बीमार बना देगी जादू की झप्पी



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 Allahabad : सुनने में थोड़ा शॉकिंग जरूर लगेगा लेकिन बात आपके फायदे की है। इस सीजन में अपनों से दूरी बनाकर चलना बेहतर होगा। अगर ऐसा नहीं किया तो आपको या आपके अपनों को भुगतना पड़ सकता है। कम से कम डिजीजेज के इस सीजन में डॉक्टर्स की यह एडवाइज मानना आपके लिए फायदेमंद रहेगा ही। उनकी मानें तो बारिश और उमस के सीजन में बैक्टीरिया और वायरस काफी स्ट्रांग हो जाते हैं और संपर्क में आते ही सामने वाले को अपनी चपेट में ले लेते हैं। प्रजेंट में आधा दर्जन से अधिक ऐसी डिजीज हैं जो इंफेक्शन के जरिए फैल रही हैं. 

एलर्ट तो रहना ही पड़ेगा

मौजूदा सीजन इंफेक्टेड डिजीज के लिए सूटेबल है। 20 से 35 डिग्री सेगे्र टेम्पेरेचर में खतरनाक वायरस और बैक्टीरिया काफी तेजी से मल्टीप्लाई करते हैं। एक बार इनकी चपेट में आने के बाद पेशेंट को ठीक होने में चार से पांच दिन लग जाते हैं। एक से दूसरे में फैलने के इनके तरीके काफी नार्मल हैं लेकिन लोगों को इसका आमतौर पर पता नहीं रहता है। इनमें हाथ मिलाना, गले लगना, साथ भोजन करना, दूसरे का पानी पी लेना, टॉवेल यूज करना, साथ सोना, किसी के मोबाइल से बात करना जैसे कई जरिया हैं, जिनके जरिए ये वायरस और बैक्टीरिया आसानी से ट्रांसफर हो जाते हैं। पता तब चलता है जब डिजीज के लक्षण एक-एक करके सामने आने लगते हैं, हालांकि तब तक देर हो चुकी होती है.


बीमारियों ने किया जीना मुश्किल

खतरनाक वायरस और बैक्टीरिया से फैलने वाली ऐसे तो कई डिजीज हैं लेकिन इस सीजन में आधा दर्जन से अधिक ने हजारों लोगों को अपनी चपेट में ले रखा है। इनमें कंजक्टेवाइटिस, वायरल फीवर, फेरेंजाइटिस, स्केबिज, टाइफाइड, जाइंडिस और इन्फ्लूएंजा मेन हैं। एक बार होने के बाद इनके ठीक होने में कम से कम चार से पांच दिन लग जाते हैं। डॉक्टर्स कहते हैं कि सीजनली डिजीज से बचने के दो तरीके होते हैं। पहला यह कि पेशेंट की बॉडी में इम्युनिटी पॉवर स्ट्रांग हो। ऐसा है तो हल्के-फुल्के लक्षण के बाद वायरस या बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं। वरना, दवाओं का सहारा लेना पड़ता है। हॉस्पिटल्स की ओपीडी में फिलहाल 70 परसेंट पेशेंट इन्ही डिजीज के आ रहे हैं. 

ऐसा करने से बचे रहेंगे

-इंफेक्टेड पर्सन से कम से कम दो फिट की दूरी बनाकर रखें.
-फैमिली में किसी को इंफेक्शन है तो उसका बेड अलग कर दें। उसकी टॉवेल, रुमाल या अन्य चीजें इस्तेमाल न करें.
-खाना खाने से पहले हाथों को एंटीसेप्टिक साबुन से अच्छे से धोएं। रात में सोने से पहले भी हाथ धोना बेहद जरूरी है.
-भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचने की कोशिश करें
-अगर कोई बार-बार खांस या छींक रहा है तो उसे मुंह पर रुमाल रखने की सलाह दें
-इस सीजन में गले लगने या हाथ मिलाने से बेहतर है सिर झुकाकर नमस्कार करें
-मार्केट के खानपान से दूरी बनाए रखें। बासी भोजन न करें.


बच्चों को है ज्यादा खतरा

बार-बार चूमने और लगाने की हैबिट के चलते इस सीजन में बच्चों को इंफेक्शन से ज्यादा खतरा है। आमतौर पर पैरेंट्स अपने बेबी को बार-बार छूते हैं और डॉक्टरों की नजर में यह डेंजरस साइन है। इम्युनिटी पावर कम होने से बच्चों में इंफेक्शन तेजी से फैलता है। यही कारण है कि आजकल वायरल फीवर और कंजक्टवाइटिस के मामले में डेढ़ साल तक के बच्चों में ज्यादा सामने आ रहे हैं। अगस्त से लेकर अक्टूबर तक यह सीजन सभी के लिए खतरनाक है और हेल्दी रहना है तो एलर्ट रहना ही होगा. 


