- महागठबंधन में कांग्रेस नेता अवधेश सिंह का बड़ा बयान

- राष्ट्रपति चुनाव के बाद हो सकता है बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव

- शरद यादव और शिवानंद जैसे नेताओं की सुलह की कोशिश का नहीं दिखा असर

PATNA : महागठबंधन की दरार समय के साथ बढ़ती जा रही है। दोनों प्रमुख दलों राजद और जदयू के बीच सुलह की गुंजाइश कम होती जा रही है। कल तक सुलह के लिए मजबूत कड़ी के रूप में काम करने वाला दल कांग्रेस भी आंख दिखाने लगा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पशुपालन मंत्री अवधेश कुमार सिंह तो साफ कह दिया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महागठबंधन के लिए कुर्बानियां दी हैं, अब इसे बचाने के लिए लालू प्रसाद को भी कुर्बानी देनी चाहिए। हालांकि, उन्होंने ये नहीं कहा कि डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को इस्तीफा देना चाहिए या नहीं। महागठबंधन के तीसरे बड़े दल कांग्रेस की ओर से जदयू के स्टैंड से मिलता जुलता बयान आने से राजद पर दबाव बढ़ गया है।

नेताओं की चुप्पी, सुलह का प्रयास

रविवार को बड़े नेताओं की चुप्पी के बाद आज प्रवक्ताओं ने भी जबान पर ताले लगा लिए। शरद यादव और शिवानंद तिवारी जैसे कुछ नेता इस कोशिश में जुटे हैं कि कोई बीच का रास्ता निकाल लिया जाए, लेकिन उनके प्रयास को लेकर न राजद ने उत्साह दिखाया, न जदयू की दिलचस्पी दिखी। सिर्फ जदयू प्रवक्ता संजय सिंह का बयान आया कि राजद ने अपने दरवाजे बंद कर लिए हैं, लेकिन जदयू की खिड़कियां खुली हैं। प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी की नीतीश कुमार एवं लालू प्रसाद से अलग-अलग बातचीत का सिलसिला तो तीन दिनों से जारी है। रविवार को उन्होंने शरद यादव से भी फोन पर बात की। इसके एक दिन पहले दिल्ली में शरद यादव ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी बात की थी। शरद यादव के रिश्ते लालू प्रसाद से भी बेहतर हैं लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद गतिरोध बरकरार है।

- सुलह के लिए हाथ तक जोड़ा

अपने पूर्व के स्टैंड से पीछे हटते हुए समाजवादी नेता शिवानंद तिवारी ने नीतीश कुमार से महागठबंधन को बचाने का आग्रह किया है। लालू के करीबी माने जा रहे शिवानंद ने कहा कि कभी संघमुक्त भारत की बात करने वाले नीतीश कुमार से मैं हाथ जोड़कर निवेदन करता हूं कि वह लालू प्रसाद से बात करें और बिहार को भाजपा के कब्जे में आने से रोकें। वर्तमान स्थिति से निपटने में सिर्फ नीतीश ही सक्षम हैं। शिवानंद के इस बयान को राजद के स्टैंड से जोड़कर देखा जा रहा है।

- चुनाव के बहाने चर्चा

राष्ट्रपति चुनाव की तैयारियों के बहाने रविवार को सभी पार्टियों ने अपने-अपने विधायकों के साथ महागठबंधन के बिगड़ते रिश्ते की समीक्षा की हैं। अपने पक्ष के प्रत्याशी को जिताने का संकल्प लिया और साथ ही राजनीतिक कयासों एवं संभावनाओं की पड़ताल की। इसके पहले तेजस्वी के मुद्दे पर दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व की खामोशी का असर बड़बोले नेताओं पर दिखा। सामान्य तौर पर सुबह से ही शुरू हो जाने वाले राजद-जदयू के नेता-प्रवक्ता रविवार को बोलने से बचते रहे।

जदयू प्रकोष्ठों की बैठक से बड़ा कयास

रविवार को जदयू के ख्7 प्रकोष्ठों की अलग-अलग बैठक हुई। एक साथ बैठकों का दौर शुरू होने से कयासबाजी का दौर तेज हो गया है। क्योंकि बैठकों की समीक्षा बाद में पार्टी स्तर पर की गई। यह जानकारी ली गई कि किस प्रकोष्ठ की बैठक में कितने व्यक्ति शामिल हुए और क्या कार्यक्रम तय हुए।

समीक्षा करने वालों में शामिल प्रदेश महासचिव डा। नवीन आर्या ने बताया कि पिछले दिनों पार्टी की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने बैठक के संबंध में विशेष निर्देश दिए थे। उस निर्देश पर अमल शुरू हो गया है। इन बैठकों में शराबबंदी, बाल विवाह, दहेज उन्मूलन, सात निश्चय एवं लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के साथ-साथ सदस्यता अभियान पर चर्चा की गई। समीक्षा करने वालों में विधान पार्षद चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी एवं ललन सर्राफ और प्रदेश महासचिव अनिल कुमार भी शामिल थे। समीक्षा बैठक में सभी प्रकोष्ठों के अध्यक्ष शामिल हुए।