PATNA : पाटलिपुत्र में पॉलिटेक्निक मोड़ पर चल रहे रिलायंस ट्रेंड और हल्दीराम भुजियावाला की दुकान को सील करने और फिर हाईकोर्ट से दोनों दुकानों को राहत मिलने के बाद नगर निगम के विधि पदाधिकारी सवालों के घेरे में हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जब इसकी पड़ताल की तो पता चला चौंकाने वाला खुलासा हुआ। लगभग पांच महीने पहले नगर निगम कमिश्नर की ओर से इस बिल्डिंग को ढहाने का नोटिस जारी किया गया था। इस पर निगम की ओर से महीनों तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। नगर निगम के अधिकारियों ने 11 जनवरी को बड़ी संख्या में पुलिस बल के साथ पहुंचकर रिलायंस ट्रेंड और हल्दीराम भुजियावाला पर ताला लगा दिया।

कार्रवाई पर उठे सवाल

निगम की इस कार्रवाई के खिलाफ मॉल मालिक की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दी गई। इस याचिका पर हाईकोर्ट के न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद की एकल पीठ ने पटना नगर निगम के आदेश पर रोक लगा दी और कानून के तहत कार्रवाई करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि मकान को सील अथवा बंद करने से पहले नोटिस देना चाहिए था। सीधी कार्रवाई करने से प्राकृतिक न्याय का पालन नहीं हो पाया।

थाना और पेसू को दी थी सूचना

अधिकारियों का कहना है कि 18 सितंबर 2018 को निगम कमिश्नर की ओर से जारी आदेश से मॉल मालिक को अवगत कराया जा चुका है। नगर निगम आयुक्त की ओर से साफ कहा गया है कि इंजीनियरों द्वारा जांच में पाया गया है कि बिल्डिंग का निर्माण नगर पालिका अधिनियम 2007 की धारा 313 और 315 के तहत नहीं किया गया। बिल्डिंग का निर्माण नक्शा को पास कराए बिना या विचलित करके किया गया। इसलिए निगम आदेश देता है कि सूचना प्राप्ति के 15 दिनों के भीतर बिल्डिंग मालिक यह जवाब दें कि क्यों नहीं अनधिकृत निर्माण को ढहाने की कार्रवाई की जाए। पत्र की प्रतियां थानाध्यक्ष पाटलिपुत्रा, जीएम पेसू, ईओ एनसीसी अंचल आदि को भी जारी की गई थी।

निगम के वकील ने नहीं रखा पक्ष

18 सितंबर को बिल्डिंग मालिक शैलेंद्र सिंह को जारी नोटिस से यह साफ है कि नगर निगम कमिश्नर स्तर से मॉल मालिक के लिए नोटिस जारी किया गया था। दूसरी ओर, बिना पूर्व सूचना बिल्डिंग कस्ट्रक्शन पर रोक लगाने और दुकान बंद करने के नगर निगम के प्रयास को पलटते हुए हाईकोर्ट ने जहां मॉल मालिक को राहत दी। वहीं निगम के अधिवक्ता प्रसून सिन्हा द्वारा सितंबर 2018 में बिल्डिंग ढहाने के लिए निगम से जारी नोटिस और मामले के दूसरे पहलुओं से हाईकोर्ट को अवगत क्यों नहीं कराया।

हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद जब निगम के वकील प्रसून सिन्हा से बात की गई तो कुछ इस तरह जवाब मिला।

रिपोर्टर-निगम में कमिश्नर की कार्रवाई बैकफुट पर कैसे आ गई?

वकील-मॉल ऑनर की यह जीत नहीं है। न्यायालय ने सिर्फ कानूनी दायरे में कार्रवाई की बात कही है।

रिपोर्टर- निगम का दावा है कि सितंबर में बिल्डिंग गिराने का नोटिस दिया गया है।

वकील- केस के दो पहलू हैं। एक पहलू में बिल्डर और प्रमोटर हैं और उन्होंने गलत तरीके से थर्ड पार्टी को मॉल रजिस्ट्री कर दी। कमिश्नर का सितंबर का आदेश पहले के मामले में ही है।

रिपोर्टर- आपका मानना है कि निगम ने गलती की।

वकील- हां, मॉल बंद कराने से पहले निगम को शोकॉज किया जाना चाहिए था।

जब बिल्डिंग मालिक के पुत्र मृणाल सिंह से बात की गई तो उन्होंने कुछ इस तरह से जवाब दिया

रिपोर्टर- निगम का दावा है कि सितंबर महीने में बिल्डिंग गिराने के लिए शोकॉज नोटिस जारी की गई थी।

मृणाल सिंह- निगम ने पूर्व में हमें कोई नोटिस नहीं दिया। 11 जनवरी को अचानक मॉल बंद करवा दिया गया।

रिपोर्टर- आपका कहना है कि निगम ने नियम तोड़ा।

मृणाल सिंह- मैंने 2010 में जमीन खरीदा। कोऑपरेटिव ने 2016 में नक्शा पास किया। पीएमसी ने एसेसमेंट करके 2 लाख रुपए हमसे टैक्स जमा करवाया है।

रिपोर्टर- निगम की कार्रवाई पर आपका क्या कहना है?

मृणाल सिंह- निगम ने सरासर गलत किया। किसी भी कार्रवाई से पहले हमें सूचित करना चाहिए था।

इससे पहले विजिलेंस केस में फैसला आने के बाद सितंबर माह में नगर निगम कमिश्नर ने पत्र जारी किया था। यह नया केस है और जनवरी माह में दर्ज किया गया। हमसे नगर निगम के लोगों ने पूछा नहीं और मौके पर जाकर दुकान बंद करवा दिया।

-केके सिंह, विधि पदाधिकारी नगर निगम पटना