पासपोर्ट बना विलेन

कुश्ती खिलाड़ी मेहनत कर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कदम रखते हैं, लेकिन उनका सपना सच होने से पहले ही टूट रहा है। कुश्ती की महिला पहलवान अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए चुनी जाती हैं, लेकिन पासपोर्ट नहीं बनने से उनका विदेशी जमीन पर तिरंगा लहराकर देश को मेडल जीताने का सपना अधूरा रह जाता है।

नाम - अंशू तोमर

चयन के बाद भी मायूसी

अंशू तोमर ने अपने शहर बागपत सहित देश को ओलंपिक में मेडल जीतने की उम्मीद जगाई थी। फिनलैंड में होने वाले कुश्ती के आखिरी ओलंपिक क्वालीफाई टूर्नामेंट के लिए अंशू तोमर का चयन भी हो गया। उम्मीद थी कि अंशू तोमर ओलंपिक के लिए अब आखिरी पड़ाव भी आसानी से पार कर लेगी। बात पासपोर्ट पर आकर अटक गई। चयन होने के बाद अंशू ने इस साल अप्रैल गाजियाबाद पासपोर्ट ऑफिस में रिन्यूवल के लिए अप्लाई किया था। लेकिन बात नहीं बनी।

नाम - अर्चना तोमर

नहीं हो सका रिन्यूवल

मेरठ की अर्चना तोमर का हाल ही में 51 किग्रा भार वर्ग में जूनियर एशियन कुश्ती चैंपियनशिप के लिए चयन हुआ था। उत्साहित अर्चना को उम्मीद थी कि वो कजाखिस्तान में होने वाली इस चैंपियनशिप में मेडल जीतकर लाएगी। अर्चना ने अपना पासपोर्ट रिन्यूवल के लिए मई के मध्य में अप्लाई किया। लेकिन बात नहीं बन पाई और भारतीय दल अर्चना के बिना ही कजाखिस्तान के लिए रवाना हो गया।

नाम - अनुराधा तोमर

नहीं खेल पाई चैंपियनशिप

मेरठ की ही अनुराधा तोमर को चार साल पहले चिल्ड्रन कप के लिए चुना गया। ये कप रूस में आयोजित होना था, लेकिन अनुराधा तोमर का पासपोर्ट नहीं बन पाया और वो इस चैंपियनशिप में नहीं खेल पाई। अनुराधा ने रूस से बुलावा आने के बाद तत्काल पासपोर्ट के लिए अप्लाई किया था।

नाम - रजनी चौधरी

कुछ समझ में नहीं आया

रजनी चौधरी के साथ क्या हुआ ये आज तक उसे भी समझ नहीं आया। हरियाणा के सिरसा से ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी खेलकर आ रही रजनी चौधरी के पास उसकी कोच मोनिका का फोन आया कि रजनी का चयन अमेरिका में लगने वाले कैंप और एशियन कुश्ती चैंपियनशिप के लिए हुआ है, उसका पासपोर्ट अभी चाहिए। नवंबर 2011 में किसी तरह से पटियाला में मौजूद अलका ने मोनिका को पासपोर्ट दिया और फिर भारतीय कुश्ती संघ के पास पासपोर्ट भिजवाया गया, लेकिन पासपोर्ट गुम हो गया। रजनी ने दोबारा अप्लाई किया लेकिन वो पासपोर्ट समय से बनाकर नहीं दिया गया।

प्रदेश के खिलाडिय़ों की दिक्कत

पासपोर्ट से टूर कैंसिल होने की सबसे ज्यादा समस्या उत्तर प्रदेश के खिलाडिय़ों के साथ ही अधिक होती है। प्रदेश सरकार का खेलों की ओर कोई रुझान न होने से खिलाडिय़ों को इस समस्या का सामना करना पड़ता है। अफसर इसे सीरीयसली नहीं लेते। पासपोर्ट ऑफिस में मौजूद कर्मचारियों की लेटलतीफी का खामियाजा अक्सर खिलाडिय़ों को भुगतना पड़ता है और पासपोर्ट नहीं बनने का फायदा दूसरे प्रदेश उठाते हैं और उक्त खिलाड़ी की जगह अपने खिलाड़ी को भेज देते हैं।

क्या है नियम

- पासपोर्ट अप्लाई करने के एक माह के भीतर मिल जाना चाहिए

- पासपोर्ट दस साल के लिए तैयार होता है। अवधि समाप्त होने के बाद पासपोर्ट का पुन: निर्गमन किया जाता है।

- अगर पासपोर्ट की अवधि 10 वर्ष से कम है तो समाप्त होने पर पासपोर्ट का नवीनीकरण कराया जाता है।

सामान्य और तत्काल

पासपोर्ट नवीनीकरण के लिए सामान्य में अप्लाई करते हैं तो इस प्रक्रिया में काफी समय लग जाता है, जबकि तत्काल नवीनीकरण कुछ ही दिनों में होता है लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया जाता है, जिससे करियर प्रभावित होता है।

अक्सर देखने में आता है कि प्रदेश सरकार खेलों में रुचि नहीं लेती हैं। खिलाड़ी की सुनने वाला कोई नहीं होता। ऐसे में पासपोर्ट कैसे बन सकेगा.

- अंशू तोमर, रेसलर

पूरी मेहनत की थी, तब जाकर चयन हुआ। उम्मीद थी शानदार प्रदर्शन कर देश को गौरान्वित करूंगी लेकिन सपना टूट गया.- अर्चना तोमर, रेसलर

चार साल पहले मिला दर्द आज भी खत्म नहीं हुआ है। पासपोर्ट बनाने में कर्मचारियों की लेटलतीफी के कारण ही ऐसा होता है.- अनुराधा, रेसलर

हमारी पहलवान पूरी मेहनत कर ये मुकाम हासिल करती हैं, लेेकिन पासपोर्ट नहीं बनने से उनके सपने टूट जाते हैं.- जबर सिंह सोम, कुश्ती कोच