- केंद्रीय ऊर्जा सचिव, आरईसी के सीएमडी और अफसर पहुंचे तेरसिया

- बिहार मॉडल पर चर्चा करने के लिए जुटे 16 राज्यों के अधिकारी

PATNA : मंगलवार को दोपहर फ् बजे केंद्रीय ऊर्जा सचिव एके भल्ला गांधी सेतु के उत्तरी छोर के नीचे स्थित तेरसिया गांव पहुंचे थे। उनके साथ रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कारपोरेशन के सीएमडी पीवी रमेश, ऊर्जा मंत्रालय के संयुक्त सचिव एके वर्मा और बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कारपोरेशन के सीएमडी प्रत्यय अमृत थे। तेरसिया के कुछ घरों में हाल में बिजली आई है।

जब चौकी पर बैठ गए भल्ला

भल्ला ऐसे घरों में पहुंचे और पूछा कि किस तरह बिजली कनेक्शन किस तरह मिला और कितनी बिजली मिल रही है। एक ऐसे घर में वह गए जहां बिजली कनेक्शन दिए जाने की प्रक्रिया मंगलवार को ही होनी थी। घर के दालान में चौकी पर देश के ऊर्जा सेक्टर के बड़े अधिकारी बैठ गए। कनेक्शन का काम संभाल रही कंपनी के कर्मी पहुंचे और मोबाइल एप खोला। यह बताया कि कैसे-कैसे कनेक्शन दिए जाने की प्रक्रिया आगे बढ़ती है।

बिल के साथ आते हैं कनेक्शन के पैसे

मौके पर जेई यह सत्यापित करते हैं कि किस व्यक्ति के पास ड्यूज नहीं है। आधार कार्ड का नंबर लिया जाता है। मोबाइल से तस्वीर लेने के बाद तुरंत एक एसएमएस कनेक्शन लेने वाले व्यक्ति के मोबाइल पर चला जाता है। पंद्रह दिनों में कनेक्शन मिल जाता है। कनेक्शन के पैसे बिल के साथ आते हैं। इस मौके पर छत्तीसगढ़ बिजली कंपनी के आला अधिकारी अंकित व उड़ीसा बिजली कंपनी के आला अधिकारी भी मौजूद थे।

क्षेत्र भ्रमण से पहले भल्ला पटना में आयोजित सार्वभौमिक आवास विद्युतीकरण पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में भी शामिल हुए। देश के क्म् राज्यों में स्थित बिजली कंपनियों के प्रतिनिधि इस कार्यशाला में शामिल हुए। इस दौरान यह चर्चा हुई कि किस तरह से बिहार में हर घर बिजली योजना के तरह कैंप लगाकर व घर-घर जाकर बिजली कनेक्शन उपलब्ध कराया जा रहा है।

पहले उड़ाते थे मजाक : बिजेंद्र यादव

राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र के आखिर में ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव भी पहुंचे। उन्होंने कहा कि एक समय ऊर्जा के क्षेत्र में बिहार का मजाक उड़ाया जाता था पर आज चर्चा हो रही है। ख्00भ् में सात सौ मेगावाट जरूरत थी और आज हमारी खपत ब्000 मेगावाट हो गयी है। आने वाले समय में यह भ्000 मेगावाट तक पहुंचेगी। कृषि के क्षेत्र में बिजली का उपयोग अधिक हो इस पर ध्यान देने की जरूरत है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ठीक किया जा सकता है।