- BRD मेडिकल कॉलेज में मामूली अल्ट्रासाउंड जांच के लिए पेशेंट को लेकर घूमते रहे तीमारदार

- बाहर से कराई जांच तब जाकर डॉक्टर ने किया इलाज, घंटों हुई परेशानी

GORAKHPUR: सरकार स्वास्थ्य सेवाओं पर लाखों रुपए खर्च कर रही है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में सारी सुविधाएं दी गई हैं ताकि पेशेंट को सही और समय से उपचार मिल सके लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही से आए दिन पेशेंट व तीमारदार के लिए परेशानी खड़ी हो जाती है। बुधवार को स्ट्रेचर पर एक अधेड़ पेशेंट को लेकर तीमारदार इमरजेंसी से जांच सेंटर तक घूमते रहे लेकिन जांच नहीं हुई। आखिरकार बाहर से जांच कराई तब जाकर डॉक्टर ने इलाज शुरू किया।

पेट में हो रहा था तेज दर्द

देवरिया जिले के रहने वाले 50 वर्षीय विध्यांचल के पेट में तेज दर्द हो रहा था। परिजन ने उन्हें इमरजेंसी-14 में एडमिट करवाया। डॉक्टर ने पेशेंट की बात सुनी और अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी। तीमादार ट्रामा सेंटर के बाहर से स्ट्रेचर लेकर वार्ड में पहुंचे और पेशेंट को स्ट्रेचर पर लिटाकर जांच कराने के लिए अल्ट्रासाउंड विभाग पहुंचे। मरीज की हालत काफी चिंताजनक थी। इसके बाद भी टेक्नीशियन ने जांच करने से इनकार कर दिया।

फिर पहुंचे डॉक्टर के पास

कई बार गुहार लगाने के बाद भी जब टेक्नीशियन ने जांच नहीं की तो तीमारदार पेशेंट को लेकर दोबारा डॉक्टर के पास पहुंचे। लेकिन डॉक्टर का कहना था कि जब बीआरडी में जांच नहीं हो रही तो बाहर से कराकर लाइए। मैं तो बिना जांच के दवा नहीं लिख सकता। उधर, स्ट्रेचर पर पड़े पेशेंट की हालत बिगड़ती जा रही थी। वह दर्द से कराह रहा था। तीमारदार उन्हें लेकर बीआरडी के बाहर प्राइवेट अल्ट्रासाउंड सेंटर पहुंचे और जांच कराई।

लग गई चपत

तीमारदारों ने बताया कि वे पेशेंट को लेकर बीआरडी आए कि सही और सस्ता इलाज मिल जाएगा। यहां आने पर सिर्फ डॉक्टर की सुविधा मिल रही है। जांच के लिए बाहर ही जाना पड़ा। जो जांच बीआरडी में 100 रुपए में हो सकती थी, उसी के लिए बाहर 500 रुपए खर्च करने पड़ गए। यदि यही बात पहले मालूम होती तो और पैसे की व्यवस्था कर आए होते और पेशेंट को प्राइवेट में ही दिखाते।

फिल्म न होने का बहाना

अल्ट्रासाउंड सेंटर में काम कर रहे टेक्नीशियन व अन्य कर्मचारियों की लापरवाही से रोज ही बीआरडी से पेशेंट लौटाए जा रहे हैं। कुछ तीमारदारों का कहना है कि बीआरडी के बाहर के जांच सेंटरों से उनकी सांठगांठ है। वे जानते हैं कि जब गंभीर हालत में बीआरडी में जांच नहीं होगी तो पेशेंट जांच के लिए कहीं दूर नहीं जा पाएंगे। उन्हें आसपास के सेंटरों में ही जांच करानी पड़ेगी। वहीं टेक्नीशियन का कहना था कि फिल्म नहीं होने के कारण पेशेंट को लौटाया गया।

वर्जन

मरीज को जांच के बिना वापस किया गया तो यह गंभीर बात है। मरीज की शिकायत पर मामले की जांच कराई जाएगी। जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।

- डॉ। एके श्रीवास्तव, एसआईसी, नेहरू चिकित्सालय