आईएमए द्वारा 25 जून को किए गए नेशनवाइड स्ट्राइकका असर जमशेदपुर में भी देखने को मिला। डिस्ट्रिक्ट के करीब 2000 डॉक्टर्स ने इस स्ट्राइक में हिस्सा लिया। डॉक्टरों के ना आने की वजह से एमजीएम हॉस्पिटल सहित लगभग सभी नर्सिंग होम्स के ओपीडी और प्राईवेट क्लिनिक बंद रहे। स्ट्राइक का समर्थन करते हुए सिटी के करीब 50 नर्सिंग होम्स ने अपने ओपीडी को बंद रखा। हालांकि टीएमएच हॉस्पिटल, टाटा मोटर्स हॉस्पिटल और टिनप्लेट हॉस्पिटल पर ये स्ट्राइक बेअसर रहा। इससे पेशेंट्स को काफी परेशानियों  का सामना करना पड़ा। कई पेशेंट्स को तो वापस घर को लौटना पड़ा।

एमजीएम से निकली रैली
स्ट्राइक की शुरुआत एमजीएम हॉस्पिटल से हुई। मॉर्निंग में करीब 100 से ज्यादा डॉक्टर एमजीएम हॉस्पिटल में इकट्ठे हुए और रैली की शक्ल में डीसी ऑफिस पहुंचे। डीसी को ज्ञापन देने के बाद सभी डॉक्टर्स दोपहर तीन बजे तक डीसी ऑफिस के सामने धरना पर बैठे रहे।

हजारों patients हुए बेहाल
स्ट्राइक की वजह से पेशेंट्स को काफी प्रॉब्लम फेस करना पड़ी। सिटी के अलावा दूर-दराज के इलाकों से आए पेशेंट्स डॉक्टर्स की तलाश मे इधर-उधर भटकते दिखें। मुसाबनी से अपनी वाइफ का ट्रीटमेंट करवाने एमजीएम हॉस्पिटल पहुंचे चंद्रा मूर्मु ओपीडी के बाहर डॉक्टर के इंतजार में चक्कर काटते दिखे। हॉस्पिटल द्वारा उन्हें डॉक्टर से मिलने के लिए स्लिप तो काट दिया गया था, मगर जब चंद्रा अपनी बीवी को लेकर ओपीडी पहुंचे तो वहां से डॉक्टर नदारद दिखे। स्ट्राइक के बारे में पता चलने पर वो पूरी तरह निराश हो गए। कुछ ऐसी ही स्थिती एमजीएम और दूसरे नर्सिंग होम्स में आने वाले पेशेंट्स की भी रही। स्ट्राईक की वजह से हजारों पेशेंट्स को बगैर ट्रीटमेंट रहना पड़ा।

एमजीएम भी रहा बंद
स्ट्राइक की वजह से एमजीएम हॉस्पिटल मे भी हेल्थ सर्विसेस ठप रहीं। हॉस्पिटल के ओपीडी दिन भर बंद रहें। ओपीडी बंद रहने की वजह से यहां आने वाले पेशेंट्स को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। हॉस्पिटल मे ट्रीटमेंट करवाने आए करीब 400 से ज्यादा पेशेंट्स को मायूस होकर वापस लौटना पड़ा।

इमरजेंसी सर्विस रही बहाल
स्ट्राइक से इमरजेंसी सर्विसेस पर ज्यादा असर नहीं पड़ा। स्ट्राइक से इमरजेंसी सर्विसेस को फ्री रखा गया था। एमजीएम हॉस्पिटल मे भी इमरजेंसी के लिए डॉक्टर मौजूद रहें।

क्यों कर रहे हैं विरोध?
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा सेंट्रल गवर्नमेंट द्वारा लागू किए गए क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट (रजिस्ट्रेशन एंड रेग्यूलेशन) एक्ट 2010 और नेशनल काउंसिल फॉर ह्यïूमन इन हेल्थ बिल, 2011 के इंट्रोडक्शन का विरोध किया जा रहा है। आईएमए का कहना है कि एनसीएचआरएच के लागू होने के बाद मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया सहित डेंटल काउंसिल, फार्मासिस्ट काउंसिल और नर्सिंग काउंसिल के पावर खत्म हो जाएंगे। इस प्रपोज्ड बिल के अंतर्गत प्रेजेंट में करीब 31 गवर्निंग बॉडीज की जगह सिर्फ एक संस्था होगी। इस बिल के अनुसार नर्सिंग होम्स आदि को गवर्न करने के लिए बनाई जाने वाली बॉडी में मेडिकल प्रोफेशन से जुड़े लोगों के बजाय सेंट्रल गर्वनमेंट द्वारा अप्वाइंट किए गए ब्यूरोक्रेट्स होंगे। एक्ट के तहत प्राइवेट नर्सिंग होम खोलने के लिए कम से कम 500 स्क्वायर फीट जमीन होने का भी प्रोविजन रखा गया है। डॉक्टरों का कहना है कि इस नई व्यवस्था के बाद नर्सिंग होम्स का खर्च काफी बढ़ जाएगा। उनका कहना है कि सीईए की वजह से मेडिकल ट्रीटमेंट का खर्च बढऩे के साथ-साथ छोटे मेडिकल क्लिनिक बंद होने और डॉक्टरों की बीच बेरोजगारी जैसी प्रॉब्लम भी पैदा हो जाएगी। इसके अलावा डॉक्टर किसी केस के गलत होने के स्थिती में 5 लाख रुपए तक के फाइन के प्रोविजन का भी विरोध कर रहे हैैं।

आंख का इलाज करवाने के लिए आया था। मगर हॉस्पिटल आकर पता चला कि सभी डॉक्टर हड़ताल पर हैैं। डॉक्टर के ना मिलने की वजह से काफी परेशानी हुई।
प्रभात कुमार मंडल
गम्हरियां

वाइफ की ट्रीटमेंट के लिए मूसाबनी से आया हूं। हॉस्पिटल में पर्चा भी काट दिया गया। मगर स्ट्राइक की वजह से कोई भी डॉक्टर ओपीडी में मौजूद नहीं है।
चंद्रा मूर्मु 
मुसाबनी
स्ट्राइक की वजह से एमजीएम की ओपीडी बंद रही। हॉस्पिटल के डॉक्टर इस स्ट्राइक में शामिल हुए हैं। पेशेंट्स को परेशानी हुई। इमरजेंसी सर्विसेस को चालू रखा गया था।
डॉ शिव शंकर प्रसाद
सुपरिंटेंडेंट, एमजीएम हॉस्पिटल
आईएमए का स्ट्राइक सक्सेसफुल रहा। स्ट्राइक में लगभग 3000 डॉक्टर्स शामिल रहें। सिटी के सभी नर्सिंग होम्स की ओपीडी बंद रही। टीएमएच में डॉक्टर्स ने काला बिल्ला लगाकर काम किया।
डॉ मृत्युंजय
सेक्रेटरी, आईएमए जमशेदपुर