- ई-रक्तकोष ब्लड मोबाइल एप नहीं हो रहा अपडेट

- सरकारी और प्राइवेट ब्लड बैंक नहीं दे पा रहे खून का ब्यौरा

आई कंसर्न

पारुल सिंघल

मेरठ। मरीजों को वक्त पर खून मिल जाए इसके लिए सरकार ने तमाम हाईटेक सुविधाएं उपलब्ध करवा दी है। लेकिन ब्लड बैंकों की हीलाहवाली के चलते मरीजों को समय पर खून की आसान सप्लाई नहीं हो रही है। हाल में लांच की गई ई-रक्तकोष मोबाइल एप भी लोगों तक नहीं पहुंच पाया है। वहीं ब्लड बैंक्स इसको अपडेट भी नहीं कर रहे हैं।

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नहीं है अपडेट

उत्तर प्रदेश सरकार ने 18 अगस्त को इस एप को लांच किया था। जिसके बाद सभी ब्लड बैंकों को इसे मेनटेन करने के लिए निर्देश भी जारी किए थे। देखने में आ रहा है कि अधिकतर ब्लड बैंकों में स्टॉक डाटा अपडेट नहीं हैं। वहीं प्रचार-प्रसार न होने की वजह से शहरवासियों को भी इसके बारे में जानकारी नहीं मिल पाई है।

एक क्लिक में पाएं जानकारी

नेशनल हेल्थ मिशन और स्वास्थ्य विभाग ने संयुक्त योजना के तहत ई-रक्तकोष मोबाइल एप तैयार करवाया है। इस एप के जरिए बिना समय बर्बाद किए कोई भी व्यक्ति ब्लड बैंक में रिक्वायर्ड ब्लड के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर सकता है बल्कि आसपास के सभी ब्लड बैंक्स का ब्यौरा भी खुल जाएगा।

यह है स्थिति

- 2 सेकेंड में किसी न किसी को खून की जरूरत होती है डब्ल्यूएचओ के मुताबिक

- 16 हजार लोग शहर में हर साल रक्तदान करते हैं।

- 6 हजार लोग हर साल जिला अस्पताल में रक्तदान करते हैं।

- 10 हजार लोग हर साल रक्तदान करते हैं मेडिकल कॉलेज में

- 13 ब्लड बैंक सरकारी और प्राइवेट हैं मेरठ शहर में करीब

- 350- 450 एमएल तक ब्लड डोनेट किया जा सकता है।

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सरकारी अस्पतालों के लिए एप को अपडेट रखना जरूरी है। इस एप के जरिए अभी तक करीब 15 लोग हमारे पास ब्लड के लिए आ चुके हैं।

डॉ। कौशलेंद्र, ब्लड बैंक इंचार्ज, जिला अस्पताल

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हमारे पास अभी एप के लिए कोई निर्देश नहीं आएं हैं। मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक में सभी यूनिट्स का ब्लड पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं।

डॉ। सचिन सिंह, ब्लड बैंक इंचार्ज, मेडिकल कॉलेज

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ब्लड बैंक में जितने ग्रुप उपलब्ध हैं वो हम रेग्यूलर अपडेट कर रहे हैं।

डॉ। निशा मलिक, ब्लड बैंक इंचार्ज, कैलाशी हॉस्पिटल

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फिलहाल हमें ऐसी किसी एप के बारे में नहीं पता है। ब्लड की जरूरत पड़ने पर अभी भी यहां से वहां भटकना पड़ रहा है।

नीरज कौशिक

ब्लड की जरूरत पड़ती तो हमें आपस में ही एक दूसरे से पूछना पड़ता है। अभी तो ऐसे किसी एप के बारे में जानकारी नहीं हैं।

संजय शर्मा