इस सीजन में थोड़ी सी नजरें चौकन्नी रखनी होंगी। यह देखना जरूरी है कि सामने वाला किसी इंफेक्शन का शिकार तो नहीं है। ऐसा है तो उससे कम से कम दो फिट की दूरी बनाकर रखें। वरना, छू जाने या खांसी व छींक के जरिए भी वायरस या बैक्टीरिया आपपर अटैक कर सकते हैं। थोड़ी सी दूरी बनाकर आप खुद को व फैमिली को इंफेक्शन से बचा सकते हैं.
-डॉ। ओपी त्रिपाठी, 
सीनियर फिजीशियन

बच्चों के मामले में सेंसिटिव रहना बेहद जरूरी है। बड़ों की अपेक्षा बच्चे जल्दी इंफेक्शन का शिकार होते हैं। इससे बचना है तो उनसे दूरी बनाएं और घर की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें। किसी भी तरह का इंफेक्शन दिखते ही सबसे पहले डॉक्टर से कांटेक्ट करें. 
-डॉ। मनीष चौरसिया, 
पीडियाट्रिशन 

 

 

एलर्ट तो रहना ही पड़ेगा

मौजूदा सीजन इंफेक्टेड डिजीज के लिए सूटेबल है। 20 से 35 डिग्री सेगे्र टेम्पेरेचर में खतरनाक वायरस और बैक्टीरिया काफी तेजी से मल्टीप्लाई करते हैं। एक बार इनकी चपेट में आने के बाद पेशेंट को ठीक होने में चार से पांच दिन लग जाते हैं। एक से दूसरे में फैलने के इनके तरीके काफी नार्मल हैं लेकिन लोगों को इसका आमतौर पर पता नहीं रहता है। इनमें हाथ मिलाना, गले लगना, साथ भोजन करना, दूसरे का पानी पी लेना, टॉवेल यूज करना, साथ सोना, किसी के मोबाइल से बात करना जैसे कई जरिया हैं, जिनके जरिए ये वायरस और बैक्टीरिया आसानी से ट्रांसफर हो जाते हैं। पता तब चलता है जब डिजीज के लक्षण एक-एक करके सामने आने लगते हैं, हालांकि तब तक देर हो चुकी होती है।

बीमारियों ने किया जीना मुश्किल

खतरनाक वायरस और बैक्टीरिया से फैलने वाली ऐसे तो कई डिजीज हैं लेकिन इस सीजन में आधा दर्जन से अधिक ने हजारों लोगों को अपनी चपेट में ले रखा है। इनमें कंजक्टेवाइटिस, वायरल फीवर, फेरेंजाइटिस, स्केबिज, टाइफाइड, जाइंडिस और इन्फ्लूएंजा मेन हैं। एक बार होने के बाद इनके ठीक होने में कम से कम चार से पांच दिन लग जाते हैं। डॉक्टर्स कहते हैं कि सीजनली डिजीज से बचने के दो तरीके होते हैं। पहला यह कि पेशेंट की बॉडी में इम्युनिटी पॉवर स्ट्रांग हो। ऐसा है तो हल्के-फुल्के लक्षण के बाद वायरस या बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं। वरना, दवाओं का सहारा लेना पड़ता है। हॉस्पिटल्स की ओपीडी में फिलहाल 70 परसेंट पेशेंट इन्ही डिजीज के आ रहे हैं. 

ऐसा करने से बचे रहेंगे

-इंफेक्टेड पर्सन से कम से कम दो फिट की दूरी बनाकर रखें।

-फैमिली में किसी को इंफेक्शन है तो उसका बेड अलग कर दें। उसकी टॉवेल, रुमाल या अन्य चीजें इस्तेमाल न करें।

-खाना खाने से पहले हाथों को एंटीसेप्टिक साबुन से अच्छे से धोएं। रात में सोने से पहले भी हाथ धोना बेहद जरूरी है।

-भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचने की कोशिश करें

-अगर कोई बार-बार खांस या छींक रहा है तो उसे मुंह पर रुमाल रखने की सलाह दें

-इस सीजन में गले लगने या हाथ मिलाने से बेहतर है सिर झुकाकर नमस्कार करें

-मार्केट के खानपान से दूरी बनाए रखें। बासी भोजन न करें।

बच्चों को है ज्यादा खतरा

बार-बार चूमने और लगाने की हैबिट के चलते इस सीजन में बच्चों को इंफेक्शन से ज्यादा खतरा है। आमतौर पर पैरेंट्स अपने बेबी को बार-बार छूते हैं और डॉक्टरों की नजर में यह डेंजरस साइन है। इम्युनिटी पावर कम होने से बच्चों में इंफेक्शन तेजी से फैलता है। यही कारण है कि आजकल वायरल फीवर और कंजक्टवाइटिस के मामले में डेढ़ साल तक के बच्चों में ज्यादा सामने आ रहे हैं। अगस्त से लेकर अक्टूबर तक यह सीजन सभी के लिए खतरनाक है और हेल्दी रहना है तो एलर्ट रहना ही होगा. 

इस सीजन में थोड़ी सी नजरें चौकन्नी रखनी होंगी। यह देखना जरूरी है कि सामने वाला किसी इंफेक्शन का शिकार तो नहीं है। ऐसा है तो उससे कम से कम दो फिट की दूरी बनाकर रखें। वरना, छू जाने या खांसी व छींक के जरिए भी वायरस या बैक्टीरिया आपपर अटैक कर सकते हैं। थोड़ी सी दूरी बनाकर आप खुद को व फैमिली को इंफेक्शन से बचा सकते हैं।

-डॉ। ओपी त्रिपाठी, 

सीनियर फिजीशियन

बच्चों के मामले में सेंसिटिव रहना बेहद जरूरी है। बड़ों की अपेक्षा बच्चे जल्दी इंफेक्शन का शिकार होते हैं। इससे बचना है तो उनसे दूरी बनाएं और घर की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें। किसी भी तरह का इंफेक्शन दिखते ही सबसे पहले डॉक्टर से कांटेक्ट करें. 

-डॉ। मनीष चौरसिया, 

पीडियाट्रिशन