- रेलवे डिपार्टमेंट नहीं कर रहा मानसून से पहले कोई तैयारी

- पटना जंक्शन का आरआरआई हो चुका है कई बार फेल

- आरआरआई को ठीक कराने में आता है डेढ़ लाख का खर्च

PATNA : इस मानसून में एक बार फिर पटना जंक्शन डूबने को तैयार है। पिछले मानसून से रेलवे ने कोई सबक नहीं ली, जबकि बारिश में रेल कर्मियों के साथ-साथ पैसेंजर्स की भी फजीहत होती है। बरसात से पहले यदि जंक्शन का मेंटेनेंस नहीं हुआ तो पिछले साल की तरह इस बार भी पूरे मानसून में पैसेंजर्स को परेशानी हो सकती है।

प्री मानसून ने ही खोल दी पोल

इसी महीने प्री मानसून की चंद घंटों की बारिश ने ही पटना जंक्शन की व्यवस्था की पोल खोल दी थी। अन्य प्लेटफार्म को छोड़ दें तो एक नंबर प्लेटफार्म पर ही कई जगहों से पानी टपकने लगा था। पटना जंक्शन पर काम कर रहे एक कर्मी ने कहा कि मैं यहां पिछले आठ साल से काम कर रहा हूं, लेकिन कभी नहीं देखा कि जंक्शन के किसी भी प्लेटफार्म का शेड बदला गया हो। जंक्शन के कई प्लेटफार्म का शेड जगह-जगह से टूट गया है। इस वजह से बरसात में प्लेटफार्म पर पानी चूने लगता है।

पिछले साल हुई थी परेशानी

पिछले मानसून में भी बरसात के पानी से बचने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई थी। नतीजा ये हुआ कि कई दिनों तक रेल परिचालन भी डिस्टर्ब था। बरसात के पानी ने जंक्शन के आरआरआई सिस्टम ही फेल कर दिया था। इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के एक कर्मी ने बताया कि पिछले बरसात में चालीस आरआरआई फेल हो गया था। मालूम हो कि एक आरआरआई को ठीक कराने में लगभग डेढ़ लाख का खर्च आता है। आरआरआई यानी रूट रिले इंटरलॉकिंग के फेल होने से जंक्शन का सिग्नल फेल हो जाता है, जिसके कारण गाडि़यों की आवाजाही रुक जाती है और गाडि़यां ट्रैक नहीं बदल पातीं।

स्वेज पंप हुआ बेकार

पटना जंक्शन केवल दो स्वेज पंप है, लेकिन दोनों की खस्ताहाल है। जंक्शन के गंदे पानी को बाहर फेंकने के लिए इसे दिन में कई बार चलाना पड़ता है। लोगों ने बताया कि नाले का रास्ता ब्लॉक हो गया है, लेकिन इसमें सुधार करने के बजाय रेलवे एक और स्वेज पंप प्लेटफार्म नंबर दस और सेंट्रल हॉस्पीटल के पीछे बना रही है।