- बीआरडी मेडिकल कॉलेज में दो माह से नहीं बन रहा जन्म प्रमाण पत्र

- एक हफ्ते से टीकाकरण कार्ड भी नहीं, सादे कागज पर ही लग रहा मासूमों को टीका

GORAKHPUR: इलाज में अक्सर लापरवाही करने वाले बीआरडी मेडिकल कॉलेज के जिम्मेदार पब्लिक के लिए एक नई परेशानी खड़ी करने में लगे हैं। यहां के गायनी डिपार्टमेंट में दो माह से जन्म प्रमाण पत्र नहीं बनाया जा रहा है। तो वहीं दूसरी ओर एक हफ्ते से खत्म टीकाकरण कार्ड के चलते मासूमों को एक सादे कागज पर ही टीका लगवाने की डेट दे दी जा रही है। जिसके चलते तीमारदारों को पता ही नहीं चल पा रहा कि बच्चे को कब कौन सा टीका लगवाना है। हाल ये है कि बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र और टीकाकरण कार्ड के लिए तीमारदार इधर-उधर दफ्तरों का चक्कर लगाने को मजबूर हैं।

नहीं सुन रहे जिम्मेदार

दो माह से जन्म प्रमाण पत्र ना बनने के चलते मरीज मिलने वाली जननी शिशु सुरक्षा के लाभ से वंचित रह जा रहे हैं। वहीं, यहां एक हफ्ते से टीकाकरण का कार्ड भी नहीं है। विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि कार्ड खत्म होने की वजह से ही जन्म प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहा है। जिसके चलते शिशुओं के अभिभावकों के खाते में जननी शिशु सुरक्षा का पैसा भी नहीं पहुंच पा रहा है। वहीं, कार्ड कबतक आएगा, इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। टीकाकरण कार्ड ना बने पाने से तीमारदार काफी परेशान हैं। लोगों का कहना है कि कार्ड ना बन पाने से ये पता ही चल पा रहा कि बच्चे को कौन सा टीका कब लगेगा। शिकायत करने पर कोई जिम्मेदार इस पर कुछ बोल ही नहीं रहा। सिर्फ एक सादे कागज पर मरीज का नाम, रजिस्ट्रेशन संख्या दर्ज कर तीमारदारों को दे दिया जा रहा है।

सात महीने बाद भी अनुदान नहीं

जन्म प्रमाण पत्र ना बना लोगों को लौटा देने के अलावा बीआरडी के जिम्मेदार जननी सुरक्षा योजना की अनुदान राशि के संबंध में लापरवाही बरत रहे हैं। महराजगंज निवासी एक व्यक्ति अनुदान राशि के लिए सात माह से मेडिकल कॉलेज के चक्कर ही काट रहा है। महराजगंज जिले के पनियरा एरिया के नटवा जंगल निवासी पूनम गर्भवती थीं। उन्हें 10 अक्टूबर 2016 को मेडिकल कॉलेज के गायनी इमरजेंसी में एडमिट कराया गया। जहां उन्होंने एक बच्चे को जन्म दिया। 19 अक्टूबर को उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया। लेकिन अब तक उन्हें जननी सुरक्षा योजना के तहत सरकार की ओर से मिलने वाली 1400 रुपए अनुदान राशि नहीं मिल सकी है। पूनम के पति अशोक ने बताया कि अनुदान के लिए वे बीते सात माह से बीआरडी मेडिकल कॉलेज का चक्कर लगा रहे हैं। हर बार यह कहकर लौटा दिया जा रहा है कि जल्द ही खाते में पैसा पहुंच जाएगा।

कार्ड के बिना कंफ्यूजन

टीकाकरण कार्ड ना मिले पाने से तीमारदारों को खासी दिक्कत हो रही है। सादे कागज पर नाम और रजिस्ट्रेशन नंबर नोट कर पकड़ा दिए जाने से जहां लोग समझ नहीं पा रहे कि बच्चे को कब कौन सा टीका लगवाना है। वहीं, हफ्ते में सिर्फ दो दिन बुधवार व शनिवार को ही टीकाकरण होने से ये दिक्कत और बढ़ जा रही है। ज्यादा भीड़ होने के चलते बहुत से लोगों को वापस लौटना पड़ रहा है। पिछले हफ्ते की बात करें तो बुधवार को जहां सिर्फ 80 बच्चों को टीका लगा। वहीं शनिवार को कर्मचारियों ने 100 बच्चों को ही टीका लगाया।

कोट्स

मेडिकल कॉलेज में 16 मार्च को भर्ती हुई। डिलीवरी के बाद 23 मार्च को डिस्चार्ज कर दिया गया। लेकिन जिम्मेदारों ने जन्म प्रमाण पत्र व टीकाकरण कार्ड देने से मना कर दिया। कई बार जिम्मेदारों से कहने का बाद भी कोई कुछ नहीं कर रहा।

नगीना, तीमारदार, गुलरिहा

वर्जन

कंप्यूटर के जरिए जन्म प्रमाण पत्र मुहैया कराने के आदेश दिए गए हैं। जहां तक टीकाकरण कार्ड के खत्म होने का सवाल है तो इसकी जानकारी संबंधित विभाग के अधिकारी से ली जाएगी। मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देना ही हमारी पहली प्राथमिकता है।

- डॉ। राजीव मिश्रा, प्रिंसिपल बीआरडी मेडिकल कॉलेज