। वह लोग खुद इसका पालन नहीं करते। बस में सवार ज्यादातर यात्री मोबाइल से गाना सुनकर, फिल्में देखकर टाइम पास कर लेते हैं।

कृष्णा कुमार, पैंसेजर

लग्जरी बस में सुविधाओं के नाम पर किराया लिया जाता है। लेकिन बसों में सिर्फ पानी मिलता है। इसके अलावा कोई सुविधा नहीं जाती है। चेकिंग दस्ता सिर्फ टिकटों की चोरी की जांच करता है। सुविधाओं के बारे में कोई ध्यान नहीं देता है।

सुनील कुशवाहा, पैंसेजर

यात्रियों को पत्रिका मुहैया कराई जाती है। इस तरह की कोई शिकायत यहां पर सामने नहीं आई। इसकी चेकिंग कराई जाएगी। पत्रिका न मिलने पर इसकी रिपोर्ट मुख्यालय को भेजी जाएगी। ताकि लापरवाह लोगों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित हो सके।

सुग्रीव राय, रीजनल मैनेजर, यूपी रोडवेज