ये पासवर्ड पूरे 13 करोड़ का है। पासवर्ड न मिलने से नगर निगम के इम्प्लॉइज, पेंशनर्स और एडहाक पर काम करने वाले वर्कर्स को सैलरी नहीं मिल पा रही है.

पुलिस ले गई अपने साथ

क्लर्क के पास मौजूद इस कोड नंबर को पाने के लिए चार दिनों से नगर निगम ऑफिसर्स जद्दोजहद कर रहे हैं। ट्यूजडे को उन्हें कामयाबी मिलती दिख रही थी लेकिन ऐन मौके पर क्लर्क को पुलिस ने अरेस्ट कर लिया.  रक्षाबंधन के चंद दिन बचे होने से सभी इम्प्लॉई परेशान हैं।

Software का चक्कर

नगर निगम में 11 हजार के करीब ऑफिसर्स, इम्प्लाइज और पेंशनर्स हैं। इनकी सैलरी और पेंशन में हर महीने करीब 13 करोड़ रुपए खर्च होते हैं। आरबीआई से इनके बैंक खातों तक सैलरी व पेंशन पहुंचाने की जिम्मेदारी पिछले महीने तक क्लर्क अनिल श्रीवास्तव के पास थी। कुछ दिनों पहले एरियर को लेकर पेंशनर्स की शिकायत के बाद अनिल का ट्रांसफर जोन एक में कर दिया गया। म्यूनिसिपल कमिश्नर आर विक्रम सिंह ने मामले की जांच सीओ को कराने का निर्देश दिया। अनिल का चार्ज एक अन्य क्लर्क संतोष सैनी को सौंप दिया गया। जांच से गुस्साया अनिल क्लर्क संतोष को पासवर्ड की जानकारी दिए बगैर ही चला गया। इधर जुलाई की सैलरी और पेंशन बैंक खातों तक पहुंचाने के लिए संतोष आरबीआई पहुंचा तो उसे लौटा दिया गया। इससे निगम ऑफिसर्स में अफरातफरी मच गई। बड़ी मशक्कत के बाद मंडे को अनिल को मनाया जा सका। उसे मनाया जा सका। ट्यूजडे को निगम ऑफिसर उसे लेकर आरबीआई पहुंचे। इससे पहले की बात बनती फीलखाना पुलिस पकड़ ले गई।

Officer ने दिया भरोसा

100 नंबर में किसी ने बिरहना रोड पर एक संदिग्ध व्यक्ति के मौजूद होने की सूचना दी थी। इस सूचना पर अनिल श्रीवास्तव को पकड़ा गया था। नगर निगम ऑफिसर्स, इम्प्लॉइज के आने पर उसे छोड़ दिया गया। नगर निगम के चीफ एकाउंट ऑफिसर डीके गुप्ता ने कहा कि मामला हल हो गया है। रक्षाबंधन से पहले अकाउंट में सैलरी और पेंशन पहुंच जाएगी.