-पटना देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर, पांच साल में वाहनों की संख्या में 78 परसेंट की वृद्धि

-अनियोजित विकास से शहर बना कचरों का अंबार, पटना में बढ़ रहे हैं अस्थमा के केसेज

PATNA: आज व‌र्ल्ड अर्थ डे है। आपको पता है सामान्य से तीन गुना अधिक प्रदूषित वातावरण में जीने को मजबूर हैं पटनाइट्स। यह तारामंडल में लगे एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन में लगे रेस्पिरेबल सस्पेंडेंड पर्टिकूलर मैटर (आरएसपीएमम) के माध्यम से पता चला। प्रदूषण 100 माइक्रोग्राम की जगह 355 माइक्रोग्राम है। बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक यह लेबल एक अप्रैल से 14 अप्रैल के बीच का है, जो सामान्य से साढे़ तीन गुना अधिक है। इस कारण पटना में बीमार लोगों विशेषकर अस्थमा के पेशेंट बढ़ रहे हैं।

कंस्ट्रक्शन और बीमारी

एक तरफ पूरे शहर में अलग-अलग हिस्सों में कंस्ट्रक्शन वर्क और दूसरी ओर इसके कारण डिस्पोज्ड मैटर का हवा में घुलना, ये दोनों ही हवा में प्रदूषण की मात्रा को बढ़ा रहा है। कंस्ट्रक्शन के निकले सामान को डिस्पोज्ड करने के तरीके में जमकर लापरवाही बरती जा रही है। सड़कों पर कूडे़-कचडे़ का जमाव प्रदूषण और ट्रैफिक दोनों के लिए बड़ा सिरदर्द है।

गाडि़यां उगल रही हैं जहर

अगर पिछले पांच साल के आंकड़े (2009 से 2014ब्) पर गौर करें, तो पता चलता है कि यहां वाहनों की संख्या में 78 परसेंट की वृद्धि हुई है। ख्009 में वाहनों की संख्या भ्.क्म् लाख थी, जो ख्0क्ब् में बढ़कर 9.ख्क् लाख हो गई। एक्सपर्ट बताते हैं कि यहां अनाधिकृत वाहनों की संख्या भी कम नहीं है। इसमें चिंता की बात यह है कि ये वाहन सबसे अधिक एयर पॉल्यूशन का कारण हैं। इस कारण शहर की हवा में लगातार जहरीले गैसेस की मात्रा बढ़ रही है।