-वाहन पार्किंग के जगह झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं लोग

-सालों से रह रहे हैं अब खाली करने से कर रहे हैं इंकार

PATNA: विकास की राह पर दिनोंदिन अग्रसर हो रहे राजधानी पटना के ज्यादातर हिस्से अतिक्त्रमण के कैंसर से जूझ रहे हैं। स्थिति यह हो गई है कि रेलवे लाइन हो या बाजार, हाई-वे हो या फ्लाईओवर। हर जगह फैले इस अतिक्रमणरूपी कैंसर से पटनाइट्स का जीना मुहाल हो गया है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जीपीओ, एग्जीबिशन रोड, राजेनद्र नगर फ्लाई ओवर से लेकर रेल पटरियों के किनारे सालों से झोपडि़यां बनी हुई हैं लेकिन उन्हें हटाने की हिम्मत न तो स्थानीय प्रशासन में है, न ही रेल महकमे में। बहरहाल, दैनिक जागरण आई नेक्स्ट आज आपको ऐसे ही अतिक्रमण से अवगत कराने जा रहा है जिससे पूरा शहर प्रभावित होता है। पेश है एक रिपोर्ट

समय क्.फ्0 बजे, जीपीओ गोलम्बर

सबसे पहले हमारी टीम जीपीओ गोलंबर फ्लाईओवर पहुंची। फ्लाईओवर के नीचे पार्किंग स्थल पर बनी सैकड़ों झोपडि़यां चीख-चीख कर कह रही हैं थी कि चाहे कुछ भी हो जाए यहां तो हमार ही कब्जा है। झोपड़ी में रह रहे सज्जन कुमार ने बताया कि भ् साल से यहां परिवार के साथ चैन से रह रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या कोई भी अधिकारी आज तक देखने नहीं आया? जो जवाब मिला कि जब तक सरकार रहने को घर नहीं देगी हमलोग यहीं जमे रहेंगे।

समय क्.ब्भ् बजे, एग्जीविशन रोड

इसके बाद हमारी टीम एग्जीबिशन रोड फ्लाईओवर के नीचे पहुंची। वहां भी पार्किंग के स्थान पर दर्जनों पान और चाय की गुमटी खोल दी गई है। एक दुकानदार ने बताया कि सालों से हम लोग यहां व्यापार कर रहे हैं। इसके एवज में निगम के कर्मचारियों को पैसा भी देते हैं। इसलिए कोई दिक्कत नहीं होती है। हां, कभी-कभार कोई अधिकारी आता भी है तो कुछ पैसे लेकर चला जाता है। फिर सब ठीक हो जाता है।

समय ख्.फ्0, रानेन्द्र नगर गुमटी

अंत में हमारी टीम राजेन्द्र नगर गुमटी पहुंची। यहां का नजारा देख कोई भी हैरत में पड़ जाए। फ्लाई ओवर की शुरुआत से लेकर अंत तक जहां भी नजर गई, बस अतिक्रमण ही दिखा। कुछ लोग तो एक दशक से कब्जा जमाए बैठे हैं। पी। रहमान ने बताया कि यहां रहने वाले वे अकेले नहीं हैं। कई लोग रह रहे हैं। रही बात कब्जे की तो बिजली जलाते हैं तो उसका भुगतान भी करते हैं। अब यहां से कहीं नहीं जाना है।

हमलोग जीपीओ फ्लाई ओवर के नीचे भ् साल से रह रहे हैं। कोई परेशानी नहीं हैं। अब यहीं पर रहना है।

-सुरेन्द्र कुमार, कब्जेदार

हम गरीब हैं। घर बनाने की हैसियत होती तो यहीं रहते। सरकार बहुत कुछ कहती है लेकिन करती कितनी है यह तो आप भी जानते हैं।

-ललिता, कब्जेदार

क्भ् साल से फ्लाई ओवर के नीचे परिवार के साथ रह रहा हूं। सरकार कभी गरीब की तरफ भी ध्यान दे। जब घर देगी तो खाली कर दूंगा।

-मो। समीम, कब्जेदार

मैं अकेला नहीं हूं। सैकड़ों लोग हर फ्लाईओवर के नीचे रह रहे हैं। हमलोगों के पास घर नहीं है तो कहां जाएंगे।

- गंगाराम महतो, कब्जेदार