- इलाज के दौरान ब्रह्पुरी निवासी महिला ने दम तोड़ा, अस्पताल पर लापरवाही का आरोप

-योजना के बंद होने से एक मरीज को अस्पताल में नहीं किया गया भर्ती

-कांग्रेस ने सरकार से योजना दोबारा शुरू करने की मांग की

DEHRADUN: सूबे में मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना (एमएसबीवाई) के बंद होने के बाद हा-हा कार मचा हुआ है। योजना बंद होने के कारण शनिवार को एक महिला की विधानसभा के पास ही स्थित एक निजी अस्पताल में जान चली गई। जबकि विकासनगर में प्राइवेट अस्पताल ने पथरी की बीमारी से जूझ रहे व्यक्ति को अस्पताल में दाखिला नहीं दिया। इधर, योजना बंद होने के कारण सरकार विपक्ष के निशाने पर है। पहाड़ से लेकर मैदान तक विरोध हो रहा है। वहीं नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने सरकार से योजना दोबारा शुरू करने की मांग की है

अस्पताल पर लापरवाही का आरोप

राज्य स्थापना दिवस के मौके पर बीती नौ नवंबर को राज्य में मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना बंद होने का ऐलान किया गया। जैसे ही इस योजना के बंद होने का ऐलान हुआ, राजधानी से लेकर राज्य के तमाम इलाकों में हो-हल्ला मच गया। शनिवार को राजधानी के रिस्पना पुल के पास जगदंबा अस्पताल में एक महिला की मौत हो गई। महिला ब्रह्पुरी निवासी भ्0 वर्षीय कमली देवी थी। मृतका के परिजनों ने अस्पताल पर आरोप लगाया कि एमएसबीवाई योजना के बंद होने के कारण अस्पताल प्रशासन ने मरीज के इलाज में लापरवाही बरती और मरीज को आईसीयू से जनरल वार्ड में शिफ्ट करते हुए इलाज पर ध्यान नहीं दिया।

नहीं मिला सही इलाज

मृतका के बेटी ममता का कहना है कि अस्पताल की तरफ से योजना बंद हो गई है, ऐसे में उन्हें पहले पैसे जमा करने होंगे, उसके बाद इलाज संभव हो पाएगा। मरीज की मृत्यु होने पर अस्पताल में हो-हल्ला मच गया। कांग्रेस के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना भी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने भी सरकार पर योजना बंद करने व अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाया। इसके बाद पुलिस बल भी मौके पर पहुंची। कुछ देर बाद हंगामा देखते हुए सीएमओ ने भी एसीएमओ डॉ। केके सिंह को मौके पर भेजा। जिसके बाद सीएमओ ऑफिस की टीम जांच पर जुटी। अस्पताल के एमडी रवींद्र गुर्जर का कहना है कि अस्पताल की तरफ से कोई लापरवाही नहीं बरती गई। अचानक मरीज को अटैक आ गया। एमएसबीवाई योजना बंद होने के बाद भी पहले एक भर्ती चार मरीजों का अस्पताल में इलाज चल रहा है। मरीजों के परिजनों के आरोप गलत हैं।

जांच कमेटी का होगा गठन

सीएमओ के निर्देशन पर एसीएमओ के नेतृत्व में सीएमओ ऑफिस की टीम मौके पर पहुंटी। टीम ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपनी रिपोर्ट सीएमओ को सौंप दी है। सीएमओ ऑफिस के मुताबिक अब मंडे को जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया जाएगा। जिसमें डॉक्टर्स भी शामिल होंगे

मरीज को नहीं किया भर्ती

विकासनगर के मुख्यमंत्री स्वास्थ्य कार्ड धारी गुड्डू भी पथरी की बीमारी से तड़प रहा था। वह भी क्0 नवंबर को विकासनगर के कालिंदा अस्पताल में ऑपरेशन के लिए पहुंचा। उसको भी योजना बंद होने की बात कह कर भर्ती नहीं किया गया। परिजन मरीज को लेकर सेलाकुई स्थित दूसरे प्राइवेट अस्पताल पहुंचे, वहां भी मना कर दिया गया। इसके बाद शनिवार को परिजन मरीज को लेकर दून अस्पताल पहुंचे, लेकिन पथरी के दूरबीन विधि से ऑपरेशन न होने की सुविधा के कारण मरीज सारे अस्पतालों में भटकने के बाद वापस विकासनगर लौट गए।

योजना बंद होने के कारण स्थिति बेहद खराब हो गई है। हर रोज मारपीट हो रही है। सरकार को योजना बंद होने की सूचना लाभार्थियों को दी जानी चाहिए थी। आए दिन झगड़ा फसाद व मारपीट होना आम बात हो गई है। इसे लेकर सभी प्राइवेट अस्पतालों को एक मंच पर आने की जरूरत है।

डॉ। वृज भूषण, एमडी, श्री आई केयर।

मरीज के साथ किसी प्रकार की कोई लापरवाही नहीं हुई है। आरोप निराधार हैं। जबकि अस्पताल में अभी भी योजना बंद होने से पहले के जो पेशेंट्स एडमिट हैं, उनका ट्रीटमेंट जारी है। एमएसबीवाई योजना बंद होने से अब नए मरीज एडमिट नहीं किए जा रहे हैं।

रवींद्र गुर्जर, एमडी, जगदंबा अस्पताल।

अस्पताल की लापरवाही से मेरी मां का मृत्यु हुई है। पहले अस्पताल में मेरी मां को भर्ती कराया गया। उसके अगले दिन आईसीयू से जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। अस्पताल ने योजना के खत्म होने की बात कह कर पैसे जमा करने के लिए कहा। हमारे पास पैसे नहीं थे, जिस कारण मां की माैत हो गई।

ममता, मृतिका की बेटी।

सरकार का पुतला फूंका

मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना खत्म किए जाने का विरोध जारी है। चमोली के जोशीमठ में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन कर सरकार का पुतला फूंका। आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने गरीबों के इलाज के लिए क्.7भ् हजार रुपए की योजना शुरु की थी, लेकिन भाजपा सरकार ने इस व्यवस्था को खत्म कर दिया है।