RANCHI: रिम्स इनडोर में इलाज करा रहे मरीजों की जांच भगवान भरोसे है। अगर उन्हें जांच करानी है तो नर्स से लेकर अटेंडेंट तक परिजन गुहार लगाते हैं, इसके बाद भी उनकी जांच नहीं हो पाती। ऐसे में उन्हें प्राइवेट लैब का सहारा लेना पड़ता है। इस चक्कर में उन्हें परेशानी के साथ-साथ टेस्ट के लिए पैसे भी अधिक चुकाने पड़ रहे हैं। वहीं कई मरीजों की समय पर जांच भी नहीं हो पाती है। इसे लेकर परिजनों ने कंप्लेन भी की, लेकिन प्रबंधन के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रहा।

ब्लड सैंपल निकलवाना बड़ी मुसीबत

इनडोर में एडमिट मरीजों को डॉक्टर टेस्ट के लिए लिखते हैं। इसके बाद परिजन नर्स के पास सैंपल निकालने के लिए दौड़ लगाते हैं। लेकिन मरीजों का बोझ होने के कारण नर्स सैंपल नहीं निकाल पाती। अगर निकालती भी है तो टेस्ट कराने में देर हो जाती है।

एक्सरे समेत अन्य टेस्ट कराना भी मुश्किल

एक्सरे समेत अन्य टेस्ट कराने के लिए परिजनों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। इसके अलावा उन्हें मरीज को ले जाने के लिए न तो ट्राली मिल पाती है न स्ट्रेचर। ऐसे में रेडियोलॉजी टेस्ट कराना भी उनके लिए किसी जंग जीतने से कम नहीं है।

नर्स बोली, मेरी पास और भी काम है

केस-1

बाबू की पत्नी सर्जरी विभाग में एडमिट है। डॉक्टर ने उन्हें टेस्ट के लिए लिखा। इसके बाद वह बार-बार सैंपल के लिए नर्स के पास चक्कर लगाते रहे, लेकिन सैंपल नहीं निकाला गया। नर्स ने कहा कि उनके पास और भी काम है फ्री होने पर ही सैंपल निकाल देगी।

कराना था एक्स-रे, नर्स ने फटकार कर भगाया

केस टू

राजू के भाई मेडिसीन में इलाज करा रहे हैं। बुखार कम नहीं होने के कारण डॉक्टर ने कुछ टेस्ट कराने को कहा। साथ ही एक्सरे भी कराना था। इसके लिए वह नर्स के पास गए लेकिन उन्हें फटकार कर भगा दिया गया। अब उन्हें चिंता सता रही है कि जांच कैसे होगी।

वर्जन

हमलोग हास्पिटल में इसके लिए जल्द ही व्यवस्था करने जा रहे हैं। इसके बाद मरीजों के परिजनों को टेस्ट और अन्य जरूरतों के लिए दौड़ नहीं लगानी होगी। वार्ड में अटेंडेंट होगा जो उनकी जरूरतों के बारे में पूछेगा और मदद भी करेगा।

-डॉ। संजय कुमार, डिप्टी सुपरिटेंडेंट, रिम्स